हिंदू धर्म में पंचाग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी को प्रदोश व्रत किया जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह में दो बार त्रयोदशी आती है। एक शुक्ल और एक कृष्ण पक्ष में। ऐसे में हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। कहा जाता है कि प्रदोष के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि प्रदोष को रखने से सभी दोषों ओर परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही भगवान शिव अपने भक्तों पर सदैव अपना कृपा बनाए रखते  हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की  भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में पूजा करने से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि देव को काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द की दाल अर्पित करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शनि देव भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा कब करनी चाहिए ?

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मई 2021 महीने में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत-

शुभ मुहूर्त शनि प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त:

वैशाख माह, कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी तिथि

08 मई 2021, शनिवार

वैशाख कृष्ण त्रयोदशी आरंभ- 08 मई 2021, शनिवार, शाम 5 बजकर 20 मिनट से

वैशाख कृष्ण त्रयोदशी समाप्त- 09 मई 2021, रविवार, शाम 7 बजकर 30 मिनट तक

08 मई 2021 को  महीने में पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा। इसके बाद मई का दूसरा प्रदोष व्रत 24 मई को रखा जाएगा। इस दिन सोमवार होने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है। 

प्रदोष व्रत नियम- प्रदोष व्रत वैसे तो निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत को पूरे दिन रखा जाता है। सुबह नित्य कर्म के बाद स्नान करें। व्रत संकल्प लें। फिर दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें।

प्रदोष में क्या नहीं करना चाहिए- प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण किया जाता है।

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पूजा विधि

– शनि प्रदोष व्रत बिना जल ग्रहण किए किया जाता है।

– सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।

– फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।

– फिर शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

– विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करना चाहिए।

– शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं

– शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए।

– शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है।

पूजा की थाली में क्या-क्या होनी चाहिए सामग्री-

प्रदोष व्रत के समय पूजा की थाली में अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल होना चाहिए।

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शनि प्रदोष व्रत कथा

सूत जी बोले

“पुत्र कामना हेतु यदि, हो विचार शुभ शुद्ध शनि प्रदोष व्रत परायण, करे सुभक्त विशुद्ध ॥ ”

व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है। एक नगर सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न था । वह अत्यन्त दयालु था। उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था। वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था। लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्नी स्वयं काफी दुखी थे। दुःख का कारण था- उनके सन्तान का न होना। सन्तानहीनता के कारण दोनों घुले जा रहे थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्र पर जाने का निश्चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पडे। अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नही टूटी। मगर सेठ पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे। अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे। सेठ पति-पत्नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले- ‘मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं।’ साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई।

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार शिव शंकर जगगुरु नमस्कार ॥ हे नीलकंठ सुर नमस्कार । शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार

हे उमाकान्त सुधि नमस्कार । उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥ ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥

तीर्थयात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कालान्तर में सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया। दोनों आनन्दपूर्वक रहने लगे।”

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Shani Pradosh – Pradosh Vrat is considered to be most special to please Mahadev, it is also known as Trayodashi Vrat. Pradosh fast is observed 2 times in every month. If this fast falls on Saturday then it is called Shani Pradosh. Yoga of Shani Pradosh is considered very auspicious. It is believed that in this auspicious yoga, Lord Shiva, Goddess Parvati and Shani Dev are worshiped and fasted, then all the wishes of the person are fulfilled. it occurs. This fast is very beneficial for those who have Saturn’s shadow and shade, according to astrology, if some measures are taken to please God on the day of Shani Pradosh, then the person gets the blessings of wealth and happiness and prosperity today. In the video, we will tell you about Pooja Vidhi, the auspicious date of the second Pradosh Vrat.

Pradosh Vrat Date Pradosh Vrat January Month Date

This fast is dedicated to Goddess Parvati and Lord Shiva, it will be observed on the thirteenth day of the lunar month i.e. Krishna Trayodashi Tithi. After sunset and the first time before nightfall is called Pradosh Kaal. Which is called the most auspicious time to please Shiva.

Pradosh Vrat Puja Material Pradosh Vrat 

Pujan Samgri

Lord Shiva and Goddess Parvati are worshiped in Pradosh Vrat, but this Shani Pradosh will be very special to gain more benefits from worshiping Shani Dev due to Shani. For Shani Pradosh Puja, keep all the essential materials like copper lota, milk, clothes, rice, sun lamp, sandalwood, flowers, bell-leaf, coconut, paan, betel nut etc. Krishna Trayodashi is considered more fruitful and influential in the scriptures.

Pradosh Vrat Puja Vidhi Pradosh Vrat Puja Vidhi

On the day of Pradosh fast, start preparing for the fast after bathing in the morning, due to Shani Pradosh, to appease Shani Dev on this day, use black sesame, urad and oil in worship. It is considered auspicious to worship and chant the day of Shani Pradosh in the evening, that is, during the Pradosh period, worshiping Lord Shiva in the morning and offering all the worship materials like Belpatra, Akshat, Deep, Dhoop, Ganga water etc. Chant and offer water, offer Mahadev rice rice pudding on this day, read the fast story and listen to Lord Shiva and worship Shani Dev after worshiping black sesame, urad and oil Offering and reciting Shani Chalisa, it is recognized that whoever worships Lord Shiva Parvati and Shani Dev duly on this day, the person gets wealth in life and gets rid of all sorrows due to the effect of this fast.

Importance and Benefits of Pradosh Vrat

Trayodashi Tithi is very dear to Lord Shiva, due to which the Pradosha fast coming every month is auspicious, but Shani Pradosha is very special to get the blessings of Lord Shiva and Shani Dev, fasting Shani Pradosha will get rid of all the defects of Saturn. is. There is a belief in the scriptures that Lord Shiva incarnates on Shiva lingam during the Pradosh period, that is why his worship done at this time fulfills every desire of the devotee.

Shani Pradosh Vrat Udyan Vidhi Pradosh Vrat Updhayapan Vidhi

Those who keep Shani Pradosh fast for 11 or 26 Trayodashi, according to the scriptures, they should also undertake the fasting of the fast with complete law and practice. It gives full results of the fast. It is auspicious to do Pradosh fast on the day of Trayodashi it happens. Worship Shree Ganesh ji before udipana, after bathing in the morning on Trayodashi, after chanting the mantra Shivaay Nam: 108 times and perform Havan.

After the completion of the havan, recite the aarti and peace of Lord Shiva. After this, complete the method of udipana by giving food to the universe.

Shani Pradosh Vrat Mahaupay Pradosh Vrat Mahaupay

Shani Pradosh is considered special to get the blessings of Lord Shiva and along with Shani Dev. It is believed that if some measures are taken to please God on this day, then all the wishes of the person will be fulfilled and he should get fame and wealth. Boon is received.

1. On the day of Shani Pradosh, please Shani Dev by offering sesame to him to get rid of the ill effects of Shani defects and donate black things to the needy as per your reverence.

2. Donating oil in the name of Shani Dev on Shani Pradosh fulfills all wishes.

3. On this day, by worshiping the Peepal tree and offering water, the person gets the blessings of both Lord Shiva and Shani Dev.

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