सोमवती अमावस्या विशेष: जानें सोमवती अमावस्या पूजा विधि महत्व और कथा

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार चंद्र देवता कों समर्पित दिन है,भगवन चंद्र को मन का कारक माना जाता है अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है की यह दिन मन सम्बन्धित दोषो को दूर करने के लिए उत्तम है। हमारे शास्त्रो में चंद्रमा को ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टो का कारक माना जाता है,अतः यह पूरे वर्ष में एक या दो बार ही पड़ने वाले पर्व का बहुत अधिक महत्त्व माना जाता है। विवाहित स्त्रियों के द्वारा इस दिन पतियों की दीर्घ आयु के लिये व्रत का विधान है।

सोमवती अमावस्या कलयुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है,लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी पौराणिक एवं शास्त्रीय कारण है।सोमवार को भगवन शिव एवं चंद्र का दिन माना जाता है।सोम यानि चन्द्रमा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानि सोमांश या अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है।

शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है।

सोमवती अमावस्या के महत्व के बारे में पुराणों के मुताबिक सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान करने की परंपरा है. सोमवती अमावस्या के दिन वैसे को गंगा स्नान करने का विशेष महत्व होता है लेकिन यदि गंगा स्नान न हो सके तो किसी भी नदी में स्नान कर शिव-पार्वती और तुलसी जी पूजा करना चाहिए. इस दिन शिव-पार्वती और तुलसी जी की पूजा करना लाभदायक माना गया है

सोमवती अमावस्या पूजा विधि: 

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। यदि आप उपवास रख रहे हैं, तो पूजा करते समय इसका संकल्प लें, उसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। पितरों के निमित्त तर्पण करें। साथ ही जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें। हो सके, तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू या फिर तुलसी के पेड़ का वृक्षारोपण भी करना चाहिए।

सोमवती अमावस्या का महत्व: 

सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. ऐसी भी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने और पितरों के निमित्त दान करने से पूरे परिवार के ऊपर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में पितृदोष है तो सोमवती अमावस्या का दिन कुंडली के पितृदोष निवारण का बहुत उत्तम दिन माना गया है.

अमावस्या अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव पुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान् शिव ने माँ पार्वती को समझाया था।क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है अमा का अर्थ है एकत्रित करना और वास को वस्या कहा गया है।यानि जिसमे सभी वास करते हो वह अति पवित्र अमावस्या कहलाती है यह भी कहा जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तो को अमृत की प्राप्ति होती है।

निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान का पूण्य मिलता है।

शास्त्रो के अनुसार पीपल की परिक्रमा करने से, सेवा पूजा करने से, पीपल की छाया से, स्पर्श करने से समस्त पापो का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है व आयु में वृद्धि होती है।

पीपल के पूजन में दूध, दही, मिठाई, फल, फूल, जनेऊ, का जोड़ा चढाने से और घी का दीप दिखाने से भक्तो की सभी मनोकामनाये पूरी होती है। कहते है की पीपल के मूल में भगवान विष्णु तने में शिव जी तथा अगर भाग में ब्रह्मा जी का निवास है। इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पूण्य लाभ तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन आदि से पूजा और पीपल के चारो और 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और हर परिक्रमा में कोई भी मिठाई या फल चढाने से विशेष लाभ होता है। ये सभी 108 फल या मिठाई परिक्रमा के बाद ब्राह्मण या निर्धन को दान करे।इस प्रक्रिया को कम से कम 3 सोमवती तक करने से सभी समस्याओ से मुक्ति मिलती है। इस प्रदक्षिणा से पितृ दोष का भी निश्चित समाधान होता है।

इस दिन जो भी स्त्री तुलसी या माँ पार्वती पर सिंदूर चढ़ा कर अपनी मांग में लगाती है वह अखंड सौभाग्यवती बनी रहती है।

जिन जातको की जन्म पत्रिका में कालसर्प दोष है।वे लोग यदि सोमवती अमावस्या पर चांदी के बने नाग-नागिन की विधिवत पूजा कर उन्हें नदी में प्रवाहित करे, शिव जी पर कच्चा दूध चढाये,पीपल पर मीठा जल चढ़ा कर उसकी परिक्रमा करें, धुप दीप दिखाए, ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान दक्षिणा दे कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करे तो निश्चित ही काल सर्प दोष की शांति होती है।

इस दिन जो लोग व्यवसाय में परेशानी उठा रहे है,वे पीपल के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का कम से कम 5 माला जप करे तो व्यवसाय में आ रही दिक्कते समाप्त होती है। इस दिन अपने पितरों के नाम से पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख, सौभग्य, पुत्र की प्राप्ति होती है, एव पारिवारिक कलेश दूर होते है।

1. इस दिन पवित्र नदियो में स्नान, ब्राह्मण भोज, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है।

2. माँ गंगा या किसी पवित्र सरोवर में स्नान कर शिव-पार्वती एवं तुलसी की विधिवत पूजा करें।

3. भगवान् शिव पर बेलपत्र, बेल फल, मेवा, मिठाई, जनेऊ का जोड़ा आदि चढ़ा कर ॐ नमः शिवाय की 11 माला करने से असाध्य कष्टो में भी कमी आती है।

4. प्रातः काल शिव मंदिर में सवा किलो साबुत चांवल दान करे।

5. सूर्योदय के समय सूर्य को जल में लाल फूल,चन्दन डाल कर गायत्री मन्त्र जपते हुए अर्घ देने से दरिद्रता दूर होती है।

6. सोमवती अमावस्या को तुलसी के पौधे की ॐ नमो नारायणाय जपते हुए 108 बार परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है।

7. जीन लोग का चन्द्रमा कमजोर है वो गाय को दही और चांवल खिलाये अवश्य ही मानसिक शांति मिलेगी।

8. मन्त्र जप, साधना एवं दान करने से पूण्य की प्राप्ति होती है।

9. इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा, कानूनी विवाद, आर्थिक परेशानियो और पति-पत्नी सम्बन्धि विवाद के समाधान के लिए किये गए उपाय अवश्य ही सफल होते है।

10. इस दिन धोबी-धोबन को भोजन कराने,उनके बच्चों को किताबे मिठाई फल और दक्षिणा देने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है।

11. सोमवती अमावस्या को भांजा, ब्राह्मण, और ननद को मिठाई, फल,खाने की सामग्री देने से उत्तम फल मिलाता है।

12. इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।

13. सोमवती अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है।

14. अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राषि में रहे, तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए।

इस दिन क्या है वर्जित 

माना जाता है कि जिस प्रकार इस दिन कुछ कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, तो वहीं कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिन्हें इस दिन वर्जित माना गया है। :

1. अमावस्या के दिन श्मशान घाट पर जाना निषेध माना जाता है, माना जाता है कि इस दिन नकारात्क शक्तियां जागृत होती हैं।

2. सोमवती अमावस्या के दिन देर तक नींद लेना वर्जित है

3. दंपत्ति इस दिन संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

4. अमावस्या के दिन पीपल को छूना वर्जित है। क्योंकि शनिवार के अलावा किसी भी दिन पीपल को छूना वर्जित माना गया है।

5. इस दिन मांसहार वर्जित है।

6. इस दिन बाल काटने, दाढ़ी बनाने या नाखून काटने की भी मनाही होती है।

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