Somnath Temple: दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतला रहे हैं जिसका निर्माण किसने किया और यह कब बनाया गया इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं हो पाई है। जिस मंदिर को मुगलों ने कई बार लूटा, कई विदेशी ताकतों ने इस मंदिर को जड़ से उखाड़ फेंकने की नाकाम कोशिश की, कई बार इस मंदिर की संपत्ति को लूटा गया, जितना बार इस मंदिर को नष्ट करने के लिए दुष्ट पैदा हुए, उतने ही बार इस मंदिर के पुनः निर्माण के लिए पुण्य आत्माओं ने जन्म लिया।
सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है। मंदिर के प्रांगण में रात 7:30 से लेकर 8:30 बजे तक 1 घंटे का साउंड लाइट शो चलता है। जिसमें सोमनाथ मंदिर का बड़ा ही सुंदर तरीके से सचित्र वर्णन किया जाता है। लोक कथाओं के अनुसार यहीं पर भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी ज्यादा महत्व बढ़ गया।
हमेशा विदेशियों के निशाने पर रहा यह पवित्र सोमनाथ मंदिर
1. 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है, जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है।
2. निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने करवाया गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने करवाया था।
3. 17 बार नष्ट हुआ सोमनाथ मंदिर इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।
4. ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख सोमनाथ मंदिर सोमनाथ का बारह ज्योतिर्लिगों में सबसे प्रमुख स्थान है। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है। जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
5. श्रीकृष्ण ने किया देहत्याग लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया।
6. सुन्दर कृष्ण मंदि रऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब एक शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था जिस कारण कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बडा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।
7. कथा के अनुसार सोमनाथ मंदिर प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में बताए कथानक के अनुसार सोम अर्थात् चंद्र ने, दक्ष प्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था। लेकिन उनमें से रोहिणी नामक अपनी पत्नी को अधिक प्यार व सम्मान दिया करता था।
8. चन्द्रदेव को दिया श्राप शेष कन्याओं ने इसकी शिकायत अपने सम्राट पिता दक्ष प्रजापति से की। अपनी अन्य कन्याओं पर होते हुए अन्याय को देखकर क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्रदेव को शाप दे दिया कि अब से हर दिन तुम्हारा तेज (कांति, चमक) क्षीण होता रहेगा।
9. दु:खी सोम फलस्वरूप हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा। शाप से विचलित और दु:खी सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी।
10. प्रभु शिव का स्थापन अंततः शिव प्रसन्न हुए और चंद्र के श्राप का निवारण किया। सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव का स्थापन यहां करवाकर उनका नामकरण हुआ “सोमनाथ”।
11. अस्तित्व में था मान्यता है कि यहां एक मंदिर ईसा पूर्व से ही अस्तित्व में था जिस जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया।
12. गवर्नर जुनायद ने सेना भेजी आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी।
13. सोमनाथ मंदिर पर हमला अरब यात्री अल-बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 में कुल 5000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। उस समय 50000 लोग मंदिर के अंदर हाथ जोड़कर पूजा-अर्चना कर रहे थे, प्रायः सभी कत्ल कर दिए गए।
14. 1869 में सोमनाथ मंदिर के अवशेष इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्ज़ा किया तो इसे पांचवीं बार गिराया गया।
15. सोमनाथ मंदिर मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः सन् 1706 ई. में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और 1 दिसंबर, 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
16. रियासत का मुख्य नगर 1948 में प्रभासतीर्थ प्रभास पाटण के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी। यह जूनागढ रियासत का मुख्य नगर था। लेकिन 1948 के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया।
17. शिवलिंग खंडित मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा। लेकिन सन 1026 में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खंडित किया, वह यही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 ई. में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया।
18. गजनवी ने की थी लूटपाट इसके बाद कई बार मंदिर और शिवलिंग खंडित किया गया। बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं। महमूद गजनी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था।
19. कुमार पाल ने बनवाया था अन्तिम मंदिर सोमनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित नवीन मंदिर स्थापित है। राजा कुमार पाल द्वारा इसी स्थान पर अन्तिम मंदिर बनवाया गया था।
20. ब्रह्मशिला पर शिव सौराष्ट्र के मुख्यमन्त्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबर ने 19 अप्रैल, 1940 को यहां उत्खनन कराया था। इसके बाद भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित किया।
21. ज्योतिर्लिंग स्थापित सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई, 1950 को मंदिर की आधार शिला रखी तथा 11 मई, 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिंग स्थापित किया। नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया।
22. दिग्विजय द्वार 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया। इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। सोमनाथ मंदिर के निर्माण में पटेल का बडा योगदान रहा।
23. पार्वती जी का मंदिर मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। मंदिर के पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है।
24. पितृगणों के श्राद्ध सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया है। यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मों के लिए भी प्रसिद्ध है।
25. सरस्वती का महासंगम चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।
26. हनुमानजी का मंदिर मंदिर नं. 1 के प्रांगण में हनुमानजी का मंदिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर हैं।
27. जल समाधि अघोरेश्वर मंदिर नं. 6 के समीप भैरवेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, दुखहरण जी की जल समाधि स्थित है। पंचमुखी महादेव मंदिर कुमार वाडा में, विलेश्वर मंदिर नं. 12 के नजदीक और नं. 15 के समीप राममंदिर स्थित है।
28. हाटकेश्वर मंदिर नागरों के इष्टदेव हाटकेश्वर मंदिर, देवी हिंगलाज का मंदिर, कालिका मंदिर, बालाजी मंदिर, नरसिंह मंदिर, नागनाथ मंदिर समेत कुल 42 मंदिर नगर के लगभग दस किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित हैं।
29. शशिभूषण मंदिर वेरावल प्रभास क्षेत्र के मध्य में समुद्र के किनारे शशिभूषण मंदिर, भीडभंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ हैं। भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की 65वीं बैठक के अलावा कई अन्य प्रमुख मंदिर हैं।
30. महमूद के हमले के बाद प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर के समयकाल में अन्य देव मंदिर भी थे। इनमें शिवजी के 135, विष्णु भगवान के 5, देवी के 25, सूर्यदेव के 16, गणेशजी के 5, नाग मंदिर 1, क्षेत्रपाल मंदिर 1, कुंड 19 और नदियां 9 बताई जाती हैं। एक शिलालेख में विवरण है कि महमूद के हमले के बाद इक्कीस मंदिरों का निर्माण किया गया। संभवत: इसके पश्चात भी अनेक मंदिर बने होंगे।
31. सोमनाथ से करीब प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारका सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां भी प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
32. पवित्र गोमती नदी यहां गोमती नदी है। इसके स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस नदी का जल सूर्योदय पर बढ़ता जाता है और सूर्यास्त पर घटता जाता है, जो सुबह सूरज निकलने से पहले मात्र एक-डेढ़ फीट ही रह जाता है।
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