श्री रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर
हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव के दौरान अनेक बार ऐसे मौके आते हैं जब समझ नहीं आता कि हमें कौन सा रास्ता चुनना चाहिए। इस भटकाव से उबरने के लिए श्री राम शलाका प्रश्नावली या रामायण प्रश्नावली के रूप में एक कीमती कुंजी हमें परंपरा से प्राप्त हुई है। लोक मान्यता है कि श्री राम शलाका की उत्पत्ति वाल्मीकिकृत रामायण से हुई है।
श्री रामचरित मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी प्रतिष्ठा रखता है। चाहे कैसी भी परेशानी हो, रामायण प्रश्नावली में आपके सभी प्रश्नो का जवाब छुपा है। गोस्वामी तुलसी जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस प्रश्नावली में किया है। एक एक चौपाई अलग अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के बीच माना गया है।
श्रीरामायण प्रश्नावली में नव चौपाइयों को लेकर ही हर प्रश्न का समाधान दिया गया है। इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों के हिसाब से कार्य में संदेह दिखाया गया है जो कि शनि, राहू, और केतु का फल बताती है और तीन चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना बताया है जो कि चन्द्र, वृहस्पति और शुक्र का फल हमारे सामने रखती। इसके अलावा तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति रख कर सूर्य, मंगल और बुध के गुणों को हमारे सामने रखती है।
श्री रामशलाका प्रश्नावली उपयोग विधि
इसमें कोष्ठकों में कुछ अक्षर, मात्राएँ आदि लिखे होते हैं। मान्याता है कि किसी को जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो सर्वप्रथम उस व्यक्ति को भगवान श्रीराम का ध्यान करना चाहिए। फिर अपने प्रश्न का चिंतन करते हुए श्री राम शलाका प्रश्नावली के किसी कोष्ट में अँगुली या कोई शलाका (छोटी डण्डी) रख देना चाहिए। अब श्रीरामशलाका प्रश्नावली के उस कोष्ट में लिखे अक्षर या मात्रा को किसी कोरे काग़ज़ या स्लेट पर लिख लेना चाहिए।
अब उस कोष्ट के आगे (दाहिने) और वह पंक्ति समाप्त होने पर नीचे की पंक्तियों पर बाएँ से दाहिने बढ़ते हुए उस कोष्ट से प्रत्येक नवें (9) कोष्ट में लिखे अक्षर या मात्रा को उस कागज या स्लेट पर लिखते जाना चाहिए। इस प्रकार जब सभी नवें अक्षर या मात्राएँ जोड़े जाएँगे तो श्री राम चरित मानस की कोई एक चौपाई पूरी हो जाएगी जिसमें आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
9 चौपाई आपके प्रश्नों जवाब छिपे हैं इनमे
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
यह चौपाई बालकाण्ड में श्री सीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है। फल – प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदय राखि कोसलपुर राजा।
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है। फल – भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।
उघरें अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है। फल – इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है। फल – खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।
होइ है सोई जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।
यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है। फलः-कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।
मुद मंगलमय संत समाजू।
जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है। फल – प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
गरल सुधा रिपु करय मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है। फल – प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सनमुख धरि काह न धीरा।।
यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है। फल – कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
राम लखनु सुनि भए सुखारे।।
यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है। फल – प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
श्री राम चरित मानस रुपी इस शास्त्र को बड़ी श्रद्धा के साथ पीले रंग के वस्त्र में लपेट कर घर में उचित स्थान दे नित्य प्रति पूजन करें तो यह आपके जीवन के सभी प्रश्नों का समाधान करने में सक्षम है।
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