मिथुन विलगन जातः प्रियदारो भूषणप्रदान रतिः।

त्यागी भोगी धनी कामी दीर्घ सूत्रोंरिमर्दकः ।।

भोगी वदान्यो बहुमित्रपुत्रः सुगूढ़ मंत्रः सघनः सुशीलः।

तस्य स्थितिः स्यात नृप सन्निधाने लग्ने भवेत् मिथुनाभिधाने।।

राशि चक्र में तीसरे नंबर पर मिथुन राशि आती है। भचक्र में इसका विस्तार ६० अंश से ९० अंश के अंदर माना गया है। पृथ्वी पर विषुवत रेखा से २४ अंश तक उत्तर में इसकी स्थिति दृश्य होती है। इस राशि के अंतर्गत मृगशिरा के अंतिम २ चरण, आद्रा के चारो चरण एवं पुनर्वसु के प्रथम ३ चरण का समावेश होता है। मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल, आद्रा का राहु तथा पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु माना जाता है। इस राशि का स्वामी बुध है।

आकाश मंडल में मिथुन राशि से सम्बंधित नक्षत्रो का आकार स्त्री-पुरुष के युग्ल स्वरूप जैसा दिखाई देता है। संभवतः इसी कारण कुछ विद्वान् इसे मैथुन या राति सुख का प्रतीक मानते है। यह द्विस्वभाव एव विषम राशि स्त्री पुरुष के परस्पर आकर्षण का प्रतीक है। यह राशि शीर्षोदयी, वायु तत्त्व प्रधान, शुद्र वर्ण, सत्वगुणी एवं जीव संज्ञक, चंचल व् समशीतोष्ण स्वाभाव, क्रूर धर्मा, हरित वर्ण, रात्रि बलि एवं पश्चिम दिशा की स्वामिनी तथा बाल्य अवस्था वाली एवं पुरुष जाती कहलाती है।

मिथुन राशि के अन्य पर्यायवाची नाम Other synonyms of Gemini in Hindi 

युग्म, द्वन्द्व, यम, काम, विपंची, मन्मथ, वीणाधर आदि। काल पुरुष में इस राशि का सम्बन्ध हाथ, कंधे, स्वांस प्रक्रिया, फेफड़े, वक्षस्थल एवं स्तन आदि से है।

इस राशि पर कोई भी ग्रह उच्च,नीच या मूल त्रिकोण राशि का नहीं होता। निर्यण सूर्य इस राशि पर प्रायः १४ जून से १५ जुलाई के मध्य संचार करता है। जबकि सायन गणना अनुसार सूर्य लगभग २० मई से २० जून के मध्य संचरित होता है।

मिथुन लग्न में शुभ एवं योगकारक ग्रह Auspicious and beneficial planets in Gemini ascendant in Hindi 

मिथुन लग्न में बुध, सूर्य व शुक्र सामान्यतः शुभ एवं योगकारक ग्रह माने जाते हैं।

राशि स्वामी बुध के सूर्य, शुक्र मित्र, चन्द्रमा शत्रु तथा मंगल, गुरु व शनि सम माने जाते हैं।

चन्द्र, गुरु, शनि व राहु शुभाशुभ अर्थात् मिश्रित फल प्रदान करते हैं। उपरोक्त मिथुन लग्न में ग्रहों का शुभाशुभ फल विशेषतया लग्न को ध्यान में रखकर किया गया है। परन्तु भावानुसार उनके फल में न्यूनाधिकता आ जाती है। इन ग्रहों का अन्य ग्रहों के साथ योग तथा शुभाशुभ ग्रहों की दृष्टि का भी विचार कर लेना चाहिए।

मिथुन लग्न में भावानुसार ग्रहों का फल Results of planets according to Bhava in Gemini ascendant in Hindi 

