जानें हिन्दू १६ संस्कारो के शुभ मुहूर्त अन्न प्राशन्न मुहूर्त कर्ण भेदन मुहूर्त चूड़ाकरण अर्थात मुण्डन मुहूर्त विद्यारम्भ करने का मुहूर्त 

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है

शुभ मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है- गुरु-पुष्य योग। यदि गुरुवार को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में हो तो इससे पूर्ण सिद्धिदायक योग बन जाता है। जब चतुर्दशी सोमवार को और पूर्णिमा या अमावस्या मंगलवार को हो तो सिद्धिदायक मुहूर्त होता है। इस योग में किया गया कार्य शीघ्र ही पूरा हो जाता है। अर्थात शुभ योगों की गणना कर उनका उचित समय पर जीवन में इस्तेमाल करना ही शुभ मुहूर्त पर किया गया कार्य कहलाता है। अशुभ मुहूर्त में योगों में किया गया कार्य पूर्णत: सिद्ध नहीं होता।

शुभ मुहूर्त आपके भविष्य को बदले या न बदले, परंतु जीवन के प्रमुख कार्य शुभ मुहूर्त में करते हैं तो आपका जीवन निश्चित ही आनंददायक बन जाएगा। अत: हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए।

अन्न प्राशन्न मुहूर्त 

अन्न प्राशन्न संस्कार के बाद माँ बच्चे को दूध के साथ खाना देना आरम्भ कर देती है।

यह संस्कार लड़के लिए 6, 8 व 10 वें महीने में किया जाता है।

और लड़की के के लिए 5 ,7 ,9 व 11वें महीने में किया जाता है।

सभी स्थिर नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी उत्तराषाढ़ा एवं रोहणी

इसके अतिरिक्त सभी चर नक्षत्र स्वाति पुनर्वसु श्रवण शतभिषा धनिष्ठा इन नक्षत्रो में अन्न प्रशन्न संस्कार करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त निम्न 1,2,3,5,7,10,11,13 व 15 तिथि में एवं शुभ वार भी इस संस्कार के लिए अच्छे है।

कर्ण भेदन मुहूर्त 

पुराने जमानो में बच्चों को महामारी होने की अधिक आशंका हुआ करती थी इन सबसे निजात पाने के लिए कान छेदन का विधान था।

कान छेदन से आँख और अंडकोषों की बीमारी से बचाव हो जाता है।

इस संस्कार के लिए मुहूर्त 3, 5, 7 व 8 वें वर्ष में किया जाता है।

मृगशिरा रेवती चित्रा या अनुराधा अथवा हस्त अश्विनी पुष्य नक्षत्र में भी कान छेदन कर सकते है।

इसके लिए निम्न तिथियाँ 1, 2, 3, 5, 7, 10, 13 व 15 एवं शुभ वार भी अच्छे होते है।

चूड़ाकरण अर्थात मुण्डन मुहूर्त 

इस मुहूर्त में बच्चे के बाल उतारे जाते है तथा चोला पहनाया जाता है और बीच में छोटी सी चोटी भी छोड़ दी जाती है। इसे मुण्डन संस्कार भी कहा जाता है।

यह संस्कार पहले तीसरे या पाँचवे वर्ष में किया जाता है। दूसरे चौथे छठें वर्ष में नही करना चाहिए।

स्वाति पुनर्वसु पुष्य श्रवण धनिष्ठा शतभिषा हस्त चित्रा अश्विनी मृगशिरा ज्येष्ठा नक्षत्र शुभ होते है।

इस संस्कार के लिए जन्म राशि का लग्न और इसकी 8 वीं राशि का लग्न छोड़ दें।

विद्यारम्भ करने का मुहूर्त 

जब बच्चा पैदल चलने लगता है तो उसके पढ़ाई करने का समय शुरू हो जाता है।

बच्चे को सूर्य उत्तरायण के समय पर ही विद्यालय में प्रवेश करवाना चाहिए।

बच्चे को विद्यालय में प्रवेश के लिए द्वितीय तृतीय व पञ्चमी तिथि छठी दसवी एकादशी द्वादशी सोमवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शुभ होते है।

3 से 5 वर्ष के बीच बच्चों का स्कूल में प्रवेश कराना चाहिए।

अश्विनी रोहणी मृगशिरा आर्द्रा पुनर्वसु चित्र हस्त अनुराधा व् रेवती नक्षत्रों में प्रवेश करवा सकते है।

इसके लिए शुभ तिथि 2, 3, 5, 6,10,11 व 12 होती है ।

नोट : कोई भी शुभ कार्य करने के लिए उस दिन आपका चन्द्रमा मजबूत होना चाहिए एवं आपको अपने कार्य स्थिर लग्न में करने चाहिए

जानें कैसे बनता है शुभ मुहूर्त ? 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त निकालने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नवग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिकमास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहूकाल आदि इन्हीं के योग से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है यथा सर्वार्थसिद्धि योग। यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण

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