जीवन में कष्ट आ रहा है तो उसे भगवान की कृपा ही समझना चाहिए।

भगवान हमारी भक्ति से प्रसन्न होकर, हमारे भाग्य में लिखे कष्टों को बहुत कम करके देते हैं। यानी जितना कष्ट आपको मिलना था उससे बहुत कम कष्ट दिया है प्रभु ने, हमें ऐसी श्रद्धा और कृतज्ञता रखनी चाहिए भगवान के प्रति।

Laddu Gopal मन अशांत बेचैन क्यो है जानें ?

एक ओर जहाँ साधारण अभक्त व्यक्तियों को उनके कर्मों के फल के रूप में कष्ट मिलता है वहीं दूसरी ओर भक्तों को कष्ट आता है जिस से नाकि केवल उनके पाप नष्ट होते हैं अपितु उनका भक्तिमार्ग भी प्रशस्त होता है और भगवान तक पहुँचने की प्रेरणा मिले, इस तरह से कष्ट देने की व्यवस्था भगवान अपने भक्तों के लिए करते हैं।

जब साधारण अभक्त व्यक्ति को कष्ट आता है तो वो बौखला जाता है, सबको, यहाँ तक कि भगवान को भी कोसता है और हमेशा अपने दुःख के लिए दूसरों को दोषी ठहराता है वहीं दूसरी ओर भक्त को कष्ट आने पर उसके भगवान को स्मरण करने के अवसर बढ़ जाते हैं क्योंकि सुख में हम भगवान को भूल जाते हैं। इसलिए जो श्रेष्ठ भक्त होते हैं वो तो उलटा भगवान से ये प्रार्थना करते हैं कि हमें कष्ट दीजिए ताकि हम आपका निरंतर स्मरण कर सकें। इसलिए कष्ट को भगवान की कृपा समझकर ग्रहण करना चाहिए और उनका स्मरण करना चाहिए।

Laddu Gopal आनंद के एकमात्र स्रोत तो श्री भगवान कृष्ण हैं….उनकी शरण में रहे बिना जीव कभी भी आनंदित नहीं रह सकता 

🌸हरे कृष्ण🌸

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