सूर्य-लग्न, तृतीय, दशम एवं एकादश भावों में शुभ और ४, ५, ७, ९, व दशम भावों में मिश्रित प्रभाव तथा अन्य भावों, २, ६, ८, ९ व १२वें में अशुभ फल करेगा।

चन्द्रमा द्वितीय, पंचम, सप्तम, दशम छठे, अष्टम, नवम भावों में अशुभ फल करेगा। लाभ (११) में शुभ, और ३, ४ व १२वें भावों में मिश्रित तथा प्रथम, मंगल तृतीय, पंचम, एकादश में मिश्रित तथा अन्य भावों में अशुभ फल करेगा।

बुध-लग्न, ३, ४, ५, ९ भावों में शुभ, अन्य भावों में अशुभ एवं मिश्रित प्रभाव करेगा।

गुरु-द्वितीय, तृतीय, पंचम, दशम एवं १२वें भावों में शुभ तथा अन्य भावों में अशुभ किंवा मिश्रित प्रभाव करेगा।

शुक्र-१, ४, ५, ७, १०, ११ एवं १२ भावों में शुभ तथा अन्य भावों में अशुभ किंवा मिश्रित फल करेगा।

शनि १, ३ एवं ५ (पंचम) भावों में शुभ तथा अन्य भावों में अशुभ किंवा मिश्रित फल करेगा।

राहु-१, ३, ५, ९ व ११ भावों में शुभ तथा अन्य भावों में अशुभ या मिश्रित फली माना जाता है।

केतु- ९, ११, ४ एवं ५ वें भावों में शुभ तथा अन्य भावों में अशुभ या मिश्रित प्रभाव करेगा।

मिथुन लग्न में शुभाशुभ ग्रह योग Auspicious planetary yoga in Gemini ascendant in Hindi 

बुध-शुक्र-केन्द्रेश व त्रिकोणेश का सम्बन्ध होने से यह योग विशेष राजयोग बनता है। यह योग १, २,४, ५, ७, ९ व ११ वें भावों (स्थानों) में शुभ फल देता है, जबकि अन्य स्थानों में अशुभ फल मिलते हैं। शुभ योग विद्या, स्त्री, सन्तनादि सुख एवं व्यापार में उन्नति एवं वाहन आदि सुखों को देता है। कम्प्यूटर व संगीत कला में कुशलता देता है।

बुध-गुरु योग-दोनों ग्रह केन्द्राधिपति होने से १, ४, ५, ७, ९ एवं दशम भावों में शुभ फली तथा अन्य स्थानों में अशुभ एवं मिश्रित फल प्रदान करते हैं। शुभ योग से जातक उच्चशिक्षित, वाहन, भूमि, स्त्री, संतान तथा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त करता है।

गुरु-शुक्र- यह योग १,४, ५, ७ व दशम भावों में शुभ, शेष अन्य स्थानों में अशुभ किंवा मिश्रित फल प्रदान करता है। शुक्र व्ययेश होने से प्रथमतः (आरंभ में) यह योग अशुभ फल प्रकट करता है, अन्तिम भाग में शुभ फली। शुभ योग धन, वाहन, स्त्री-संतान (विशेषतया) आदि सुख प्रदान करता है।

बुध-शनि-यह योग नवम भाव में शुभ फली होता है, जबकि अन्य स्थानों में अशुभ या मिश्रित फल प्रदायक होता है। यह योग व्यापार में विशेष उन्नति दिलवाता है।

गुरु-शनि-दोनों ग्रहों का योग महत्वपूर्ण है। कुमारादि अवस्था या बलाबल में जो ग्रह अधिक बली होगा, तदनुसार ही शुभाशुभ फल का निर्णय होगा। जातक की ४२ वर्ष की आयु के बाद शुभ योग का फल विशेष रूप से प्रकट होगा।

