भगवान से हमें क्या माँगना चाहिए 

भगवान से माँगना नहीं चाहिए और अगर माँगना ही है तो माँगना आना चाहिए।

प्रहलादजी ने भगवान से माँगा:

“हे प्रभु मैं यह माँगता हूँ कि मेरी माँगने की इच्छा ही ख़त्म हो जाए।”

माँ कुंती ने भगवान से माँगा:

“हे प्रभु मुझे बार बार विपत्ति दो ताकि आपका स्मरण होता रहे।”

महाराज पृथु ने भगवान से माँगा:

“हे प्रभु मुझे दस हज़ार कान दीजिये ताकि में आपकी पावन लीला गुणानुवाद का अधिक से अधिक रसास्वादन कर सकूँ।”

और सुग्रीवजी तो बड़ा ही सुंदर कहते हैं:

“अब प्रभु कृपा करो एही भाँती।सब तजि भजन करौं दिन राती॥”

भगवान से माँगना दोष नहीं मगर साथ में क्या माँगना ये होश जरूर रहे।

जय जय श्रीराधे

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हमें भगवान से क्या मांगना चाहिए

अक्सर लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं हे भगवान मुझे धन दे दो या सुख दे दो या मेरे बच्चा हो जाए आदि आदि।

मेरे ख्याल से प्रभु हमारी इस इच्छा पर या इस मांग पर हंसते होंगे वह कहते हैं दुनिया की सर्वोत्तम वस्तु यानी कि दिमाग एवं करने को हाथ पांव शरीर साधन आदि दे दिए फिर भी इंसान की अकर्मण्यता की आदत नहीं छूटी। कहते हैं ईश्वर के मंदिर में जा कर जो मांगते हैं वह पूरी हो जाती है फिर यह मांग पूरी क्यों नहीं होती। इंसान को बनाकर प्रभु ने कोई खिलौना नहीं बनाया है बल्कि एक दिमाग दिया है जिस को सही ढंग से काम लिया जाए तो इंसान बहुत कुछ महान कार्य कर सकता है संतुष्टि पा सकता है और वह सब कुछ पा सकता है जो बहुत सारे लोगों को उपलब्ध है लेकिन बहुत सारे लोग इमानदारी से काम नहीं करते या फिर करते हैं तो कुछ न कुछ जाने अनजाने में गड़बड़ करते रहते हैं विवेक से काम ले कर अपने जिस शौक या जिस काम के लिए लगाना है उस पर कुशलता प्राप्त करते रहें और ईमानदारी से काम करते रहे तो असंभव कुछ भी नहीं है मेरे ख्याल से प्रभु से यह मांगना चाहिए हे प्रभु मुझे उत्तम मार्ग पर लगा मेरा मन अगर भटकने लगे तो मुझे सही मार्ग पर चलने के लिए मेरे साथी मेरे पास हो अगर मेरे में धैर्य की कमी होने लगे तो दे धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें

अगर यह सब हो सके तो यकीन मानिए आपका जीवन एक अच्छा जीवन हो जाएगा और इसमें अगर परोपकार की भावना भी साथ में जुड़ी हुई हो तो धन्य हो जाएगा

मेरा यह मानना है कि जीवन जीना बहुत सरल है कठिन हम हमारी अकर्मण्यता कुटिलता या बिना समझे सोचे कार्य करने के कारण होती है इसलिए सबसे पहले सरल होना सीखिए दिल में दया होना लाना सीखिए अपने आप को निरंतर कुशल बनाते रहिए और हर हालत में सामान्य बन कर जीवन जीना सीखिए अगर कोई तकलीफ / विवशता भी है तो उस हालत में भी आराम से जीना सीखिए क्योंकि उस हालत में भी आप दुखी होकर या रों कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकते लेकिन सरलता और सामान्यता से रहकर प्रभु को जरूर पा सकते हैं

जय श्री राधे कृष्णा

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