क्यों चढ़ाए जाते हैं पूजा-पाठ में अक्षत ? जानें इसका कारण
हिन्दू धर्म में चावल यानि अक्षत का विशेष महत्व है। देवी-देवताओं को पूजा में अक्षत चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जो आज तक निरंतर चली आ रही है। माना जाता है कि अक्षत के बिना की गई पूजा अधूरी होती है। अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। शास्त्रों में अन्न और हवन का विशेष महत्व माना जाता है। हिन्दू पुराणों में पूजा के समय चावल या अक्षत चढ़ाने का उल्लेख मिलता है, जिसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। अलग-अलग धर्मों के लोग अपने भगवान या इष्ट देव की पूजा भी अलग-अलग विधान से करते हैं।
मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं। वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते हैं। वहीं भगवान को हमेशा ऐसे अक्षत समर्पित किए जाते हैं, जो खंडित न हों। आइए आज आपको बताते हैं पूजा में अक्षत का महत्व।
चावल को सबसे शुद्ध अनाज माना जाता है क्योंकि ये धान के अंदर बंद होता है औऱ कोई पशु-पक्षी इसको झूठा नहीं कर पाते। हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान चावल चढ़ाने का विशेष महत्त्व होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा में कोई सामग्री न हो तो चावल उसकी कमी पूरी कर देता है।
ध्यान रखें ये बातें
जब भी पूजा की जाती है तो भगवान को अर्पित करने वाला चावल हमेशा साबुत होना चाहिए। टूटे चावल से भगवान की पूजा नहीं की जाती है। अक्षत को अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
चावल का रंग सफ़ेद होने के कारण इसे शांति का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता है कि धरती पर सबसे पहले अक्षत यानि कि चावल की खेती की गई थी। इसलिए चावल को पहला अन्न मानकर भगवान को अर्पित किया जाता है। हिन्दू धर्म में कोई न कोई चीज़, किसी न किसी भगवान को चढ़ाना निषेध माना जाता है, लेकिन अक्षत ही एक ऐसी खाद्ध सामग्री है जो हर देवी – देवता को चढ़ाया जा सकता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार
पौराणिक शास्त्रों में अन्न और हवन का विशेष महत्त्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त होते हैं, और ऐसा करने से भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं, साथ ही साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति अक्षत को कुमकुम में मिलाकर भगवान को अर्पित करता है, उसकी पूजा और मन में लिया गया संकल्प, जल्द ही पूर्ण होते हैं।
कहते हैं कि घर में माता अन्नपूर्णा को चावल के ढेर में स्थापित किया जाए तो घर में कभी धन और वैभव की कमी नहीं होती। भगवान शंकर के शिवलिंग पर चावल अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सौभाग्य प्रदान करते हैं।
अक्षत के ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिष में अक्षत (चावल) का महत्व
ज्योतिष में अक्षत को शुक का अन्न माना गया है। शुक ग्रह भौतिक सुख-सुविधा को प्रदान करने वाला ग्रह है, इसलिए घर में चावल को कभी पूरी तरह खत्म नहीं होने देना चाहिए। चावलों का बर्तन हमेशा भरा हुआ रखना चाहिए। घर में मंदिर में भी अक्षत अवश्य रखने चाहिए। इससे घर में समृद्धि बनी रहती है।
पीले चावल के इस उपाय से दूर हो सकती है पैसों की तंगी
कई बार अकारण ही हमारे बने-बनाये काम अटक जाते हैं, इसका कारण पितृ दोष भी हो सकता है। इस परेशानी से बचने के लिए केसर युक्त चावल की खीर बनाएं और गरीबों को बांट दें। किसी शुभ कार्य से पहले देवी-देवताओं को जरूर आमंत्रित किया जाता है। आमंत्रण में थोडे-से पीले चावल भी रखें। इससे आपके सभी कार्य बिना किसी रुकावट के दूर हो सकते है।
अक्षत चावल से करें शुक्र ग्रह को मजबूत
वास्तु शास्त्र के अनुसार चावल का पात्र कभी खाली नहीं रखना चाहिए। चावल का संबंध शुक ग्रह से बताया गया है। शुक्र ग्रह के पुष्ट होने से भौतिक सुख-सुविधाओं का विकास होता है। लेकिन अगर चावल का पात्र खाली हो जाए तो उसमें शुक्र कमजोर होता है। जिससे कई तरह की बाधाएं आती हैं।
किचन में खत्म ना होने दें अक्षत चावल
चावल: चावल शुभता की निशानी होती है इनका किचन में होना बहुत जरूरी है। हमेशा किचन में चावल खत्म होने से पहले मंगवा लें, पूरी तरह से चावल खत्म होने से शुक्र ग्रह बुरा असर देने लगते हैं, इससे पैसे की तंगी होती है।
आटाः किचन में कभी भी आटा खत्म होने से पहले मंगवा ले, इसका खत्म होना अशुभ होता है, यह गरीबी और बेरोजगारी बढाती है।
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