शनि साढ़ेसाती क्या है क्या करे क्या ना करे

न्याय के देवता शनि को भले ही क्रूर ग्रह माना जाता है, लेकिन ये सदैव अपने कर्तव्य पथ का पालन करते हुए उसी के अनुसार फल देते हैं। शनि देव के इसी कर्मफल के चलते जहां लोग इनसे डरते हैं, वहीं कई लोग इन्हें अत्यंत क्रूर मानते हैं। कारण ये है कि ये कभी भी कर्म के फल में किसी चीज से प्रभावित नहीं होते।

हममें से जिसने भी शनि की दशा से पहले कुछ गलत किया है, तो शनि उसका दंड प्रदान करते हैं। सामान्यत: शनि के अपनी राशि में आते ही कई लोग ऐसे कर्म छोड़ देते हैं जो उनकी नजर में भी उचित नहीं होते, लेकिन शनि की दशा न होने पर वे उन्हीं कर्मों को कई बार अपने फायदे के लिए उपयोग में लाते हैं। ऐसे में शनि आपके उन्हीं कर्मों का दंड प्रदान करते हैं। जबकि यदि आप सदैव उचित जीवन जीते हैं, तो शनि अपनी साढ़े साती में तक आपको दंडित न करते हुए आपको कुछ शानदार अवसर तक प्रदान करते हैं। 

शनि से प्रभावित व्यक्ति कई प्रकार के अनावश्यक परेशानियों से घिरे हुए रहते हैं। कार्य में बाधाओं का होना, कोई भी कार्य आसानी से न बनना जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को कम करने हेतु शनिवार के दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना उत्तम रहता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि का कुप्रभाव हो उन्हें शनि के पैरों की तरफ ही देखना चाहिए, जहां तक हो सके शनि प्रभु की द्रष्टि दर्शन से बचना चाहिए। 

शनि से घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि शनि को अनुकूल कर कार्य सिद्ध करने के लिए विधिपूर्वक मंत्र जाप एवं अनुष्ठान जरूरी होते हैं।

ऐसे समझें शनि की साढ़ेसाती 

शनि आने पर शुरुआती ढाई साल में सिर पर रहते हैं, इसके बाद के ढ़ाई साल में वे पेट पर व आखिरी ढाई सालों में वे पैरों पर अपना खास असर दिखाते हैं।

साढ़ेसाती का मतलब है कि एक जातक की कुंडली में साढ़े सात साल तक शनि का प्रभाव रहना, और यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ऐसा होता है। तो शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचने के लिए आप कुछ आसान उपाय कर सकते हैं, ताकि शनि की बुरी दृष्टि से आपको बचे रहने में मदद मिल सके।

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शनि की साढ़ेसाती से बचाव 

1. मंगलवार का उपाय 

माना जाता है कि शनि कभी भी हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करता, वहीं सप्ताह के दिनों में मंगलवार के कारक देव श्री हनुमान माने जाते हैं। ऐसे में मंगलवार का व्रत करने से, मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाने से, मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करने से, हनुमान मंदिर में मंगलवार के दिन दिया जलाने से, शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचने में मदद मिलती है। मंगलवार के साथ शनिवार को भी सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना फायदेमंद माना जाता है।

2. गुरुवार को यह करें 

गुरुवार के दिन चने की दाल और गुड़ या फिर ताजे आटे के पेड़े पर हल्दी लगाकर गाय को खिलाने से भी शनि दोष को शांत करने में मदद मिलती है।

शनिवार के दिन करें यह उपाय

शनिवार के दिन एक बर्तन में पानी लेकर उसमें जल डालें और उसके बाद उसमें थोड़ी चीनी और काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें उसके बाद पीपल के पेड़ की तीन परिक्रमा लगाएं ऐसा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।

इसके अलावा शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर खाएं ऐसा करने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है और शनि दोष से राहत पाने में मदद मिलती है। शनिवार के दिन पीपल पर दिया जलाने से भी शनि दोष को कम करने में मदद मिलती है।

वहीं शनिवार के दिन तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनि मंत्रों का जाप 

शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी व शनि के मंत्रों का उच्चारण करें, ऐसा करने से भी शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचे रहने में मदद मिलती है।

शनिदेव मंत्र 

शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि का पौराणिक मंत्र

ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्

शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

तांत्रिक शनि मंत्र

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा। 

सामान्य मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः। 

शनि–स्तोंत्र 

ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम |

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ||

शनि-पीडाहर-स्तोंत्र 

सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: |

दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ||

शनि-बीज-मंत्र 

ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः

शिव की पूजा 

भगवान शिव की पूजा करने से भी शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को खत्म करने में मदद मिलती है यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती है तो इसके लिए आप शनिवार के दिन शिव चालीसा का पाठ करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें मान्यता के अनुसार ऐसा करने से शनि दोष शीघ्र ही दूर हो जाता है।

बुरे कर्म न करें 

किसी के बारे में बुरा न बोलें बुरा न सोचें, किसी का बुरा न करें ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी का बुरा हो सबके लिए अच्छा करें जरूरतमंद की मदद करें। ऐसा करने से भी शनि की अच्छी दृष्टि आप पर बनी रहती है और शनि की बुरी दृष्टि से आपको बचे रहने में मदद मिलती है।

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