ॐ नम: शिवाय जानें शिवाय शिवलिंग का वास्त्विक स्वरूप व अर्थ क्या है जानें शिवलिंग का अर्थ 

प्रिय शिव भक्तों शिवलिंग की गलत व्याख्या के कारण आज जन मानस में शिवलिंग को लेकर भ्रम बना हुआ है कि शिवलिंग का वास्त्विक स्वरूप व अर्थ क्या है ?

कुछ लोगों (अधर्मियों) ने हमारी धर्म संस्कृती व सभ्यता के मूल स्वरूप को बिगाड़ कर अर्थ का अनर्थ कर दिया साथ ही हिन्दू धर्म का उपहास मजाक बनाने का प्रयास किया गया शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा दे दी गई और अब हम स्वयं हिन्दू भी खुद शिवलिंग को शिव भगवान का गुप्तांग समझने लगे हे और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी दे रहे हैं यह बिलकुल मिथ्या है 

प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है ? 

शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया गया यह हम सभी का जानना चाहिए

लिंग

लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह प्रतीक हेै 

शिवलिंग 

जैसे पुरुष लिंग का अर्थ है, पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक इसी तरह शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक

शिवलिंग क्या है ?

शून्य, आकाश अनन्त ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।

शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी ही लिंग है शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है और ना ही शुरुआत। 

शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनी नहीं होता 

दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण के द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने पर तथा बाद में षडयंत्रकारी अंग्रेजों के द्वारा इसकी गलत व्याख्या से उत्पन्न हुई जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं।

उदाहरण के लिए

“अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति

Money भी हो सकता है और मतलब (Meaning ) भी

ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न निशान गुण व्यवहार या प्रतीक है धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है। तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग

ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे हैं: ऊर्जा और प्रदार्थ हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं।

ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है

शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी है। अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान हैं।

जैसे सतिया गणेश जी प्रतीक है त्रिशूल शक्ति का प्रतीक है ऐेसे ही शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है

लिंग का तात्पर्य प्रतीक से है शिवलिंग का मतलब है पवित्रता, दिव्य ज्योति का प्रतीक ताकि निर्विघ्न एकाग्र होकर ध्यान लग सके 

निष्कर्ष शिवलिंग का अर्थ

चिन्ह प्रतीक निराकार गुण आत्मा का स्वरूप और ऊर्जा अनंत ब्रहामांड है आज भी बहुतायत हिन्दू इस दिव्य ज्ञान से अनभिज्ञ है।

हिन्दू सनातन धर्म व उसके त्यौहार विज्ञान पर आधारित है।जोकि हमारे पूर्वजों संतों ऋषियों-मुनियों तपस्वीयों की देन है आज विज्ञान भी हमारी हिन्दू संस्कृति की अदभुत हिन्दू संस्कृति व इसके रहस्यों को सराहनीय दृष्टि से देखता है

एक बात और भक्तों

आपने भी अनुभव किया होगा कई बार हमे मंत्र, पाठ का पूर्ण फल नहीं मिलता मंत्र का पूर्ण फल मिल सके इसके लिए मंत्र को जिन्हे भी हम पाठ पूजा में अपना आदर्श मानते हैं उनसे ग्रहण कर लेना चाहिए जैसे ॐ नम: शिवाय इस मंत्र को यदि कोई भी शिवभक्त (जैसे आपके माता पिता, बुजुर्ग या पंडित जी) जो इसका जाप करते हों

आप उनसे मंत्र के लिए निवेदन करें जब वह आपके सिर के ऊपर अपने दोनों हाथ रखकर (या जैसे भी वह बोलना चाहें ) मंत्र को बोलेंगें तो आप पूरी श्रद्धा से मंत्र को सुन लें ग्रहण कर लें इसके बाद आप जिससे भी मंत्र ले रहे है आप उन्हें सम्मान पूर्वक प्रणाम व चरण स्पर्श करे और कुछ भेट भी दे दें जैसे फल कोई मीठी वस्तु क्यों की उन्होंने आपको आशीर्वाद में मंत्र दिया है, और वह आपके मंत्र गुरु बन गये हैं l

अब आप प्रतिदिन ग्रहण किये हुए मंत्र का जाप करें, आपको अनुभव स्वयं हो जायेगा

कृपया आप आप शिवलिंग पर जो भी पत्ते चढ़ाएं वह कटे फ़टे खंडित ना हों और उन्हें जल से धोकर ही चढ़ाएं

लेख के पूर्ण विराम पर बस इतना ही कहूंगा जिस पर शिव प्रसन्न उस पर सब प्रसन्न बस अपनी भक्ति से देवों के देव महादेव को प्रसन्न कीजिए आओ महिमा गाए भोले नाथ की भक्ति में खो जाए भोले नाथ की जय भोले की जय महाकाल हर हर महादेव 

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