भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजन से जीवन में कभी भी दुःख की अनुभूति नहीं होती है। अनिष्टकारक दुर्योगों में शिवलिंग के अभिषेक मात्र से भगवान महाकालेश्वर तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। सभी ग्रहजन्य बाधाएं दूर हो जाती हैं, अपमृत्यु भाग जाती है और सभी प्रकार के सुखभोग प्राप्त हो जाते हैं। शिवलिंग के अर्चना से मनुष्य को भूमि, विद्या, पुत्र ,धन, निरोगी काया एवं सभी सुखो की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में बताए अलग-अलग पदार्थ का चढ़ावा सुख-सौभाग्य व धन सहित कई मनचाहे फल देने वाला माना गया है।
बिल्व पत्र
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त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्र च त्रियायुधम।
त्रिजन्म पाप संहारम बिल्व पत्र शिवार्पणम।।
भगवान शिव को जो पत्र-पुष्प प्रिय हैं उनमें बिल्वपत्र प्रमुख है। श्रावण मास में बिल्वपत्र को शिव पर अर्पित करने से धन-संपदा, ऎश्वर्य प्राप्त होता है। लिंग पुराणानुसार “बिल्व पत्रे स्थिता लक्ष्मी देवी लक्षण संयुक्ता” अर्थात बिल्व पत्र में लक्ष्मी का वास माना जाता है। बिल्व वृक्ष को श्री वृक्ष भी माना जाता है। ऋग्वेदोक्त श्री सूक्त के अनुसार मां लक्ष्मी के तपोबल से बिल्वपत्र उत्पन्न हुआ, जो दरिद्रता को दूर करने वाला है। यह न केवल बाहरी बल्कि भीतरी दरिद्रता को भी दूर करने में समर्थ है। भगवान शिव की पूजा में पुष्पों का अभाव होने पर बिल्वपत्र चढ़ाने से भी शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं। बिल्वपत्र को हमेशा शिवलिंग पर उल्टा चढ़ाना चाहिए। श्रावण मास में सहस्त्र बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से शीघ्र ही समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
रूद्राक्ष धारण करें
पौराणिक मान्यतानुसार भगवान शंकर के नेत्रों से आंसू की बूंदे टपकी, जो पृथ्वी पर गिरकर रूद्राक्ष के रूप में परिवर्तित हो गई। शंकर (रूद्र) की आंखों (अश्रु) से उत्पन्न होने के कारण ही इस वृक्ष के फल को रूद्राक्ष कहा गया। रूद्राक्ष भगवान शंकर को अत्यधिक प्रिय हैं। इसीलिए मान्यता है कि रूद्राक्ष में स्वयं भगवान शंकर का निवास है। रूद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आयुर्वेद के अनुसार रूद्राक्ष कफ निवारक व वायुविकार नाशक भी है। रूद्राक्ष का उपयोग ग्रहों के कुप्रभावों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। जिस प्रकार रत्न व उपरत्न से ग्रहों के दोष दूर होते हैं उसी प्रकार रूद्राक्षों से भी ग्रहों के दोषों का निवारण संभव होता है।
पारद शिवलिंग की करें आराधना
पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित करके उसे ठोस बनाकर शिवलिंग बनाया जाता है। करोड़ों शिवलिंगों की पूजा से जो फल प्राप्त होता है उससे भी अधिक गुनाफल पारद शिवलिंग की पूजा करने से प्राप्त होता है। गरूड़ पुराण में पारद शिवलिंग को ऎश्वर्यदायक कहा है। इसकी पूजा करने से धन, असीम ज्ञान व ऎश्वर्य प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यतानुसार रावण ने भी पारद शिवलिंग के निर्माण एवं उसकी पूजा उपासना कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। पारद शिवलिंग का निर्माण विशेष मुहूर्त में किया जाता है। श्रावण मास में पारद शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करके घर पर नित्य पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कावड़ यात्रा पर जाएं
श्रावण मास में भगवान शिव को रिझाने के लिए भक्त कावड़ यात्रा करते हैं। मान्यतानुसार पवित्र सरोवर या प्राचीन नदी के जल को लेकर पैदल चलकर शिव को रिझाने के लिए जल से अभिषेक एवं संपूर्ण श्रावण मास का व्रत करें। कावड़ लाकर भोले नाथ का जलाभिषेक करने की शुरूआत कब और कहां से हुई कुछ ठीक तरह से कहना मुश्किल है। पर यह जरूर है कि भगवान परशुराम पहले कावडिए थे, जिन्होंने गंगा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
अरिष्ट नाश के लिए
जन्म कुंडली में अष्टम भाव आयु का है। इससे भी अष्टम भाव तृतीय भाव भी आयु का स्थान है। इनसे बारहवें भाव, द्वितीय एवं सप्तम भाव दोनों मारक भाव हैं। इस भाव में स्थित ग्रह एवं भाव के स्वामी मारकेश होते हैं। इन स्थानों में स्थित कू्रर ग्रह के कारण उत्पन्न होने वाले अरिष्ट आयु में कमी, रोग आदि प्रदान करते हैं। भगवान शिव स्वयं काल हैं, जिन्होंने काल पर विजय प्राप्त की है। मृत्यु को अपने अधीन किया। इसलिए उन्हे मृत्युंजय भी कहते हैं। जिन्हें अरिष्ट व मारकेश की दशा चल रहीं हो वे भगवान शिव की आराधना करें।
