Hindi Suvichar: A Great Collection of Best Suvichar Quotes, Indian Quotes, Anmol Vachan Suvichar, Inspirational & Motivational Quotes on Life in Hindi. Also, Find Here the Best Suvichar Thoughts Images for WhatsApp. पढ़िए यहाँ पर जीवन बदल देने वाले सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक सुविचार हिंदी में। 

Hindi Suvichar हमारे दिमाग में उत्पन्न होने वाले विचारों को भी तरोताजा कर देता है। इस पोस्ट में हम आपके लिए कुछ ऐसे ही हिंदी Suvichar लेकर आए हैं। इन्हें आप पढ़ तो सकते ही हैं, इसके साथ ही आप Social Media के जरिए इन्हें अपने दोस्तों तक पहुंचा सकते हो और उनका भी दिन सकारात्मक बना सकते हो। चलिए शुरुआत करते हैं

भगवान से कुछ अगर मांगना ही है तो सदबुद्धि मांगिये बाकी सब अपने आप मिल जाएगा… 

जब आप अपनी चिंता को आस्था में परिवर्तित कर देते हैं तब ईश्वर भी आपके संघर्ष को आशीर्वाद में बदल देते हैं 

कितनी भी परेशानियाँ क्यों न हों हमेशा मुस्कुराते रहिए एक दिन जिंदगी भी थक जाएगी आपको परेशान करते करते 

दर्द कितने भी हों दिल में मुस्कुराते रहिए गर जो गिरा एक आँसू तो तमाशा हो जाएगा पोंछने वाले कम मिलेंगे वजह पूछने वालों का अंबार लग जाएगा 

अच्छाइयाँ हम में नहीं हमें देखने वालों में होती हैं वरना कैसे कोई एक इंसान पूरी दुनिया के लिए दोषों का भंडार और किसी और के लिए अच्छाइयों का खजाना हो सकता है 

हम में हमेशा अथाह शक्ति और संभावनाएँ होती हैं इसलिए अपनी सफलता बनाए रखने के लिए स्वयं में सुधार करते रहना चाहिए और अपनी योग्यता बढ़ाने की दिशा में बढ़ते रहना चाहिए 

जब परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण न हो तब हार मानना समझदारी नहीं है इस प्रकार तो आप सब कुछ खो बैठेंगे संभावनाएँ कभी खत्म नहीं होतीं प्रयास नही छोड़ने चाहिए 

कोई इंसान जब बुरी भावना से कोई कर्म करता है तो दुःख उसका वैसे ही पीछा करता है। जैसे बैलगाड़ी के पहिये बैल के कदमों का पीछा करते हैं 

श्रेष्ठ वही है जिसमें दृढ़ता हो पर ज़िद नहीं वाणी हो पर कटु नहीं दया हो पर कमज़ोरी नहीं ज्ञान हो पर अहंकार नहीं 

जिंदगी चित्र की तरह है आशाओं से रेखाएँ खींचो सहनशीलता से गलतियाँ मिटा दो सब्र में ब्रश को भिगो लो और प्यार के रंग से रंग दो 

परखो तो कोई अपना नहीं 

समझो तो कोई पराया नहीं 

दुःख से भरी इस दुनिया में वास्तविक सम्पति धन नहीं बल्कि दुवाए और सन्तुष्टता है। 

कमाई की परिभाषा सिर्फ धन से ही तय नहीं होती तजुर्बा रिश्ते प्रेम सम्मान सबक सब कमाई के ही रूप हैं 

कभी अकेला चलना पड़े तो डरना मत क्योंकि श्मशान, शिखर और सिंहासन पर आदमी अकेला ही होता है। 

सरल स्वभाव वाले व्यक्ति को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए सरलता उसका संस्कार है, कमजोरी नहीं 

कान के कच्चे और शंकाग्रस्त लोग सच्चे सुख में भी दुःख भोगते हैं 

जब परिस्थिति बदलना हमारे वश में ना हो उस समय मन की स्थिति को बदल के देखिए सब कुछ तो नहीं मगर बहुत कुछ आपके अनुरूप हो जाएगा 

एक तथ्य यह भी है कि इतिहास से केवल शिक्षा ली जाती है परंतु निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए लेने पड़ते हैं. 

