शंखचूड़ कालसर्प योग दोष और ग्रह फल, प्रभाव शंखचूड़ कालसर्प शांति उपाय 

भारतीय ज्योतिष मे कालसर्प दोष का नवम प्रकार है शंखचूड़ नाग का जिक्र भी प्रमुख नागों के रूप में धार्मिक पुस्तकों में मिलता है. कालसर्प दोष के विषय में कहा यह जाता है कि यह उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिन्हें पूर्व के अपने कर्म के प्रायश्चित हेतु पुनर्जन्म लेना पड़ता है. शास्त्रों के अनुसार संतान का कर्तव्य है कि वह अपने पिता का आदर करे तथा उनकी मृत्यु के पश्चात शास्त्रोक्त विधि से उनका क्रिया कर्म करे तथा पितृपक्ष में पिण्ड दान दे. जो इस कर्म की अवहेलना करते हैं उनके पितृगण दु:ख पाते हैं. इनके दुखी होने से व्यक्ति को कष्ट मिलता है. ज्योतिषशास्त्र में कई ऐसे योगों का नाम लिया जाता है जो पितरो के कुपित होने से व्यक्ति की कुण्डली में बनता है. इन्हीं मे से एक योग कालसर्प भी होता है

शंखचूड़ कालसर्प कुण्डली में 

कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं जो राहु केतु की स्थिति के अनुसार अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं. शंखचूड़ कालसर्प दोष भी राहु केतु की विशेष स्थिति से बनता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नवम भाव जिसे पिता, भाग्य एवं धर्म का घर माना जाता है उसमें राहु बैठा हो एवं पराक्रम और भाई के भाव यानी तीसरे घर में केतु बैठा हो तथा शेष सातों ग्रहों एक दिशा में इन दोनों के बीच में हों तब कुण्डली को शंखचूड़ कालसर्प दोष से प्रभावित माना जाता है.

शंखचूड़ कालसर्प का प्रभाव 

ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है उसके भाग्य में अड़चनें आती हैं. इसके कारण से जीवन में धूप-छांव की स्थिति बनी रहती है. व्यक्ति की आजीविका नौकरी अथवा व्यसाय जिससे भी चलती हो उसमें स्थायित्व की कमी रहती है. इससे आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

यह दोष पिता के साथ सम्बन्धों में दूरियां लाने की कोशिश करता है अत: जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में यह योग हो उसे पिता के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. यदि किसी बात को लेकर पिता क्रोधित हों तो विवाद करने की बजाय ग़लती मानकर मुद्दे को सुलझा लेने में ही भलाई होती है. ऐसा करने से व्यक्ति पिता के मन में जगह बना पाता है. इससे भाग्य में आने वाली बाधाएं भी कम होती हैं. पिता के काम में कोई न कोई कमी ही रहती है।

भाई बंधुओं के साथ स्थिति भी कुछ तनाव दे सकती है. इस स्थान पर भाई बंधुओं की कमी भी हो सकती है. भाई बहन न हों या फिर भाई बहनों से अलग-थलग रहना पड़ सकता है. जातक को रिश्तों में अपनी ओर से अधिक प्रयास करने पड़ते हैं. अपने आप अकेले ही आगे बढ़ता है।

भाग्य भाव पर राहु केतु का प्रभाव हाने पर जातक को भाग्य से मिलने वाले फलों में कमी आना स्वाभाविक ही है. व्यक्ति स्वयं के संघर्ष से ही आगे बढ सकता है. जातक को विरोधी पक्ष की ओर से तनाव अधिक झेलना पड़ सकता है. किसी भी सफलता को पाने के लिए व्यक्ति को एक लम्बे समय तक संघर्ष भी सहना पड़ सकता है. पर अगर कुछ शुभ ग्रहों और भाग्येश की शुभ स्थिति हो तो जातक का संघर्ष कुछ कम भी होता है.

