प्रभावी ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का अत्यधिक महत्व है। जन्म नक्षत्र ऐसा नक्षत्र है जो किसी व्यक्ति के जन्म के दौरान अस्तित्व में आता है। जन्म नक्षत्र किसी व्यक्ति की विशेषताओं, लक्षणों, विचार स्वरूप में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और दशा अवधि की गणना में मदद करता है। 

नक्षत्रों की कहानी क्या है ?

हिंदू पौराणिक कथाओं में, राजा दक्षण नाम के एक राजा थे और चंद्रमा ने राजा की सभी 27 बेटियों से शादी की थी। वे सभी 27 नक्षत्र थे। हालांकि, चंद्रमा को केवल रोहिणी नाम की एक रानी के साथ समय बिताना बहुत पसंद था, जिसे चंद्रमा का उत्कर्ष बिंदु भी माना जाता है। अन्य सभी 26 पत्नियों (नक्षत्रों) ने राजा दक्षण से शिकायत की। राजा ने चंद्रमा से बार-बार अनुरोध किया, लेकिन, चंद्रमा ने अपना स्वभाव नहीं बदला। इससे राजा क्रूद्ध हो गया और उसने अंततः चंद्रमा को शाप दे दिया, जिससे उसका आकार छोटा हो गया।

शाप के परिणामस्वरूप, चंद्रमा आकार में छोटा होने लगा। परिणाम अच्छे नहीं थे, अतः सभी देवताओं ने हस्तक्षेप किया और राजा दक्षण को अपना शाप वापस लेने के लिए कहा। सभी देवताओं ने राजा को यह आश्वासन भी दिया कि चंद्रमा समान रूप से अपनी सभी पत्नियों के साथ समान समय बिताएगा। लेकिन चूंकि शाप को पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था, इसलिए इसके एक उपाय के रूप में, राजा दक्षण ने कहा कि चंद्रमा केवल आधे महीने के लिए अपनी शक्ति बनाये रखने में सक्षम होगा, अतः यह प्रमुख कारण है कि चंद्रमा सभी राशि चक्रों की परिक्रमा को समाप्त करके एक महीने में सभी 27 नक्षत्रों को पार करता है, जो आकार में वृद्धि और कमी के कारण पूर्णिमा और अमावस्या का कारण होता है।

जानें क्या सूचना देते हैं विविध नक्षत्र

नक्षत्र करते हैं स्वभाव निर्धारित 

नक्षत्र संख्या में 27 हैं और एक राशि ढाई नक्षत्र से बनती है। नक्षत्र भी जातक का स्वभाव निर्धारित करते हैं। 

1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।

2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।

3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।

4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।

5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।

6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है।

7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्यात्म में गहरी रुचि होती है।

8. अश्लेषा : जिद्दी व एक हद तक अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व ‘आ बैल मुझे मार’ की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।

9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।

10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं।

11. उत्तरा फाल्गुनी : ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।

12. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।

13. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।

14. स्वाति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।

15. विशाखा : स्वार्थी, जिद्दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।

16. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।

17. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।

18. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।

19. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।

20. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।

21. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।

22. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।

23. शततारका : रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।

24. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।

25. पूर्व भाद्रपदा : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।

26. उत्तरा भाद्रपदा : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।

27. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है।

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