हर काम में सफलता देता है श्री गणेश सहस्रनामावली का पाठ 

क्या हैं लाभ

1. जो मनुष्य प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में गणपति के एक हजार नामों का पाठ करता है उसके हाथ में लौकिक और पारलौकिक समस्त सुख आ जाते हैं।

2. इसके एक बार पाठ करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य, धैर्य, शौर्य, बल, यश, बुद्धि, कांति, सौभाग्य, रूप-सौंदर्य, संसार को वशीकरण करने की शक्ति, शास्त्रार्थ में निपुणता, उच्च कोटि की वाक शक्ति, शील, वीर्य, धन-धान्य की वृद्धि आदि प्राप्त होते हैं।

3. गणपति सहस्त्रनाम का पाठ सर्वश्रेष्ठ वशीकरण प्रदान करता है। शास्त्रों में कहा गया है इससे चार प्रकार का वशीकरण सिद्ध होता है- राजा का, राजा के अंत:पुर का, राजकुमार का तथा राज्यमंत्री का। वर्तमान संदर्भो में देखा जाए तो मनुष्य को सर्व वशीकरण की शक्ति प्राप्त हो जाती है। अर्थात् जिसके वशीकरण की कामना से इसका पाठ किया जाए वह दास बन जाता है। इस सहस्त्रनाम के पाठ से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि होती है।

4. यह सहस्त्रनाम नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। शाकिनी, डाकिनी, राक्षस, भूत, यक्ष, सर्प भय का नाश करता है। इससे शत्रुओं का नाश होता है। शत्रुओं द्वारा आपके ऊपर किए गए बुरे कर्मो का प्रभाव समाप्त करता है।

5. इसके पाठ से समस्त प्रकार के दुख और क्लेश समाप्त होते हैं। परिवार में सुख-शांति आती है और स्वजनों में पारस्परिक प्रेम बढ़ता है।

6. गणेश सहस्त्रनाम के प्रयोग से स्वप्नों के बुरे फल नष्ट होते हैं।

7. गणेश सहस्त्रनाम मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन आदि षटकर्म, आठ महासिद्धि तथा त्रिकालज्ञान का साधन करवाता है।

8. यह सर्वत्र विजय दिलाने वाला, वंध्यापन संबंधी समस्त दोष दूर करने वाला और गर्भ की रक्षा का मुख्य साधन है।

9. जिस घर में गणेश सहस्त्रनाम का नित्य पाठ होता है लक्ष्मी कभी उस घर को छोड़कर नहीं जाती।

10. समस्त प्रकार के रोग भी उस घर में कभी नहीं आते, जहां नित्य इसका पाठ होता है।

11. रोज गणेश सहस्त्रनाम का पाठ किया जाए तो पृथ्वी पर सुलभ समस्त भोग मनुष्य को प्राप्त होते हैं।

12. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को जो मनुष्य इन सहस्त्रनामों द्वारा दूर्वार्पण करते हुए विधिवत गणेश का पूजन करता है। अष्टगंध द्रव्यों से हवन करता है उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं।

13. दरिद्र मनुष्य यदि चार मास तक नित्य गणेश सहस्त्रनाम का पाठ करे तो सात जन्मों से चली आ रही दरिद्रता भी दूर हो जाती है।

विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश के 1000 नाम, अवश्य पढ़ें… 

विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य माने गए हैं। उनके 1000 नामों का सस्वर पवित्र ध्वनि के साथ उच्चारण किया जाए तो घर में मंगल कार्य होने लगते हैं। बच्चों को प्रगति मिलने लगती है और मुखिया को हर काम में सफलता प्राप्त होती है और गृहस्थी में खुशियां खिलने लगती है। 

ॐ गणपतये नमः ॥ ॐ गणेश्वराय नमः ॥ ॐ गणक्रीडाय नमः ॥ ॐ गणनाथाय नमः ॥

ॐ गणाधिपाय नमः ॥ ॐ एकदंष्ट्राय नमः ॥ ॐ वक्रतुण्डाय नमः ॥ ॐ गजवक्त्राय नमः ॥

ॐ मदोदराय नमः ॥ ॐ लम्बोदराय नमः ॥ ॐ धूम्रवर्णाय नमः ॥ ॐ विकटाय नमः ॥

ॐ विघ्ननायकाय नमः ॥ ॐ सुमुखाय नमः ॥ ॐ दुर्मुखाय नमः ॥ ॐ बुद्धाय नमः ॥

ॐ विघ्नराजाय नमः ॥ ॐ गजाननाय नमः ॥ ॐ भीमाय नमः ॥ ॐ प्रमोदाय नमः ॥

ॐ आनन्दाय नमः ॥ ॐ सुरानन्दाय नमः ॥ ॐ मदोत्कटाय नमः ॥ ॐ हेरम्बाय नमः ॥

ॐ शम्बराय नमः ॥ ॐ शम्भवे नमः ॥ ॐ लम्बकर्णाय नमः ॥ ॐ महाबलाय नमः ॥

ॐ नन्दनाय नमः ॥ ॐ अलम्पटाय नमः ॥ ॐ भीमाय नमः ॥ ॐ मेघनादाय नमः ॥

ॐ गणञ्जयाय नमः ॥ ॐ विनायकाय नमः ॥ ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥ ॐ धीराय नमः ॥

ॐ शूराय नमः ॥ ॐ वरप्रदाय नमः ॥ ॐ महागणपतये नमः ॥ ॐ बुद्धिप्रियाय नमः ॥

ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः ॥ ॐ रुद्रप्रियाय नमः ॥ ॐ गणाध्यक्षाय नमः ॥ ॐ उमापुत्राय नमः ॥

