Vibhuvan Sankashti Chaturthi : सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखते हैं विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि महत्व कथा और आरती 

अधिकमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. ये व्रत 3 साल में एक बार आता है विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है, संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। यह व्रत संकटनाशक है, यह व्रत करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं, व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसी विघ्न बाधा के पूरे हो जाते हैं। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण कर के भगवान गणेश की तिल, गुड़, लडडू, फूल, धूप, चन्दन, केला या नारियल अर्पित कर पूजा की जाती है। इस दिन गणपति अथर्वशीर्ष और गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए और गणपति जी को लाल और पीले फूल अर्पित करें।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा का महत्व (Vibhuvan Sankashti Chaturthi Puja Significance)

अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित हैं और इस साल अधिकमास सावन में आया है. कहते हैं अधिकमास में गणपति की पूजा करने से घर में जल्द मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं. गणपति की कृपा से विवाह, संतान प्राप्ति और आर्थिक तरक्की में आ रही बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती है. घर में बरकत के साथ घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है

विभुवन संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Vibhuvan Sankashti Chaturthi Puja Method) 

1. संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा अत्यंत सरल है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें।

2. घर की पूर्व दिशा को साफ कर वहां पर एक साफ चौकी रखें।

3. उस चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर कुमकुम से‌ स्वास्तिक बनाएं। फूलों और अक्षत यानी चावल से स्वास्तिक का पूजन करें।

4. फिर भगवान गणेश की प्रतिमा या फोटो को कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं।

5. फूलों का हार चढ़ाकर दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। हाथ जोड़कर भगवान गणेश का ध्यान करें।

6. गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, गणेश स्तोत्र और गणेश मंत्रों के साथ पूजा करें।

7. इसके बाद भगवान गणेश की आरती कर पूजा संपन्न करें। पूजा के बाद उन्हें लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।

8. व्रत के दिन शाम को भी इसी विधि से पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।

भगवान गणेश की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एक दंत दयावंत चार भुजा धारी। मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। मोदक का भोग लगे संत करें सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

दीनन की लाज राखो, शंभू पुत्रवारी। मनोरथ को पूरा करो, जाऊं बलिहारी।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Vibhuvana Sankashti Chaturthi Vrat Katha)

नारद पुराण में इस कथा का वर्णन किया गया है। इस पुराण में यह बताया गया है कि किस विधि से संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाना चाहिए और इस व्रत के दौरान किस कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए। विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा कुछ इस प्रकार है कि प्राचीन काल में जब पांडव द्रौपदी के साथ जंगलों में रहने को मजबूर थे।

उस समय उन्होंने महर्षि वेदव्यास से यह प्रश्न किया कि प्रभु हमारे दुखों का अंत कैसे होगा? इतने अधिक समय से हम पांचों पांडव और हमारी अर्धांगिनी द्रौपदी दुख भोगते आ रहे हैं। अब इन कष्टों भरे जीवन से हमें उबारने के लिए कोई रास्ता बताएं।

इस पर महर्षि वेदव्यास ने यह उत्तर दिया कि अधिक मास में आने वाले विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत को परम पावन माना जाता है। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। यह व्रत विभुवन पालक भगवान गणेश को समर्पित हैं।

जो व्यक्ति इस दिन भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सभी दुख दूर होते हैं। इसलिए आप सभी यह व्रत कीजिए। वेदव्यास जी के कहने पर पांडवों ने द्रौपदी समेत यह व्रत किया और उन्हें सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिली।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी ज्योतिष उपाय (Vibhuvan Sankashti Chaturthi Astrology Remedy) 

1. वास्तु दोष निवारण उपाय 

यदि आपके वर्कप्लेस पर वास्तु दोष और उसके कारण आपकी उन्नति नहीं हो रही है तो वहां पर गणेश जी की मूर्ति लगाएं, जिसमें बप्पा अपने दोनों पैरों पर खड़े हों. ऐसे ही घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए बैठे हुए गणपति बप्पा की मूर्ति या तस्वीर लगानी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की पीठ किसी को दिखाई न दें

2. धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि के लिए 

विभुवन संकष्टी चतुर्थी पर पूजा के समय धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. फिर उसके बाद ओम श्रीं ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः मंत्र का कम से कम 11 माला का जाप करना चाहिए.

3. कार्य में सफलता के लिए 

विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन आप गणेश स्थापना करके गणपति बप्पा की पूजा करें. उनको गेंदे का फूल, उसकी माला, गुड़, मोदक आदि अर्पित करें. दूर्वा चढ़ाएं और सर्वमनोकामना पूर्ति गणेश मंत्र ओम गं गणपतये नम: का जाप करें. इससे आपके कार्य सफल होंगे. विघ्न और बाधाएं दूर हो जाएंगी

4. जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करने के लिए 

इस दिन भक्तों द्वारा भगवान गणेश की आराधना करी जाती है गणेश पुराण के अनुसार विजय गणपति भगवान गणेश के 14वें अवतार हैं विजय गणपति का चित्रण लाल रंग में मूषक पर सवार हुए किया जाता है उनकी चार भुजाएं हैं और वह अपनी भुजाओं में में सुनहरे रंग का आम, फंदा, एक दांत, एवं अंकुश धारण किये रहते हैं ऐसी मान्यता है कि भक्तजन जो भगवान गणेश के इस रूप की आराधना करते हैं उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है

विजय गणपति मंत्र:

पशंकुषा स्वधान्ताम्र फलावन अखुवाहनाह

विघ्नं निहन्तु नाह सर्वम रक्तावर्नो विनायकः 

अर्थ: वह जो लाल रंग के हैं, वह जो मूषक की सवारी करते हैं वह जिनकी चार भुजाएं हैं और जो अपनी भुजाओं में, दांत, फंदा, सुनहरा आम एवं अंकुश लिए रहते हैं मैं उन विजय गणपति को नमन करता हूँ

ऐसी मान्यता है कि भक्तजन जो इस मंत्र का जाप 108 बार करते हैं उन्हें जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

5. कष्टों से मुक्ति के लिए 

इस दिन कम से कम 108 बार ‘ॐ गं गणपतये नमः’मंत्र का जाप भी अवश्य करना चाहिए. इससे जीवन के सभी कष्ट और कलेश भी दूर होते हैं. इसके अलावा भगवान गणेश का आशीर्वाद भी मिलता है. भगवान गणेश की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए

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