Durga Panchami 2025 शारदीय नवरात्रि 2025 में माँ स्कंदमाता की पूजा: कथा, शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र और लाभ एवं समृद्धि पाने के उपाय 🌸

दुर्गा पंचमी 2025 माँ स्कंदमाता का स्वरूप
आदिशक्ति जगत जननी माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है। भगवान स्कन्द कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। ये सिंह पर आरूढ़ होकर कमल पर विराजमान रहती हैं। शुभ्र वर्ण, चार भुजाएँ, कमल और स्कन्द कुमार को गोद में लिए हुए इनका रूप अत्यंत दिव्य है। विशुद्ध चक्र में स्थित होकर साधक को अलौकिक तेज, मानसिक शुद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती हैं।
माँ स्कंदमाता सूर्य मण्डल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनकी उपासना से साधक को योगक्षेम की प्राप्ति, दुखों से मुक्ति और मानसिक शांति मिलती है।
स्कंद माता कौन हैं ?
स्कंद माता, भगवान शिव की अर्धांगिनी पार्वती का ही रूप हैं। इन्हें महेश्वरी और गौरी नाम से भी पूजा जाता है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें पार्वती कहा जाता है, शिव की पत्नी होने के कारण महेश्वरी और गौर वर्ण के कारण गौरी कहा जाता है। लेकिन स्कंद कुमार की माता होने के कारण इनका सबसे प्रिय नाम स्कंदमाता है। कहा जाता है कि जो भक्त इन्हें अपने पुत्र समान प्रेम से पूजते हैं, माता उन्हें भी अपने स्नेह से आशीर्वाद देती हैं।
दुर्गा पंचमी 2025 स्कंदमाता पूजा का शुभ मुहूर्त
तारीख: 27 सितम्बर
पंचमी तिथि प्रारंभ: 26 सितम्बर 09:32am
पंचमी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर 12:03pm
अभिजित मुहूर्त 11:53 – 12:41 शुभ
लाभ 09:18 10:48 शुभ
अमृत 10:48 12:17 शुभ
पूजा का श्रेष्ठ समय: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के बाद 6 से 9 बजे तक
पूजा के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रारंभ करें।
दुर्गा पंचमी 2025 स्कंद माता की पूजा का महत्व
1. नवरात्रि के पाँचवें दिन स्कंद माता की पूजा करने से बुरी नज़र और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है।
2. इस दिन विशेष रूप से नौ ग्रहों की शांति के लिए पूजा की जाती है।
3. माना जाता है कि माँ स्कंदमाता प्रसन्न होने पर असंभव कार्य भी संभव कर देती हैं।
4. बुरी शक्तियाँ भक्तों का कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं।
दुर्गा पंचमी 2025 स्कंदमाता पूजा विधि
1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थान पर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. दीप, धूप, पुष्प, अक्षत, नैवेद्य आदि सामग्री रखें।
4. पंचोपचार विधि से पूजा करें।
5. नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें:
मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
6. स्कंदमाता शप्तशती, ध्यान मंत्र, स्तोत्र और कवच का पाठ करें।
7. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
स्कंदमाता के मंत्र
ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
शप्तशती मंत्र:
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कन्दमाता कवच मंत्र:
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥
नियमित जाप से मानसिक स्थिरता, रोग निवारण और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
दुर्गा पंचमी 2025 स्कंदमाता पूजा के लाभ / उपाय
1. मन की शुद्धि और विशुद्ध चक्र का जागरण
2. संतान सुख की प्राप्ति
3. बुरी शक्तियों से रक्षा
4. व्यापार में वृद्धि
5. मानसिक शांति और आत्मबल
6. विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति
7. विदेश यात्रा में सफलता
8. दुर्घटनाओं से बचाव
स्कंद माता की कथा
एक समय ताड़कासुर नामक दानव ने भगवान ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। उसका विश्वास था कि वह कभी मरेगा नहीं, क्योंकि ब्रह्मा ने कहा था कि शिव के पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। ताड़कासुर ने सोचा कि शिव विवाह नहीं करेंगे, इसलिए उसका अंत असंभव है।
लेकिन देवताओं की रक्षा के लिए शिव ने विवाह किया और पार्वती से पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ। स्कंद कुमार ने दुष्ट ताड़कासुर का वध कर संसार को अत्याचार से बचाया। यही कारण है कि माँ पार्वती का नाम स्कंदमाता पड़ा। माना जाता है कि माँ-बेटे के प्रेम और संबंध का प्रतीक यही स्वरूप है।
नवरात्रि पंचम दिवस पर विशेष उपाय
विवाह में बाधा: 36 लौंग और 6 कपूर में हल्दी व चावल मिलाकर आहुति दें।
संतान प्राप्ति: लौंग, कपूर और अनार के दाने मिलाकर आहुति दें।
व्यापार में वृद्धि: लौंग, कपूर और पीले फूल मिलाकर पूजा करें।
विदेश यात्रा: मूली के टुकड़ों को हवन सामग्री में मिलाकर हवन करें।
अनहोनी से बचाव: 800 ग्राम चावल को दूध से धोकर मंत्र जाप कर बहते जल में प्रवाहित करें।
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स्कंदमाता की आरती
नवरात्रि में पञ्चम स्कन्द माँ महारानी।
इनके ममता स्वरूप को ध्याये ध्यानी ग्यानी।।
कार्तिकेय को गोद के करती अनोखा प्यार।
अपनी शक्ति देकर करे रक्त संचार।।
भूरे सिंह पर बैठकर मंद-मंद मुस्काये।
कमल के आसन बैठी शोभा वरणी ना जाए।।
आशीर्वाद की मुद्रा मन में भरे उमंग।
कीर्तन करता दास से छोड़ के नाम का रंग।।
जैसे रूठे बालक की सुनती आप पुकार।
मुझको भी वो प्यार दो मत करना इन्कार।।
श्री जय जय स्कन्दा माँ
साथ ही आप माँ दुर्गा की आरती का पाठ कर सकते हैं जिससे पूजा पूर्ण मानी जाती है।
समृद्धि पाने के उपाय
1. माँ स्कंदमाता को कमल पुष्प अर्पित करें।
2. ध्यान के साथ मंत्र जाप करें।
3. पंचोपचार विधि से पूजा करें।
4. नैवेद्य में खीर, फल, मिश्री अर्पित करें।
5. नियमित रूप से मंगलवार और शुक्रवार को व्रत रखें।
6. मानसिक शुद्धि के लिए योग व ध्यान करें।
7. संतान, व्यापार, विवाह आदि में आने वाली बाधाओं से मुक्ति हेतु विशेष हवन करें।
✅ निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि 2025 में पंचम दिवस पर माँ स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी कृपा से साधक को मानसिक शांति, समृद्धि, संतति सुख, रोग निवारण और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। नियमित पूजा, मंत्र जाप और विशेष उपायों से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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