गुरु-मंगल गुरु दो केन्द्रों का स्वामी तथा मंगल षष्ठेश व लाभेश भी है। इस योग में जातक को अत्यन्त संघर्ष के साथ ३६वें वर्ष के बाद भाग्योन्नति होती है। मैडीकल क्षेत्र में भी उन्नति कारक योग होता है। सूर्य चन्द्र का योग जातक को लोहा, पत्थर, शिल्पकार, बिल्डिंग मैटीरीयल के क्षेत्र में सफल बनाता है।

परन्तु मिथुन लग्न में यदि बुध व शनि भी शुभ हों तो उपरोक्त योग प्रशस्त है। यह योग पैतृक सम्पदा एवं पारिवारिक सुख में भी वृद्धि करता है।

चन्द्र-बुध का योग जातक को (विशेषकर द्वितीय भाग में) पारिवारिक सुख, धन-सम्पदा, वाहनादि सुखों से युक्त विद्या एवं अध्यापनादि क्षेत्र में सफलता दिलवाता है। परन्तु अत्यन्त संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त होती है।

सूर्य-गुरु-चन्द्र-आदि शुभ योग हों, तो जातक धार्मिक वृत्तिवाला, परोपकारी, गुणवान, लेखन आदि कार्यों में रूचि एवं सफलता देता है।

इसके अतिरिक्त मिथुन लग्न में शनि मंगल, शनि-शुक्र, सूर्य-शनि, चन्द्र-शनि के योग प्रायः अत् संघर्षपूर्ण एवं अशुभ फल कारक होते हैं।

मिथुन लग्न की गुण एवं विशेषताएं Qualities and characteristics of Gemini Ascendant in Hindi 

मिथुन जातक प्रायः परिवर्तनशील, वायु तत्त्व होने से कल्पनाशील, अस्थिर प्रकृति, सतर्क, वाक्पटु एवं तर्क-वितर्क करने में कुशल, परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने की क्षमता, तीव्र एवं चतुर बुद्धि, स्वाभिमानी, रचनात्मक व् बौद्धिक कार्यो में कुशल, अध्ययनशील, शिल्पकारी, तथा लेखन-पठन-पाठन करने वाला, मृदुभाषी, स्त्रियों का प्रिय, उच्चप्रतिष्ठित लोगो से संपर्क व बहु मित्रो वाला होता है। संगीत, सिनेमा, टेलीविज़न आदि कलात्मक विषयो में भी विशेष रूचि होती है।

शारीरिक संरचना 

मिथुन लग्न (राशि) में उत्पन्न जातक का ऊंचा कद, दुबला-पतला शरीर, एवं रंग गंदमी होगा। हाथ एवं भुजाएं अपेक्षाकृत लम्बी, लम्बा चेहरा व उठी हुई नाक, प्राय: तीखे नयन-नक्श सुन्दर नेत्र, तीव्र पैनी दृष्टि गहरे मुलायम बाल तथा आकर्षक व्यक्तित्व वाला होगा।

व्यक्तिगत विशेषताएं 

इस लग्न / राशि का स्वामी बुध कुंडली में शुभ हो तो जातक परिवर्तनशील एवं अस्थिर स्वभाव होते हुए भी मौलिक विचारों से युक्त, तीक्ष्ण बुद्धि, परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने वाला, परन्तु स्वाभिमानी, उच्च कल्पनाशक्ति के साथ-साथ तीव्र स्मरणशक्ति एवं रचनात्मक शक्ति भी अच्छी होगी। बौद्धिक काया व पढ़ने-लिखने के कामों में विशेष रुचि रखेगा। व्यवहार में तथा बातचीत करने में कुशल व हाजिर जवाब देने वाला होगा।

कुण्डली में चन्द्र शुक्र भी शुभ हों तो जातक स्वाभिमानी, विनोदी, तर्क-वितर्क करने में कुशल, स्पष्टवक्ता, मित्रों तथा परिवार के लिए सब प्रकार से सहायक तथा नीति के अनुसार आचरण करने वाला व्यवहार कुशल होगा।

