हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित | हनुमान चालीसा पाठ के नियम और चमत्कारी लाभ 

हनुमान जी और हनुमान चालीसा दोनों का भारतीय संस्कृति में विशेष और अवर्णनीय महत्व है। हनुमान जी का नाम सुनते ही हमारे अंदर अद्भुत शक्ति और साहस का संचार होने लगता है। हनुमान चालीसा दुनिया की सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति मानी जाती है। इसकी प्रत्येक चौपाई अपने आप में प्रभावशाली है और जीवन की हर समस्या का समाधान करने की क्षमता रखती है। इसे नियमित पाठ करने से साधक में चमत्कारी शक्ति उत्पन्न होती है।

अधिकांश लोग हनुमान चालीसा को केवल रटकर पढ़ते हैं, पर क्या हमें वास्तव में पता होता है कि हम हनुमान जी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं ? केवल शब्दों का उच्चारण करना पर्याप्त नहीं है। हनुमान चालीसा का सच्चा आनंद और वास्तविक फल तभी प्राप्त होता है, जब हम इसके अर्थ और महत्व को समझकर पढ़ते हैं।

तो आइए, जानते हैं श्री हनुमान चालीसा हिन्दी अर्थ सहित, ताकि आप हर चौपाई के पीछे की गहरी शक्ति और भक्ति को अनुभव कर सकें।

हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित 

॥ हनुमान चालीसा ॥

1️⃣

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

अर्थ:

हे हनुमान जी! आप ज्ञान और गुणों के समुद्र हैं। तीनों लोकों में आपकी कीर्ति उज्ज्वल रूप से प्रकाशित है।

2️⃣

रामदूत अतुलित बलधामा ।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

अर्थ:

आप भगवान श्रीराम के दूत हैं। आप अपार बल के धाम हैं। आप अंजनी देवी के पुत्र और पवनदेव के नाम से प्रसिद्ध हैं।

3️⃣

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥

अर्थ:

आप महान वीर और अद्भुत पराक्रमी हैं। आप दुर्बुद्धि को नष्ट कर सुबुद्धि के साथी बनते हैं।

4️⃣

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुंडल कुंचित केसा ॥

अर्थ:

आपका रंग सोने की तरह तेजस्वी है। आप सुंदर वस्त्र धारण किए रहते हैं और आपके कानों में कुंडल तथा घुँघराले बाल हैं।

5️⃣

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥

अर्थ:

आप एक हाथ में वज्र (इंद्र का अस्त्र) और दूसरे में ध्वजा धारण करते हैं। कंधे पर पवित्री (जनेऊ) सुशोभित होता है।

6️⃣

संकर सुवन केसरी नंदन ।

तेज प्रताप महा जग वंदन ॥

अर्थ:

आप शिवजी के अवतार और केसरी के पुत्र हैं। आपका तेज और प्रताप ऐसा है कि सारा संसार आपकी वंदना करता है।

7️⃣

विद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ॥

अर्थ:

आप अत्यंत विद्वान, गुणी और चतुर हैं। आप सदा श्रीराम के कार्य करने के लिए उत्सुक रहते हैं।

8️⃣

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ॥

अर्थ:

आप भगवान राम के चरित्र को सुनने में प्रेम रखते हैं और राम, लक्ष्मण व सीता जी आपके हृदय में निवास करते हैं।

9️⃣

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

अर्थ:

आपने छोटा रूप धारण कर सीता माता को दर्शन दिए और विशाल रूप धारण कर संपूर्ण लंका जला डाली।

🔟

भीम रूप धरि असुर संहारे ।

रामचंद्र के काज संवारे ॥

अर्थ:

आपने भयंकर रूप धारण कर राक्षसों का संहार किया और श्रीराम के कार्यों को सफल बनाया।

1️⃣1️⃣

लाय संजीवन लखन जियाये ।

श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

अर्थ:

आप संजीवनी बूटी लेकर लक्ष्मण जी को जीवित किया। इससे श्रीरामजी अत्यंत हर्षित हुए और आपको हृदय से लगा लिया।

1️⃣2️⃣

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरत सम भाई ॥

अर्थ:

श्रीराम ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि आप उनके प्यारे भाई भरत के समान प्रिय हैं।

1️⃣3️⃣

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

अर्थ:

श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है

1️⃣4️⃣

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

नारद सारद सहित अहीसा ॥

अर्थ:

श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।

1️⃣5️⃣

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥

अर्थ:

यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।

1️⃣6️⃣

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा ।

राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥

अर्थ:

आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

1️⃣7️⃣

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना ।

लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥

अर्थ:

आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।

1️⃣8️⃣

जुग सहस्र जोजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

अर्थ:

जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।

1️⃣9️⃣

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि ।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥

अर्थ:

आपने श्रीराम की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र पार किया। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

2️⃣0️⃣

दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

अर्थ:

संसार के जितने भी कठिन कार्य हैं, हनुमान जी की कृपा से सभी सहज हो जाते हैं।

2️⃣1️⃣

राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

अर्थ:

आप श्रीराम के द्वार के रक्षक हैं। आपकी अनुमति के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता।

2️⃣2️⃣

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रक्षक काहू को डरना ॥

अर्थ:

जो आपकी शरण में आता है, उसे सभी सुख मिलते हैं। आप रक्षक हैं, इसलिए डरने की जरूरत नहीं।

2️⃣3️⃣

आपन तेज सम्हारो आपै ।

तीनों लोक हाँक ते काँपै ॥

अर्थ:

आपकी शक्ति अद्भुत है। आपकी गर्जना से तीनों लोक कांपते हैं।

2️⃣4️⃣

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।

महावीर जब नाम सुनावै ॥

अर्थ:

जहाँ महावीर हनुमान का नाम लिया जाता है, वहाँ भूत-पिशाच भी नहीं आ सकते।

2️⃣5️⃣

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

अर्थ:

जो लगातार हनुमान जी का जाप करता है, उसके सारे रोग और पीड़ा दूर हो जाते हैं।

2️⃣6️⃣

संकट तें हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

अर्थ:

जो व्यक्ति हनुमान जी में ध्यान रखता है और उनका स्मरण करता है, वह सभी संकटों से मुक्त हो जाता है।

2️⃣7️⃣

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिनके काज सकल तुम साजा ॥

अर्थ:

श्रीराम, सभी तपस्वियों के राजा हैं। आप उनके सभी कार्यों को सफल बनाते हैं।

2️⃣8️⃣

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोई अमित जीवन फल पावै ॥

अर्थ:

जो भी आपके नाम का स्मरण करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। उसका जीवन फलप्रद और महान होता है।

2️⃣9️⃣

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

अर्थ:

सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग में आपका यश फैला हुआ है। जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशित है।

3️⃣0️⃣

साधु सन्त के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अर्थ:

आप संतों और साधुओं के रक्षक हैं और दुष्ट असुरों का संहार करते हैं।

3️⃣1️⃣

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।

अस बर दीन जानकी माता ॥

अर्थ:

आपको माता जानकी ने आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ देने का वरदान दिया है।

1. अणिमा → किसी भी वस्तु में प्रवेश कर जाना

2. महिमा → स्वयं को विशाल करना

3. गरिमा → भारी बन जाना

4. लघिमा → हल्का बन जाना

5. प्राप्ति → इच्छित वस्तु प्राप्त करना

6. प्राकाम्य → इच्छा अनुसार काम करना

7. ईशित्व → सब पर शासन करना

8. वशित्व → दूसरों को वश में करना

3️⃣2️⃣

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

अर्थ:

आप सदैव श्रीराम की शरण में रहते हैं। इससे आपके पास उम्र बढ़ाने और रोगों से मुक्ति पाने का राम रसायन (औषधि) है।

3️⃣3️⃣

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अर्थ:

आपका भजन करने वाले को श्रीराम की प्राप्ति होती है और जन्मों के दुख दूर होते हैं।

3️⃣4️⃣

अन्त काल रघुबर पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

अर्थ:

अंत समय में भी, भक्तों का उद्धार होता है और वे श्रीराम के भक्त कहलाते हैं।

3️⃣5️⃣

और देवता चित न धरई ।

हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥

अर्थ:

आपकी सेवा करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। अन्य देवताओं की आवश्यकता नहीं रहती।

3️⃣6️⃣

संकट कटै मिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

अर्थ:

जो हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके सभी संकट और पीड़ा दूर हो जाते हैं।

3️⃣7️⃣

जय जय जय हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥

अर्थ:

हे हनुमान जी! आपकी जय हो। आप कृपा करके हमें गुरु की तरह मार्गदर्शन दें।

3️⃣8️⃣

जो सत बार पाठ कर कोई ।

छुटहि बंदि महा सुख होई ॥

अर्थ:

जो कोई हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करता है, वह सभी बंधनों से मुक्त होकर महान आनंद प्राप्त करता है।