कोई कितना भी सुंदर, बुद्धिमान, शक्तिशाली या गतिशील क्यों ना हो हम उस व्यक्ति की ओर तभी आकर्षित होंगे जब वो व्यक्ति सच्चा और वास्तविक हो. 

अहंकार किस बात का करू मैं आज तक जो हुआ है सब आप ही की तो मर्ज़ी हैं कृष्ण… 

परमात्मा सदा आपके साथ है इस सत्य को किसी काल में मत भूलो। प्रभु को साथ जानने का भाव तुम्हें निर्भय और निष्पाप बनाने में मददगार होगा। यह संकल्प नहीं है, सत्य हैं भगवान हमेशा सबके साथ हाजिर है 

विश्वास का उत्तम उदाहरण अर्थात अर्जुन ने दस लाख की सेना का त्याग करके प्रभु श्रीकृष्ण को चुना 

हमें अपनी गलतियों की सजा तुरंत भले न मिले पर समय के साथ कभी न कभी अवश्य मिलती हैं 

तिरस्कार और अपमान बार बार यदि अपनों से मिले तो शब्दों का विवाद उचित नहीं, वहाँ से निकल जाना ही उचित है.. 

भगवान हमें इस संसार में कितना निश्चिंत करके भेजते हैं कि ना आते समय कुछ लाना पड़ता है ना जाते समय कुछ ले जाना पड़ता है। बस आपका कर्म और हरि का लिया हुआ नाम आपके साथ चलता है. 

गंगा में वही पाप धुलते है जो ग़लती से हो जाए, योजना बनाकर किए गए पाप यमराज के पास ही धुलेंगे.. 

कृष्ण भक्ति में दुखी होने का प्रश्न ही नहीं है। लेकिन अगर आप दुखी है, तो इसका मतलब है कि आप माया में हैं और आप भक्ति ठीक से नहीं कर रहे हैं। 

गलत आरोपों को लेकर कभी भी चिंतित न हो, बल्कि उसका सम्मान करें, याद रखिये समय का ग्रहण तो चाँद, सूरज भी झेलते है.. 

मैं किसी का भाग्य नही बनाता.. हर कोई अपना भाग्य खुद बनाता हैं आप आज जो कर रहे हों.. उसका फल आपको कल प्राप्त होगा और आज जो आपका भाग्य हैं वह आपके पहले किये गये कर्मों का फल है..!

सहने वाला जब जुल्म सहकर भी मुस्करा रहा हो तो उस इंसान का बदला स्वयं श्री कृष्णा लेते हैं.!! 

जिस दिन से आपने दूसरों की गलती को ढूँढना छोड़ दिया, समझो उस दिन से आपने शांति का एहसास करना शुरू कर दिया !! 

मोह इतना न करे कि बुराईयां छिप जाए और घृणा इतनी न करे कि अच्छाइयाँ देख ही न पाये !! 

मन खराब हो तब भी खराब शब्द न बोलें, बाद में मन सही हो सकता है लेकिन बोले गए शब्द नहीं 

जब तक मनुष्य की बुद्धि में मोह रहता है तब तक मनुष्य को किसी भी चीज पाने की चाह और खोने का भय बना रहता है परंतु मोह का अंत होने से मनुष्य द्वंदो से मुक्त होकर वास्तविक जीवन का आनंद ले पाता है. 

समय यही सिखाता है कि जिन्दगी किसी का इंतज़ार नहीं करती और न ही किसी के लिए रुक सकती है.. 

उदय किसी का भी अचानक नही होता सूर्य भी धीरे धीरे निकलता है और ऊपर उठता है धैर्य और तपस्या जिसमें है, वही संसार को प्रकाशित कर सकता है। 

किसी की कोई बात बुरी लगे तो दो तरह से सोचो यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को ‘भूल’ जाओ.. 

गुण 36 नही केवल चार चाहिए अच्छा व्यवहार, साफ नियत, नेक दिल और ईमानदारी चाहिए.. 

