॥ श्रीशनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् एवं दुर्भाग्य नाशक उपाय ॥ ।। Shree Shani Ashtottarashatnam Stotram ।। 

शनि बीज मन्त्र

॥ ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥

शनैश्चराय शान्ताय सर्वाभीष्टप्रदायिने । शरण्याय वरेण्याय सर्वेशाय नमो नमः ॥1॥

सौम्याय सुरवन्द्याय सुरलोकविहारिणे । सुखासनोपविष्टाय सुन्दराय नमो नमः ॥2॥

घनाय घनरूपाय घनाभरणधारिणे । घनसारविलेपाय खद्योताय नमो नमः ॥3॥

मन्दाय मन्दचेष्टाय महनीयगुणात्मने । मर्त्यपावनपादाय महेशाय नमो नमः ॥4॥

छायापुत्राय शर्वाय शरतूणीरधारिणे । चरस्थिरस्वभावाय चञ्चलाय नमो नमः ॥5॥

नीलवर्णाय नित्याय नीलाञ्जननिभाय च । नीलाम्बरविभूषाय निश्चलाय नमो नमः ॥6॥

वेद्याय विधिरूपाय विरोधाधारभूमये । भेदास्पदस्वभावाय वज्रदेहाय ते नमः ॥7॥

वैराग्यदाय वीराय वीतरोगभयाय च । विपत्परम्परेशाय विश्ववन्द्याय ते नमः ॥8॥

गृध्नवाहाय गूढाय कूर्माङ्गाय कुरूपिणे । कुत्सिताय गुणाढ्याय गोचराय नमो नमः ॥9॥

अविद्यामूलनाशाय विद्याऽविद्यास्वरूपिणे । आयुष्यकारणायाऽपदुद्धर्त्रे च नमो नमः ॥10॥

विष्णुभक्ताय वशिने विविधागमवेदिने । विधिस्तुत्याय वन्द्याय विरूपाक्षाय ते नमः ॥11॥

वरिष्ठाय गरिष्ठाय वज्राङ्कुशधराय च । वरदाभयहस्ताय वामनाय नमो नमः ॥12॥

ज्येष्ठापत्नीसमेताय श्रेष्ठाय मितभाषिणे । कष्टौघनाशकर्याय पुष्टिदाय नमो नमः ॥13॥

स्तुत्याय स्तोत्रगम्याय भक्तिवश्याय भानवे । भानुपुत्राय भव्याय पावनाय नमो नमः ॥14॥

धनुर्मण्डलसंस्थाय धनदाय धनुष्मते । तनुप्रकाशदेहाय तामसाय नमो नमः ॥15॥

अशेषजनवन्द्याय विशेषफलदायिने । वशीकृतजनेशाय पशूनाम्पतये नमः ॥16॥

खेचराय खगेशाय घननीलाम्बराय च । काठिन्यमानसायाऽर्यगणस्तुत्याय ते नमः ॥17॥

नीलच्छत्राय नित्याय निर्गुणाय गुणात्मने । निरामयाय निन्द्याय वन्दनीयाय ते नमः ॥18॥

धीराय दिव्यदेहाय दीनार्तिहरणाय च । दैन्यनाशकरायाऽर्यजनगण्याय ते नमः ॥19॥

क्रूराय क्रूरचेष्टाय कामक्रोधकराय च । कळत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमो नमः ॥20॥

परिपोषितभक्ताय परभीतिहराय । भक्तसङ्घमनोऽभीष्टफलदाय नमो नमः ॥21॥

इत्थं शनैश्चरायेदं नांनामष्टोत्तरं शतम् । प्रत्यहं प्रजपन्मर्त्यो दीर्घमायुरवाप्नुयात् ॥

॥ ॐ शं शनैश्वराय नम: ॥ 

शनि जनित अरिष्ट में शांति दायक उपाय

सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है ,बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्सान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है।

एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें.यदि किसी कारणवश नागा/ गेप हो तो फिर से प्रारम्भ करें।

यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार (भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है।

1- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे

2- नित्य हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,

3- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये

4- सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये

5- शनि के मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का 23000 जाप करे

6- उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा

7- बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,

8- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,

9- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।

10- शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।

11- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.

12- शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,

13- ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

14- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है

अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं. माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे, गाय और कुत्ता पालें

यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे, यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा ख़ुशी ओए सम्रद्धि बनी रहेगी।

शनि देव का प्रचलित मंत्र 

नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥

ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

शनि देव की शांति हेतु उपाय

मंत्र जाप : ” ॐ प्रां प्री’ प्रौम सः शनैश्चराय नमः ” 

जप संख्या ९२०००

कुछ अन्य उपाय प्रत्येक शनिवार को स्नान करने से पहले पूरे शरीर में सरसों का तेल लगाकर ही स्नान किया करें एवं संभव हो तो शनिवार को ही संध्या में हनुमान जी का पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर लिया करें ।

1 शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।

2 शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।

3 शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।

4 भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।

5 भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।

6 किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।

7 घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।

8 शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. RadheRadheje इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)