Diwali हिंदू धर्म में दीपावली के पर्व का विशेष महत्व है। दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। दीपावली को दिन लोग अपने घरों को झालरों, रोशनियों और दीयों की कतार से सजाते हैं। इस दिन गणेश लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। भगवान गणेश के पूजन से जहां शुभ और लाभ की प्राप्ति होती है वहीं मां लक्ष्मी सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं जानें दीपावली पर्व से जुडी रोचक पौराणिक कहानियाँ कथा
जानें दीपावली पर्व से जुडी रोचक पौराणिक कहानियाँ
पहली कथा
भगवान श्रीराम त्रेता युग में रावण को हराकर जब अयोध्या वापस लौटे थे. तब प्रभु श्री राम के आगमन पर सभी अयोध्यावासियों ने घी के दीयें जलाकर उनका स्वागत किया था. इसीलिए 5 दिनों के उत्सव दीपावली में सभी दिन सभी घरों में दिए जलाए जाते हैं
दूसरी कथा
पौराणिक प्रचलित कथाओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने आताताई नरकासुर का वध किया था. इसलिए सभी ब्रजवासियों ने दीपों को जलाकर खुशियां मनाई थी.
तीसरी कथा
एक और कथा के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए माता पार्वती ने महाकाली का रूप धारण किया था. जब राक्षसों का वध करने के बाद महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. और भगवान शिव के स्पर्श मात्र से ही उनका क्रोध समाप्त हो गया था. इसी की स्मृति में उनके शांत रूप माता लक्ष्मी की पूजा इस दिन की जाती है
चौथी कथा
दानवीर राजा बलि ने अपने तप और बाहुबल से संपूर्ण देवताओं को परास्त कर दिया था और तीनों लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी. बलि से भयभीत होकर सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का निदान करें. तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर महाप्रतापी राजा बलि से सिर्फ तीन पग भूमि का दान मांगा. राजा बलि तीन पग भूमि दान देने के लिए राजी हो गए. भगवान विष्णु ने अपने तीन पग में तीनों लोको को नाप लिया था. राजा बलि की दानवीरता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया था. उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाई जाती है.
पांचवी कथा
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह बादशाह जहांगीर हकीकत से मुक्त होकर अमृतसर वापस लौटे थे. इसलिए सिख समाज भी इसे त्यौहार के रूप में मनाता है. इतिहासकारों के अनुसार अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी दीपावली के दिन प्रारंभ हुआ था
छटी कथा
सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही हुआ था. इसलिए सभी राज्यवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी
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