अभिमान नहीं होना चाहिए कि मुझे किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी और यह वहम भी नहीं होना चाहिए कि सभी को मेरी जरूरत पड़ेगी 

जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो बस, यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण 

जो कुछ भी कर्म आपको करना है। वह लालच के साथ नहीं, अहंकार के साथ नहीं ईर्ष्या के साथ नहीं परंतु प्रेम, करुणा, विनम्रता और भक्ति के साथ करना हैं. 

चरित्र एक वृक्ष है और प्रतिष्ठा, यश, सम्मान उसकी छाया लेकिन विडंबना यह है कि वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं और छाया सबको चाहिए 

मत तोला कर इबादत को अपने हिसाब से रहमतें उसकी देखकर अक्सर तराज़ू टूट जाते हैं 

कभी कभी दूसरो के कार्य मन को दहला देते हैं संयम छूटने का अवसर आता है परंतु ऐसे समय में संयम बनाए रखना और मन पर अंकुश रखना अधिक आवश्यक होता है. 

जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते वे मुझे प्राप्त नहीं कर पाते अत: वे इस भौतिक जगत में जन्म-मृत्यु के मार्ग पर वापस आते रहते हैं. 

दूसरों को हानि पहुंचाकर, रुलाकर प्राप्त की हुई चीज़, सम्मान, यश, प्रतिष्ठा आपको भी ठीक उसी तरह कष्ट भोगकर रो कर खोनी पड़ेगी.. 

जीवन की समानता को पहचानें और अपनायें अर्थात बिना दुख के सुख का मूल्य नहीं समझ सकते जिसने केवल सुख भोगा हो उसके लिए दुख पहाड़ के समान है 

चालाकियों से कुछ देर ही मोहित किया जा सकता है दिल जीतने के लिये तो सरल और सहज होना जरूरी है 

दिल के सच्चे लोग भले ही अकेले रह जाएँ लेकिन उनका साथ भगवान हमेशा देते है.. 

सच्ची बात बोलने वाला, और सही राह चलने वाला इंसान, हमेशा दुनिया को कड़वा लगता है 

अपने स्वभाव को हमेशा सूर्य की तरह रखिये, न उगने का अभिमान, न डूबने का डर..!! 

बिना स्वार्थ किसी का भला करके देखिये..! आपकी सारी उलझने ऊपर बाला सुलझा देगा..!! 

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भक्ति और विश्वास इतना करो, की संकट आप पर हो, और चिंता प्रभु को हो… 

निर्णय वही उत्तम होते हैं, जो केवल स्वयं के हित नहीं अपितु अन्य की भावनाओ का विचार कर के लिए जाए। 

हद से ज्यादा सीधा-साधा होना ठीक नहीं है

क्योंकि जंगल में सबसे पहले सीधे पेड़ों को काटा जाता है 

साधारणतया आम आदमी को पता ही नहीं है कि जीवन में उसका लक्ष्य क्या है ! सुख यदि उसका लक्ष्य है तो दिशा ग़लत है ! दिशा भी ठीक है तो तरीक़ा ग़लत है। बिन गुरु के और गुरु उपदेश का आदर किये बग़ैर कल्याण संभव नहीं।

जीव के दुःख का कारण ईश्वर से अपने सम्बन्ध का विस्मरण होना है। 

कृष्णभावनाभावित व्यक्ति कभी भी इन्द्रियों के कार्यों से प्रभावित नहीं होता वह भगवत्सेवा के अतिरिक्त कोई दूसरा कार्य नहीं कर सकता क्योंकि उसे ज्ञात है कि वह भगवान का शाश्वत दास है । 

अगर आप कृष्ण की भक्ति करते हैं, कृष्ण से प्रेम करते हैं, तो समझिये कि आपने कृष्ण को नहीं बल्कि कृष्ण ने आपको अपनी भक्ति करने के लिए, स्वयं से प्रेम करने के लिए चुना है क्योंकि उनकी इच्छा के बिना तो कोई भी उनकी भक्ति नहीं कर सकता। अगर ऐसा है तो आप भाग्यशाली हैं।