भूमि, वाहन, धन-सम्पदा आदि सुखों से सम्पन्न होगा। परंतु यदि चंद्र-बुध अशुभ हो तो यद्यपि जातक व्यवहार कुशल होगा, परन्तु अधिक तर्क-वितर्क करने वाला मानसिक अस्थिरता, अस्थिरता के कारण अधीर, व्यग्र एवं अशान्त भी हो जाएगा।

जातक गायन, संगीत, नृत्य, कला, साहित्य एवं सौन्दर्य सम्बन्धी कार्यों में व खेल-कूद (Sports) में रुचि रखने वाला, संवेदनशील होगा। उसमें बुद्धि एवं भाव तत्व-दोनों प्रबल होंगे। मिलनसार एवं वाक्पटु होने से ऐसे जातक अन्य लोगों से शीघ्र मित्रता कर लेते हैं, विशेषकर स्त्रियों के साथ सरलता से मेल जोल या सम्बन्ध बना लेते हैं।

कुण्डली में सूर्य बुध योग हो तो मिथुन जातक दृढ़ संकल्प एवं दृढ़ निश्चयी होते हैं, जिस काम को करने में तत्पर हो जाएं, उसे पूरी लगन एवं सच्चाई से करते हैं। चंद्र-शुक्र के कारण मिथुन जातक उच्वाकांक्षी, अन्वेषणशील, जिज्ञासु, दूसरों के मन की बात समझने में कुशल, नए-नए विषयों के रहस्य जानने को उत्सुक होते हैं। इसके लिए वह दूर-दूर तक के स्थानों की यात्राएं करने के अवसरों से भी नहीं चूकते। कामुक एवं विषय-वासनाओं में भी शीघ्र आकर्षित हो जाते हैं।

द्विस्वभाव राशि होने के कारण इनमें एक समय में अधिक कार्य शुरु करने की प्रवृत्ति रहेगी। दुविधा के कारण अनेक कार्य अधूरे छोड़ देंगे। अनेकदा अत्यधिक तर्क-वितर्क करना मानसिक व्यग्रता एवं विवाद का कारण भी बन सकता है। अपने कार्य क्षेत्र में परिवर्तन एवं विविधता लाना पसन्द करते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में मिथुन जातक विशेष कुशल रहते हैं। मिथुन जातक के स्वभाव

की भान्ति जीवन में भी अनेक उतार-चढ़ाव एवं कठिनाईयां आती हैं, परंतु ऐसा जातक अपनी बुद्धि चातुर्य द्वारा उन पर विजय प्राप्त करने में सफल रहता है। जीवन को चुनौती मानकर कार्य क्षेत्र में उतरता है।

स्वास्थ्य एवं रोग Health and Disease 

बुद्धिशील प्रकृति होने के कारण मिथुन जातक मानसिक तनाव, व्यग्रता एवं दुश्चिन्ताओं के कारण शीघ्र रुग्ण हो जाते हैं।

मिथुन लग्न (राशि) पाप ग्रह युक्त या दृष्ट हों तो जातक को मानसिक रोगों के अतिरिक्त स्नायु, फेफड़ें, कन्धों, बाजुओं, गले में विकार, सर्दी, जुकाम, पेट विकृति, गुर्दे में पथरी, वायु विकार, मुख वाणी, श्वास, कुष्ठादि चर्म रोग, मन्दाग्नि, मधुमेह आदि रोगों की संभावनाएं अधिक रहती हैं। अपनी सामर्थ्य से अधिक मानसिक उद्वेग एवं शारीरिक क्षीणता से बचना चाहिए। उचित निद्रा संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं उपयुक्त विश्राम लेते हुए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उत्तेजक व मादक तथा तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए।

शिक्षा एवं कैरियर 

मिथुन लग्न कुण्डली में बुध, शुक्र लग्न में या पंचम भाव में उदित आदि शुभ अवस्था में हों तो जातक/जातिका कामर्स, एम.बी.ए., चार्टड एकांउटैण्ड (C.A.), इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर साइंस, संगीत, शिल्प, वकालत, अध्यापन आदि क्षेत्रों में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं तथा इन्हीं विषयों से सम्बन्धित कैरियर को अपना सकते हैं।