3️⃣9️⃣

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

अर्थ:

भगवान शंकर ने इस चालीसा को देखा और प्रमाण स्वरूप इसे साक्षी माना। जो इसे पढ़ेगा, उसे निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी।

4️⃣0️⃣

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय में डेरा ॥

अर्थ:

हे हनुमान जी! तुलसीदास हमेशा श्रीराम का दास है। इसलिए आप उनके हृदय में निवास कीजिए।

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

अर्थ:

हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।

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हनुमान चालीसा पाठ करने के नियम

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए पाठ श्रद्धा, स्वच्छता और संयम के साथ करना चाहिए।

नियम विवरण

  • स्नान के बाद ही पाठ करें स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • पूजन के समय तुलसी या दीपक जलाएं संभव हो तो दक्षिणमुख होकर पाठ करें
  • सात्विक आहार लें पाठ के दौरान मन एकाग्र रखें

हनुमान चालीसा पढ़ने का तरीका

हनुमान जी और राम जी की मूर्ति या चित्र के सामने पाठ करें।

पहले राम जी फिर हनुमान जी का ध्यान करें।

कम से कम 1 बार से लेकर 100 बार तक पाठ किया जा सकता है।

पाठ के बाद जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

पाठ का समय नियमित रखें।

विशेष अवसर पर यात्रा और सोते समय भी पाठ किया जा सकता है।

हनुमान चालीसा पाठ के लाभ 

1. भय और बुरी आत्माओं से मुक्ति: रात में डर या बुरे विचार आने पर लाभ।

2. साढ़े साती और शनि दोष कम करें: ग्रह दोष दूर होते हैं।

3. पाप से मुक्ति: रात के समय 8 बार पाठ करने से पाप दूर होते हैं।

4. बाधा निवारण: संकट और डर से छुटकारा।

5. शक्ति, बुद्धि और भक्ति जागृत होती है।

हनुमान चालीसा की खास चौपाइयाँ और चमत्कार

रामदूत अतुलित बलधामा: शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति।

महाबीर बिक्रम बजरंगी: सुबुद्धि और अच्छे विचार प्राप्त।

विद्यावान गुणी अति चातुर: विद्या और चतुराई की प्राप्ति।

भीम रूप धरि असुर संहारे: शत्रुओं पर विजय।

लाय संजीवन लखन जियाये: गंभीर बीमारियों से मुक्ति।

हनुमान चालीसा का धार्मिक महत्व

हनुमान चालीसा में चालीस चौपाइयाँ, 16 संस्कार और 24 तत्व शामिल हैं। यह जीवन की संपूर्णता और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है।

16 संस्कार – गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारम्भ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, पाणिग्रहण, अन्त्येष्टि।

24 तत्व – 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्त:करण।

FAQ – हनुमान चालीसा

Q1: हनुमान चालीसा क्या है ?

Ans: हनुमान चालीसा संत तुलसीदास द्वारा रचित 40 चौपाइयों की स्तुति है।

Q2: हनुमान चालीसा पढ़ने का लाभ क्या है ?

Ans: हनुमान चालीसा पढ़ने से संकट, भय, रोग, पाप और शनि दोष दूर होते हैं। यह शक्ति, बुद्धि, भक्ति और मन की शांति प्रदान करता है।

Q3: हनुमान चालीसा कब पढ़नी चाहिए ?

Ans: किसी भी समय, विशेषकर सुबह या मंगलवार/शनिवार को।

Q4: कितनी बार पढ़नी चाहिए ?

Ans: रोजाना कम से कम 1 बार; विशेष इच्छाओं के लिए 11, 21 या 100 बार।

Q5: अर्थ जानना जरूरी क्यों है ?

Ans: केवल रटकर पढ़ने से पाठ का पूरा प्रभाव नहीं मिलता। अर्थ जानने से भक्ति और शक्ति का अनुभव बढ़ता है। और पाठ का असर बढ़ता है।

Q6: हनुमान चालीसा पढ़ने से कौन से संकट दूर होते हैं ?

A: भय, मानसिक अशांति, शनि दोष, रोग, बाधा, कार्यों में विफलता और पाप जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।

Q7: हनुमान चालीसा का पाठ कैसे प्रभावी बनता है ?

A: इसे श्रद्धा, भक्ति और नियमित समय पर पढ़ने से असर अधिक होता है। साथ ही, हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने पाठ करना शुभ माना गया है।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।