भक्ति में लगे बिना केवल समस्त कर्मों का परित्याग करने से कोई सुखी नहीं बन सकता । परन्तु भक्ति में लगा हुआ विचारवान व्यक्ति शीघ्र ही परमेश्वर को प्राप्त कर लेता है ।

अगर आप धर्म और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं तो सत्संग को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दीजिये। क्योंकि भक्ति अकेले नहीं होती सत्संग से भक्ति करने में सहायता और प्रेरणा मिलती हैं। 

जिसके हृदय में सबके हित का भाव रहता है। वह भगवन के हृदय में स्थान पाता है। 

कभी-कभी भगवान आपकी परिस्थिति नहीं बदलते, क्योंकि वो आपके विचार बदलना चाहते हैं। 

जब कोई भगवान के नाम का जप करता है, और भगवान के नाम में आस्था रखता है, हर स्थिति शुद्ध चेतना के कारण शुभ हो जाती है । 

सबसे बड़ा दानी कंजूस व्यक्ति होता है वो सारी दौलत दूसरों के लिए छोड़ कर चला जाता है । 

संन्यास तभी पूर्ण माना जाता है जब यह ज्ञात हो की संसार की प्रत्येक वस्तु भगवान् की है और कोई किसी भी वस्तु का स्वामित्व ग्रहण नहीं कर सकता । 

जिन नियमों की जानकारी है, उनका ही पालन करते हुए भक्ति आरम्भ कर देनी चाहिये। आगे जैसे-जैसे भक्ति बढ़ती जायगी, नियम स्वयं ही प्रकट होते चले जायेंगे। 

“इससे पहले की आत्मा शरीर से निकले, हमें अपने दोषों और बुराइयों को निकालना है।”

सांसारिक व्यक्ति के कुछ दिन के वियोग से ही हमारे आँखों में आँसू आ जाते हैं, किन्तु कृष्ण से हम कितने जन्मों-जन्मों से बिछड़े हुये हैं लेकिन हमारे आँखों से आँसू नहीं आते, इसी का नाम माया है

अगर सुख की इच्छा करोगी तो पाप अवश्य होगा अपने सुख की इच्छा ही पाप कराती है अगर पापों से छुटकारा चाहिए तो सुख की इच्छा छोड़ दो

जैसे प्रज्ज्वलित अग्नि ईंधन को भस्म कर देती है, उसी तरह हे अर्जुन! ज्ञान रूपी अग्नि भौतिक कर्मों के समस्त फलों को जला डालती है ।

केवल नामजप करना ही भजन नहीं है, जिस भी क्रिया के करने से मन भगवान की ओर अग्रसर हो, भक्ति बढ़े, साधना बढ़े, वही भजन है। 

“नाम हमें निष्काम भाव से और बिना अपराध के जपना होगा, एक बार शुद्ध नाम जपने से हमारे इतने पाप नष्ट हो सकते हैं जितने हममें करने की क्षमता नहीं है।”

भले ही कोई मनुष्य अन्य सारी इन्द्रियों को क्यों न जीत ले, लेकिन जब तक जीभ को नहीं जीत लिया जाता, तब तक वह जितेन्द्रिय नहीं कहलाता। लेकिन यदि कोई मनुष्य जीभ को वश में करने में सक्षम होता है, तो उसे सभी इन्द्रियों पर पूरा नियन्त्रण करने वाला माना जाता है।

बड़े से बड़ा या छोटे से छोटा जो भी कर्म किया जाय उसमें केवल निजी स्वार्थ को ना देखकर सर्वहित सर्वोपरि की भावना होनी चाहिये। 

घर में चाहे दस कमरे हो लेकिन सबसे ज्यादा रौनक, उस कमरे में होती है जहाँ माँ होती है.. 

सब कुछ चाहने से हासिल हो जाए ये मुमकिन नहीं ये ज़िंदगी है पिता का घर नहीं 

जैसे घर के अंदर जली हुई धूपबत्ति से सारा घर सुगंधित हो जाता है, ठीक उसी प्रकार परमात्मा का नाम जपते रहने से आपका सारा जीवन सुगंधित हो जाता है  

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