यदि जातक की जन्म राशि एवं नाम राशि समान हो तो उपरोक्त गुणों की अधिकता होती है।

मिथुन राशि/लग्न की कन्या, सभी जातको का प्रेम एवं वैवाहिक सुख Gemini sign/Lagna girl, love and marital happiness of all castes in Hindi 

मिथुन राशि अथवा लग्न में जन्म लेने वाली कन्या सामान्य से लंबे कद वाली, पतले इकहरे शरीर की, सुंदर नेत्रो वाली, सुंदर गेंहुआ वर्ण, तीखे नयन नक्श, तीव्र पैनी दृष्टि एवं आकर्षक व्यक्तित्त्व की स्वामिनी होती है।

यदि इनकी जन्म कुंडली मे राशि स्वामी बुध हो तो ऐसी कन्या अत्यंत बुद्धिमान, वाक्पटु, तर्कशील, उद्यमी, अस्थिर किन्तु मौलिक विचारो से युक्त, परिवर्तनशील प्रकृति, अर्थात परिस्तितियो के अनुसार स्वयं को ढाल लेने वाली होती है। साथ ही दूसरों के मनोभाव को शीघ्र समझने वाली होती है।

कुंडली मे सूर्य,चंद एवं शुक्र भी शुभ हो तो जातिका तीव्र स्मरण शक्ति वाली, सतर्क चंचल आंखों वाली, हंसमुख, मिलनसार ओर व्यवहार कुशल भी होगी, साथ ही मधुर भाषी एवं हाजिर जवाब भी होगी, नए-नए मित्र बनाने में कुशल, इनकी मित्रता का क्षेत्र बहुत अधिक होने पर भी आत्मीयता बहुत कम के साथ रखती है। अपनी आलोचनात्मक एवं बौद्धिक कटु दृष्टिकोण के कारण ये अपने मैत्री संबंध को अधिक समय तक स्थाई नही रख पाती है।

ये जातिकाये द्विस्वाभव एवं पृथ्वी तत्त्व वाली राशि होने के कारण अधिकांश लोग इनकी भावनाओ को समझ नही पाते है। बाहरी तौर पर यद्यपि ये जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर विविधता एवं परिवर्तन पसंद करती है। परन्तु आंतरी रूप से ये अपने समान अथवा श्रेष्ठ मित्र एवं जीवन साथी की आकांक्षा रखती है।

सूर्य चंद्र के प्रभाव से ऐसी जातिका गुणी एवं परिश्रमी बनती है। अपने गुणों के द्वारा समाज एवं परिवार में विशेष भूमिका रखेंगी। ये अपनी प्रतिष्ठा के प्रति विशेष संवेदनशील रहती है। यदि कुंडली मे बुध शुक्र दोनों शुभ हो तो उच्च व्यावसायिक शिक्षा में विशेष सफलता प्राप्त करती है। कम्प्यूटर, विज्ञान, संगीत, गायन, वाणिज्य, फैशन एवं परिधान डिजाइनिंग, वकालात, कंपनी-प्रबंधक आदि क्षेत्रों में विशेष सफलता पा सकती है।

वैवाहिक जीवन में सफलता (कुण्डली में) चन्द्र गुरु की स्थिति पर निर्भर करेगा। चन्द्र द्वितीय और गुरु १, ३,५, ९, १० या ११ वें भावों में शुभस्थ हो, तो मनोऽनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति होगी। इस ग्रह में उच्च प्रतिष्ठित एवं बुद्धिमान साथी प्राप्त होगा। विवाह के उपरान्त पति-पत्नी दोनों के लिए विशेष भाग्योदय एवं उन्नति के योग होंगे। यदि गुरु अशुभ या पाप ग्रह से पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन में कटुता एवं वैमनस्य रहेगा। परन्तु उचित उपाय स्वरूप हालत में बेहतरी की सम्भावनाएं भी रहेंगी।