ॐ अघनाशनाय नमः ॥ ॐ कुमारगुरवे नमः ॥ ॐ ईशानपुत्राय नमः ॥ ॐ मूषकवाहनाय नः ॥

ॐ सिद्धिप्रदाय नमः ॥ ॐ सिद्धिपतये नमः ॥ ॐ सिद्ध्यै नमः ॥ ॐ सिद्धिविनायकाय नमः ॥

ॐ विघ्नाय नमः ॥ ॐ तुङ्गभुजाय नमः ॥ ॐ सिंहवाहनाय नमः ॥ ॐ मोहिनीप्रियाय नमः ॥

ॐ कटिंकटाय नमः ॥ ॐ राजपुत्राय नमः ॥ ॐ शकलाय नमः ॥ ॐ सम्मिताय नमः ॥

ॐ अमिताय नमः ॥ ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः ॥ ॐ दुर्जयाय नमः ॥ ॐ धूर्जयाय नमः ॥

ॐ अजयाय नमः ॥ ॐ भूपतये नमः ॥ ॐ भुवनेशाय नमः ॥ ॐ भूतानां पतये नमः ॥

ॐ अव्ययाय नमः ॥ ॐ विश्वकर्त्रे नमः ॥ ॐ विश्वमुखाय नमः ॥ ॐ विश्वरूपाय नमः ॥

ॐ निधये नमः ॥ ॐ घृणये नमः ॥ ॐ कवये नमः ॥ ॐ कवीनामृषभाय नमः ॥

ॐ ब्रह्मण्याय नमः ॥ ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः ॥ ॐ ज्येष्ठराजाय नमः ॥ ॐ निधिपतये नमः ॥

ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः ॥ ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थाय नमः ॥ ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः ॥

ॐ कराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः ॥ ॐ पूषदन्तभृते नमः ॥ ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः ॥

ॐ मुक्तिदाय नमः ॥ ॐ कुलपालकाय नमः ॥ ॐ किरीटिने नमः ॥ ॐ कुण्डलिने नमः ॥

ॐ हारिणे नमः ॥ ॐ वनमालिने नमः ॥ ॐ मनोमयाय नमः ॥ ॐ वैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः ॥

ॐ पादाहत्याजितक्षितये नमः ॥ ॐ सद्योजाताय नमः ॥ ॐ स्वर्णभुजाय नमः ॥ ॐ मेखलिन नमः ॥

ॐ दुर्निमित्तहृते नमः ॥ ॐ दुस्स्वप्नहृते नमः ॥ ॐ प्रहसनाय नमः ॥ ॐ गुणिने नमः ॥

ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः ॥ ॐ सुरूपाय नमः ॥ ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः ॥ ॐ वीरासनाश्रयाय नमः ॥

ॐ पीताम्बराय नमः ॥ ॐ खड्गधराय नमः ॥ ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः ॥ ॐ चित्राङ्कश्यामदशनाय नमः ॥

ॐ भालचन्द्राय नमः ॥ ॐ चतुर्भुजाय नमः ॥ ॐ योगाधिपाय नमः ॥ ॐ तारकस्थाय नमः ॥

ॐ पुरुषाय नमः ॥ ॐ गजकर्णकाय नमः ॥ ॐ गणाधिराजाय नमः ॥ ॐ विजयस्थिराय नमः ॥

ॐ गणपतये नमः ॥ ॐ ध्वजिने नमः ॥ ॐ देवदेवाय नमः ॥ ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः ॥

ॐ वायुकीलकाय नमः ॥ ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः ॥ ॐ नादाय नमः ॥ ॐ नादभिन्नवलाहकाय नमः ॥

ॐ वराहवदनाय नमः ॥ ॐ मृत्युञ्जयाय नमः ॥ ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः ॥ ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः ॥

ॐ देवत्रात्रे नमः ॥ ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः ॥ ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः ॥ ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः ॥

ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः ॥ ॐ शम्भुतेजसे नमः ॥ ॐ शिवाशोकहारिणे नमः ॥ ॐ गौरीसुखावहाय नमः ॥

ॐ उमाङ्गमलजाय नमः ॥ ॐ गौरीतेजोभुवे नमः ॥ ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः ॥ ॐ यज्ञकायाय नमः ॥

ॐ महानादाय नमः ॥ ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः ॥ ॐ शुभाननाय नमः ॥ ॐ सर्वात्मने नमः ॥

ॐ सर्वदेवात्मने नमः ॥ ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः ॥ ॐ ककुप्छ्रुतये नमः ॥ ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः ॥

ॐ चिद्व्योमफालाय नमः ॥ ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः ॥ ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः ॥

ॐ अग्न्यर्कसोमदृशे नमः ॥ ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः ॥ ॐ धर्माय नमः ॥ ॐ धर्मिष्ठाय नमः ॥ ॐ सामबृंहिताय नमः ॥

ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः ॥ ॐ वाणीजिह्वाय नमः ॥ ॐ वासवनासिकाय नमः ॥ ॐ कुलाचलांसाय नमः ॥

ॐ सोमार्कघण्टाय नमः ॥ ॐ रुद्रशिरोधराय नमः ॥ ॐ नदीनदभुजाय नमः ॥ ॐ सर्पाङ्गुळिकाय नमः ॥

ॐ तारकानखाय नमः ॥ ॐ भ्रूमध्यसंस्थतकराय नमः ॥ ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः ॥

ॐ व्योमनाभाय नमः ॥ ॐ श्रीहृदयाय नमः ॥ ॐ मेरुपृष्ठाय नमः ॥ ॐ अर्णवोदराय नमः ॥ ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षः किन्नरमानुषाय नमः ॥