Durga Saptami 2025 Navratri 7th day 2025 Bhog, Mantra, Puja Vidhi and Muhurat: नवरात्रि का सातवां दिन 29 सितम्बर 2025, सोमवार को है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से बुरी शक्तियां व काल से रक्षा होती है। मां कालरात्रि की उपासना करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, शुभ रंग व मंत्र
दुर्गा सप्तमी 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन दुर्गा सप्तमी कहलाता है। इस दिन विशेष रूप से माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है।
माँ कालरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त (29 सितंबर 2025)
सप्तमी तिथि प्रारंभ 28 सितम्बर 14:27pm
सप्तमी तिथि समाप्त 29 सितम्बर 16:31 pm
प्रातःकालीन शुभ मुहूर्त: सुबह 6:19 बजे से 7:48 बजे तक (1 घंटा 29 मिनट)
अभिजीत मुहूर्त: 11:49 बजे से 12:38 बजे तक (49 मिनट)
शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियाँ
आरंभ: 22 सितंबर, सोमवार (प्रतिपदा)
समाप्ति: 2 अक्टूबर, गुरुवार (विजयादशमी)
माँ कालरात्रि पूजा: 29 सितंबर, सोमवार (सप्तमी)
➡ शुभ मुहूर्त: प्रातःकाल से दोपहर तक पूजा के लिए श्रेष्ठ समय
यह दिन साधना, ध्यान और मनोकामना पूर्ण करने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
माँ कालरात्रि कौन हैं (Who is Maa Kalaratri)
माँ कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवाँ स्वरूप हैं। उनका रूप घोर अंधकार जैसा है। वे तीन नेत्रों से युक्त हैं, खुले बाल, अग्नि समान तेज और गधे पर सवार हैं।
वे नकारात्मक शक्तियों, भय और दुर्भाग्य का नाश करती हैं।
माँ कालरात्रि विशेषताएँ:
रूप: काला, अग्नि समान तेज
हाथों में: खड्ग, लोहे का कांटा, वरद व अभय मुद्रा
कार्य: भय दूर करना, मनोकामना पूर्ण करना
माँ कालरात्रि की पूजा विधि (Kaalratri Puja vidhi)
पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री:
लाल वस्त्र
गुड़ और काले चने
नारियल
धूप, दीप, अक्षत, पुष्प
पंचामृत
पूजा की विधि:
1. कलश स्थापना करें।
2. नवग्रह और दिक्पालों का पूजन करें।
3. माँ कालरात्रि का ध्यान करें।
4. दीप जलाकर मंत्र का जप करें।
5. गुड़ और चने का भोग अर्पित करें।
6. सप्तमी की रात्रि में साधना करें।
नियमित जप से मानसिक शांति और साधना में सफलता प्राप्त होती है।
मां कालरात्रि का भोग:
मां कालरात्रि को गुड़ अतिप्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा को गुड़ अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि के सातवें दिन का शुभ रंग:
मां कालरात्रि को लाल रंग अतिप्रिय है। ऐसे में मां की पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है।
माँ कालरात्रि के मंत्र (Mantras of Mother Kalaratri)
ध्यान मंत्र:
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
देवी कालरात्रि शप्तशती मंत्र:
१ ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।।
२ धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।।
बीज मंत्र:
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
➡ प्रतिदिन 3, 7 या 11 माला जप करने से विशेष लाभ होता है।
माँ कालरात्रि का ध्यान मंत्र
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
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दुर्भाग्य नाशक उपाय
1. काले चने और गुड़ का भोग लगाकर नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाएं।
2. लाल वस्त्र में जटावाला नारियल बांधकर मनोकामना पूरी करें।
3. दुर्गा सप्तशती का पाठ करके विशेष आशीर्वाद प्राप्त करें।
4. पाशुपतास्त्र स्त्रोत का 21 बार जप कर शत्रु नाश करें।
पूजा के लाभ
1. भय और अशुभ शक्तियों से सुरक्षा
2. मानसिक तनाव से राहत
3. साधना में सफलता
4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
5. परिवार में सुख-शांति
6. कार्यों में स्थिरता और सफलता
🔗 पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण टिप्स
1. पूजा में श्रद्धा और शुद्धता आवश्यक है।
2. मंत्र जप नियमित करें।
3. मध्यरात्रि में ध्यान से विशेष लाभ मिलता है।
4. कलश और दीप जलाकर पूजा करें।
5. ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा भी करें।
मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥
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