मिथुन राशि/लग्न जातको का प्रेम एवं वैवाहिक सुख Love and marital happiness of Gemini / Ascendant people in Hindi 

मिथुन राशि/लग्न के जातक द्विस्वभाव प्रकृति के होने के कारण प्रेम संबंधों में भी विविधता एवं परिवर्तन की आकांक्षा रखते है। यद्यपि प्रेम में स्वयं तो स्थायी संबंधों की आशा तो करते है। परंतु जिसके साथ प्रेम करते है उसी (प्रेमी/प्रमिका) की त्रुटियां निकालते है। जिससे उनके प्रेम संबंधों में दरार पड़ जाती है। और अक्सर प्रेम संबंध टूट जाते है। प्रेम में अत्याधिक गणितीय आंकलन एवं मीन-मेख करने से मिथुन जातक को प्रायः मनोवांछित प्रेमी या प्रेमिका अथवा जीवन साथी नहीं मिल पाता।

मिथुन जातक की पत्नी जिसकी लग्न/राशि की अनुकूलता पति की लग्न/राशि से ठीक मिलान रखती है तथा जो पति की मनोवृत्ति को भली भांति समझने की क्षमता रखती हो ऐसी स्थिति में ही दोनों का दाम्पत्य जीवन सुखी रह सकता है।

मिथुन राशि/लग्न के जातकों के लिए दशा-अंतर्दशा का फल एवं शुभाशुभ विचार Results of Dasha-Antardasha and auspicious thoughts for the natives of Gemini/Lagna in Hindi 

मिथुन लग्न में सूर्य, बुध, शुक्र, एवं शनि ग्रहो की दशा-अन्तर्दशाये शुभ एवं फलप्रदायक रहती है। शुभस्थ सूर्य एवं बुध की दशा-अंतर्दशाओं में पैतृक संपदा एवं भाई-बहनों के सुख में वृद्धि, आय के साधनों में विस्तार, भूमि, मकान, सवारी आधी सुखों में वृद्धि तथा भाग्योन्नति मिलती है। यदि गुरु-शुक्र भी शुभ हों तो उच्च शिक्षा प्राप्ति, वैवाहिक सुख तथा स्त्री-संतान, वाहन आदि सुखों की प्राप्ति, विदेश गमन की सम्भावनाये और कार्य व्यवसाय में भी लाभ एवं उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते है।

यदि बुध, गुरु, शुक्र आदि ग्रह अशुभ भावस्थ अथवा क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो उपरोक्त सुख साधनों एवं लाभ में कमी तथा विघ्न/बाधाओ के पश्चात सफलता मिलती है।

चंद्र, मंगल, राहु, केतु, एवं शनि ग्रहों की दशा-अंतर्दशाओं का शुभाशुभ फल ग्रहों की राशि व उनकी भावस्थिति पर निर्भर करेगा।

गोचर-विचार दशान्तर्दशा के अतिरिक्त ग्रहों द्वारा फल कथन से पूर्व ग्रहों के गोचर संचार संबंधित शुभाशुभ फल कथन का भी ध्यान रखना चाहिए।

शुभाशुभ विचार 

शुभ रंग हरा, हल्का नीला, सफेद, हल्का पीला, गुलाबी, काला, सतरंगीरंग अनुकूल एवं लाभदायक रहेंगे। गहरा लाल, गहरा नीला एवं पीला व भूरे रंग से परहेज करें।

शुभ रत्न सोने की अंगूठी में पन्ना, सफेद मोती एवं हीरा में से अपने सामर्थ्य एवं आवश्यकता अनुसार धारण करें। स्त्रियों के लिए वैवाहिक सुख की दृष्टि से पुखराज धारण करना लाभप्रद रहेगा।

भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, बुधवार एवं शुक्रवार अधिक भाग्यशाली रहेंगे।

शुभांक १, ३, ५, एवं ७ भाग्यशाली रहेंगे।

भाग्योदय कारक वर्ष २५, ३०, ३२, ३४, ३९ एवं ४३ वा वर्ष भाग्योन्नति कारक रहता है।

उपासना श्री विष्णुसहस्त्रनाम तथा श्री दुर्गाशप्तशती का पाठ करना शुभ होगा। हर मंगलवार या शुक्रवार का व्रत एवं कन्यापूजन करके प्रसाद बांटना कल्याणकारी होगा। इसके अतिरिक्त मंगलवार व बुधवार को गौशाला में हरा चारा व गुड़ दान करना शुभ रहता है।

मिथुन राशि/लग्न जातको की आर्थिक स्थिति Economic status of Gemini / Ascendant people in Hindi 

मिथुन राशि/लग्न के जातकों की आर्थिक स्थिति एवं आय का अनुमान कुंडली में चंद्र-बुध-गुरु एवं शनि की शुभाशुभ स्थिति से करना चाहिए। इन ग्रहो की दशा-अन्तर्दशा में जातक को अपने कार्य व्यवसाय में विशेष धन लाभ एवं उन्नति प्राप्त होती है। मिथुन जातक के जीवन में आर्थिक उन्नति अकस्मात ना होकर क्षण-क्षण क्रम बद्ध रूप से होती है। ऐसे जातक जीवन की मध्यमावस्था में मकान, सुशील स्त्री, उच्च शिक्षा एवं वाहन आदि सुखों को प्राप्त कर लेते है।

सावधानी:- द्विस्वभाव राशि होने के कारण मिथुन जातक एक ही कार्य-व्यवसाय में एकाग्रचित होकर परिश्रम नहीं कर पाते। एक ही समय में एक से अधिक कार्यो में रूचि रखने से एक ही व्यवसाय में पूर्णतः सफलता नहीं मिल पाती और न ही मनोवांछित लाभ प्राप्त हो पाता है। अपनी इस त्रुटि को ध्यान में रखते हुए अपने कार्य क्षेत्र में चित्त की एकाग्रता नितांत आवश्यक है।

जातकों का वैवाहिक जीवन एवँ अनुकूल साथी चुनाव Marital life of natives and selection of suitable partner in Hindi 

मिथुन राशि/लग्न की जातिक/जातिकाओ के वैवाहिक जीवन की सफ़लता कुंडली मे चंद्र-गुरु की स्थिति पर अधिक निर्भर करता है। यदि चंद्र द्वितीय ओर गुरु १, ३, ५ , ९, १० या ११ वे भाव मे शुभस्थ हो, तो मनोनुकूल जीवन साथी की प्राप्ति होती है। इस ग्रह में उच्च प्रतिष्ठित एवं बुद्धिमान साथी मिलता है। विवाह के बाद पति-पत्नी दोनों के लिए विशेष भाग्योदय एवं उन्नति के योग उपलब्ध होंगे, यदि गुरु अशुभ या पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन मे कटुता एवं वैमनस्य रहेगा। परन्तु उचित उपाय करने पर स्थिति बेहतर बनने की गुंजाइश भी रहेगी।

मिथुन राशि बौद्धिक एवं वायु तत्त्व प्रधान होने से इस लग्न के जातक जातिका को भी वायु तत्त्व एवं अग्नि तत्त्व प्रधान वाले जीवन साथी के साथ परस्पर वैवाहिक संबंध स्थापित करना अधिक अनुकूल एवं लाभप्रद रहता है। अतएव मिथुन जातक को मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, धनु, कुम्भ राशि वाले जातक/जातिका को जीवन साथी के रूप में चुनना शुभ एवं लाभदायक रहेगा। अन्य राशि वालो के साथ संबंध मध्यम फलदायी रहेंगे।

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