नव ग्रहों की शांति के लिए शिवाभिषेक
सूर्य भगवान शिव पर जल से अभिषेक करें।
चंद्र कच्चे दूध में काले तिल डालकर अभिषेक करें।
मंगल गिलोए की बूटी के रस से अभिषेक करें।
बुध विधारा की बूटी के रस से अभिषेककरें।
बृहस्पति कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर अभिषेक करें।
शुक्र पंचामृत से अभिषेक करें।
शनि गन्ने के रस से अभिषेक करें।
राहु-केतु भांग से अभिषेक करें।
शिव गायत्री मंत्र से होते है दोष निवारण
जातक को यदि जन्म पत्रिका में कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु तथा शनि से पीड़ा है या ग्रहण योग है या फिर मानसिक रूप से विचलित रहते हैं, उन्हें भगवान शिव की गायत्री मंत्र से आराधना करना चाहिए। क्योंकि कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु-केतु को पाप-पुण्य संचित करने और शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है। इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीडित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेवजी उस जातक की पीड़ा दूर कर सुख पहुंचाते हैं। भगवान शिव की शास्त्रों में कई प्रकार की आराधना वर्णित है लेकिन शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है।
मंत्र
ॐ तत्पुरूषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात।
इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। इसी के साथ सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे। शिवजी के सामने घी का दीपक लगाएं। जब भी यह मंत्र करें एकाग्रचित्त होकर करें, पितृदोष एवं कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को यह मंत्र प्रतिदिन करना चाहिए। सामान्य व्यक्ति भी करे तो भविष्य में कष्ट नहीं आएगा। इस जाप से मानसिक शांति, यश, समृद्धि, कीर्ति प्राप्त होती है। शिव की कृपा का प्रसाद मिलता है।
इसके अतिरिक्त निम्न वस्तुओं को चढ़ाने से विभिन्न फल मिलते है।
दूध
शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
दही
शिवलिंग पर दही अर्पित करने से हमें जीवन में हर्ष और उल्लास की प्राप्ति होती है।
शहद
शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से रूप और सौंदर्य प्राप्त होता है। वाणी में मिठास रहती है। समाज में लोकप्रियता बढ़ती है।
घी
शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज की प्राप्ति होती है।
शक्कर
शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
ईत्र
शिवलिंग पर ईत्र चढ़ाने से धर्म की प्राप्ति होती हैं।
सुगंधित तेल
शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से धन धान्य की वृद्धि होती है। जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
चंदन
शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से समाज में यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
केशर
शिवलिंग पर केशर अर्पित करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है , विवाह में आने वाली समस्त अड़चने दूर होती है, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है विवाह के योग शीघ्र बनते है।
भांग
शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे समस्त पाप समस्त बुराइयां दूर होती हैं।
धतूरे
भगवान भोलेनाथ की धतूरे से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
आंवला अथवा आंवले का रस
शिवलिंग पर आंवला अथवा आंवले का रस चढ़ाने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है ।
गन्ने का रस
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से समस्त पारिवारिक सुखो की प्राप्ति होती है , धन की प्राप्ति तथा परिवार के सदस्यों के मध्य में प्रेम बना रहता है।
गेहूं
शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से वंश वृद्धि होती है, योग्य संतान की प्राप्ति होती है, संतान आज्ञाकारी होती है ।
चावल
शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से धन और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
तिल
शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पापों समस्त रोगो का नाश होता है।
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