शंखचूड़ कालसर्प दोष और ग्रह फल

सूर्य शंखचूड के प्रभाव में सूर्य ग्रह के आने पर व्यक्ति व्यर्थ की भागदौड़ अधिक रह सकती है. की बार बार के प्रयत्न के बावजूद भी सफलता मिल पाने में बहुत परेशानी होती है. पिता की हेल्थ प्रभावित हो सकती है. वरिष्ठ सदस्यों के कारण परेशानी अधिक रह सकती है. यात्राओं में कष्ट अधिक रह सकता है. व्यक्ति परिश्रमी होता है. खेलकूद जैसी गतिविधियों में आगे रह सकता है।

चंद्रमा शंखचूड कालसर्प योग में चंद्रमा का प्रभाव खराब होने पर जातक कल्पनाओं में अधिक रह सकता है. इच्छाएं अधिक रहेंगी पर उन्हें पूरा कैसे करे ये समझने की कोशिश नही करेगा. यात्राएं अधिक होंगी मुख्य रुप से जलीय यात्राएं अधिक हो सकती है. शरीर में विषाक्ता का प्रभाव भी जल्द ही असर डाल सकता है।

मंगल शंखचूड कालसर्प योग में मंगल के ग्रसित होने पर जातक अत्यधिक साहसी हो सकता है पर इस कारण स्वयं के लिए नुक्सान भी कर सकता है. छोटे भाई बहनों के साथ तनाव या किसी न किसी कारण परेशानी अधिक रह सकती है. यात्राएं अधिक रह सकती हैं और रक्त विकार भी हो सकते हैं।

बुध शंखचूड कालसर्प योग में बुध के प्रभावित होने पर जातक बातों बातों में दूसरों को घूमा सकता है. चालबाजियों को कर सकता है. गलत चीजों की ओर रुझान जल्द ही होता दिखाई देता है. लेखन या किसी शौक को पूरा करने के चक्कर में पढाई खराब हो सकती है. तर्क करने में कुशल हो सकता है।

बृहस्पति शंखचूड कालसर्प योग में गुरु का राहु केतु के मध्य में होने पर व्यक्ति अपने आप में रहने वाला. शरीर में चर्बी की अधिक बढ़ सकती है. अपने विचारों को अधिक रखने वाला और अपनों का विरोधी हो सकता है. धर्म विरोधी काम कर सकता है अथवा परंपरा से हट कर काम करने में ज्यादा तत्पर रहता है।

शुक्र शंखचूड कालसर्प योग में शुक्र के प्रभावित होने पर जातक में मौज-मस्ती करने की इच्छा अधिक रहेगी. कल्पनाओं में रहने वाला होगा और अपनी मर्जी करके अधिक खुश रह सकता है. काम-काज में दूसरों के हस्तक्षेप के कारण परेशानी रहेगी. समाज और आसपास के किसी से भी उसके सम्बन्ध अच्छे नहीं रह पाते है. अपने स्वभाव में क्रोध या गुस्से के कारण लोगों के साथ वाद-विवाद की स्थिति बनी रह सकती है।

शनि शंखचूड कालसर्प योग में शनि का प्रभाव होने पर व्यक्ति में आलसीपन अधिक हो सकता है. अपने काम में लापरवाही करने वाला और पढ़ाई में सुस्त रह सकता है. अपने से वरिष्ठ जनों के साथ वैचारिक मतभेद भी रह सकते हैं. धन हानी और परेशानियां बनी रहती हैं।

शंखचूड़ कालसर्प शांति उपाय 

शंखचूड़ कालसर्प की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना लाभकारी होता है. इस दोष के अशुभ फल को कम करके भाग्य को मजबूत बनाने हेतु व्यक्ति को चांदी की अंगूठी में गोमेद रत्न धारण करना चाहिए।

पितृ पक्ष में व्यक्ति यदि पितरों के निमित्त पिण्ड दान करता है तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्रह्मणों को भोजन करवाकर दान देता है तो इससे पितृ गण प्रसन्न होते हैं फलत: कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति का बचा रहता है।

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