निःसंतान औरतों के लिए सरल आयुर्वेदिक औषधियां 

गर्भ धारण 

जो औरतें सहज रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाती है उनके लिए आयुर्वेद में कुछ उपचार बताए गये हैं जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो गर्भ स्थापित हो सकता है ऐसे ही कुछ चुनिन्दा नुस्खे आपको बता रहा हूँ जो सहज और सरल है और प्रयोग में लिया जा सकता है

गर्भधारक उपाय 

1. एक चम्मच असगंध का चूर्ण, एक चम्मच देशी घी के साथ मिलाकर मिश्री मिले हुए दूध के साथ मासिक धर्म के छठे दिन से पुरे माह पीने से बंध्यापन दूर होकर गर्भधारण होता है ! यह प्रयोग सुबह खाली पेट प्रयोग करना चाहिए और जब तक लाभ ना हो तब तक दोहराते रहना चाहिए

2. अपामार्ग की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ ऋतुकाल के बाद 21 दिनों तक सेवन करने से गर्भ धारण होता है

3. अशोक के फूल दही के साथ नियमित रूप से सेवन करते रहने से भी गर्भ स्थापित होता है

4. नीलकमल का चूर्ण और धाय (धातकी) के पुष्पों का चूर्ण समभाग मिलाकर ऋतुकाल प्रारम्भ होने के दिन से 4 दिनों तक नियमित रूप से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से गर्भधारण होता है ! प्रयोग असफल होने अगले ऋतुकाल से पुनः दोहराए

5. पीपल के सूखे फलों का चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ मासिक धर्म शुरू होने के पांचवें दिन से दो हफ्ते तक सुबह शाम प्रयोग करने से गर्भधारण होता है।

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संतान प्राप्ति के कुछ आसन से सरल उपाय 

1. मंत्रसिद्ध चैतन्य पीली कौड़ी को शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक बंध्या स्त्री की कमर में बाँधने से उस निःसंतान स्त्री की गोद शीघ्र ही भर जाती है।

2. बरगद के पत्ते पर कुमकुम द्वारा स्वास्तिक का निर्माण करके उस पर चावल एवं एक सुपारी रखकर किसी देवी मंदिर में चढ़ा दें। इससे भी संतान सुख की प्राप्ति यथाशीघ्र होती है।

3. घर से बाहर निकलते समय यदि काली गाय आपके सामने आ जाए तो उसके सिर पर हाथ अवश्य फेरें। इससे संतान सुख का लाभ प्राप्त होता है।

4. भिखरियो को गुड दान करने से भी संतान सुख प्राप्त होता है।

5. विवाहित स्त्रियाँ नियमित रूप से पीपल की परिक्रमा करने और दीपक जलाने से उन्हें संतान अवश्य प्राप्त होती है।

6. श्रवण नक्षत्र में प्राप्त किये गए काले एरंड की जड़ को विदिपूर्वक कमर में धारण करने से स्त्री को संतान सुख अवश्य मिलता है।

7. रविवार के दिन यदि विधिपूर्वक सुगन्धरा की जड़ लाकर गाय के दूध के साथ पीसकर की स्त्री खावें तो उसे अवश्य ही संतान सुख मिलता है।

8. संतान सुख प्राप्ति का एक उपाय यह भी है की गेंहू के आटे की गोलियां बनाकर उसमे चने की दाल एवं थोड़ी सी हल्दी मिलाकर गाय को गुरुवार के दिन खिलाये।

9. चावलों की धोबन मे नींबू की जड़ को बारीक पीसकर स्त्री को पिलाने के उपरान्त यदि एक घंटे के भीतर स्त्री के साथ उसके पति द्वारा सहवास-क्रिया की जाए तो वो स्त्री निश्चित रूप से कन्या को ही जन्म देती है ये प्रयोग तब किया जाना चाहिए जब कन्या की चाहना बहुत अधिक हो।

10. यदि संतानहीन स्त्री ऋतुधर्म से पूर्व ही रेचक औषधियों (दस्तावर दवाओं) के द्वारा अपने उदार की शुद्धि कर लेने के पश्चात गूलर के बन्दा को श्रद्धापूर्वक लाकर बकरी के दूध के साथ पीए और मासिक धर्म की शुद्धि के उपरान्त सेवन करे तो पुत्र रतन की ही प्राप्ति होगी।

11. पुष्य नक्षत्र में असगंध की जड़ को उखाड़कर गाय के दूध के साथ पीसकर पीने और दूध का ही आहार ऋतुकाल के उपरांत शुद्ध होने पर पीते रहने से उस स्त्री की पुत्र-प्राप्ति की अभिलाषा अवश्य ही पूरी हो जाती है।

12. रविवार को पुष्य नक्षत्र में आक (मदार ) की जड़ बंध्या स्त्री की कमर में बाँध दे इससे गर्भधारण करके वह संतान को जन्म अवश्य ही देगी।

13. पति-पत्नी दोनो अथवा दोनो में से की भी आस्था और श्रद्धाभाव से भगवान श्रीकृष्ण का एक बालरूपी चित्र अपने कक्ष में लगाकर प्रतिदिन 108 बार निम्न मन्त्र का जप पुरे एक वर्ष तक करें। उसकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण हो जाएगी मंत्र ये है –

देवकी सूत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।

देहि में तनयं कृष्ण त्वामह शरणंगता। 

डिसक्लेमर

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