शरद पूर्णिमा |शरद पूर्णिमा महत्व, व्रत कथा, खीर का महत्त्व और कोजागर पूजा विधि

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा कहा जाता है, शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागर पूर्णिमा के व्रत से दरिद्रता दूर होती है और धन सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। पूर्णिमा को किए जाने वाला कोजागरी व्रत लक्ष्मीजी को अतिप्रिय हैं इसलिए इस व्रत का श्रद्धापूर्ण पालन करने से लक्ष्मीजी अति प्रसन्न होती हैं।

शरद पूर्णिमा क्या है ?

शरद पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है। यह वर्ष की ऐसी एकमात्र पूर्णिमा होती है जब चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण रूप में दिखाई देता है। इस पावन रात्रि को कोजागर पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कौमुदी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस दिव्य रात में चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, इसलिए लोग खीर बनाकर उसे चांदनी में रखते हैं ताकि वह अमृतमय हो जाए। साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस रात मां लक्ष्मी स्वयं जागृत होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागरण कर उनकी आराधना करता है, उसके घर समृद्धि का वास होता है।

इसी कारण शरद पूर्णिमा को धन, आरोग्य और सौभाग्य प्रदान करने वाली पूर्णिमा माना गया है।

🌼 शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्त्व

ज्योतिष के अनुसार, शरद पूर्णिमा को “मोह रात्रि” कहा जाता है। इस व्रत को कोजागर या कौमुदी व्रत भी कहते हैं क्योंकि माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात में भ्रमण पर निकलती हैं यह देखने के लिए कि कौन जाग रहा है।

जो जागता है और लक्ष्मीजी का पूजन करता है, उनके घर में लक्ष्मी निवास करती हैं। इसलिए इस रात जागरन और भक्ति का विशेष महत्व है।

इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।

🪔 शरद पूर्णिमा व्रत एवं पूजन विधि 

  • प्रातः स्नान करके उपवास रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • तांबे या मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढँकी स्वर्णमयी लक्ष्मी प्रतिमा स्थापित करें।
  • सांयकाल चन्द्रोदय होने पर सोने, चाँदी या मिट्टी के 100 घी के दीपक जलाएँ।
  • खीर तैयार करें, घी मिलाकर अनेक पात्रों में रखें और चाँदनी में रख दें।
  • एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) बाद लक्ष्मीजी को खीर अर्पित करें।
  • सात्विक ब्राह्मणों को खीर खिलाएँ और रात्रि भर भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
  • प्रातःकाल पुनः स्नान करके प्रतिमा आचार्य को अर्पित करें।

☝️ मान्यता है कि इस रात्रि मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए विचरण करती हैं और संकल्प करती हैं — “कौन जाग रहा है ? मैं आज उसे धन दूँगी।”

🍚 शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का महत्व

यह वह समय होता है जब शीत ऋतु का आगमन होता है। रात्रि में खीर का सेवन इस बात का प्रतीक है कि आगे आने वाली ठंड में हमें पौष्टिक और गर्म प्रकृति के आहार लेने चाहिए। चंद्रमा की चाँदनी में रखी खीर को अमृत तुल्य माना गया है।

📖 शरद पूर्णिमा व्रत कथा

एक साहूकार की दो पुत्रियाँ थीं। दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी अधूरा। परिणामस्वरूप छोटी पुत्री की संतान जन्म लेते ही मर जाती थी।

पंडितों से कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि पूर्ण व्रत न करने के कारण संतति का नाश हो रहा है। उसने विधिपूर्वक व्रत किया, परंतु संतान फिर भी मर गया। उसने बच्चे को पीढ़े पर लिटाकर ऊपर से ढक दिया और बड़ी बहन को बुलाकर वहीं बैठने को कहा। जैसे ही बड़ी बहन बैठने लगी, बच्चे ने रोना शुरू कर दिया।

छोटी बहन बोली —

“यह मर चुका था, पर तेरे पुण्य से जीवित हुआ है।”

तब से नगर में घोषणा कर दी गई कि पूर्णिमा का व्रत पूरी श्रद्धा से करना चाहिए।

🌙 शरद पूर्णिमा की रात को क्या करें और क्या न करें ?

  • दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात को चंद्र दर्शन करें
  • नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए 15-20 मिनट चंद्रमा पर त्राटक करें
  • चाँदनी में खीर रखकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करें
  • दमे (Asthma) के रोगियों के लिए यह रात वरदान मानी गई है
  • गर्भवती महिला की नाभि पर चाँदनी पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है
  • ⚠️ इस रात्रि काम-विकार से बचना चाहिए, अन्यथा शरीर व बुद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

🔯 राशि अनुसार शरद पूर्णिमा उपाय

राशि उपाय

मेष 🐐 कन्याओं को खीर खिलाएँ, चावल दूध में धोकर बहते पानी में प्रवाहित करें

वृष 🐂 मंदिर में दही और गाय का घी दान करें

मिथुन 💏 दूध और चावल का दान करें

कर्क 🦀 मिश्री युक्त दूध मंदिर में चढ़ाएँ

सिंह 🐅 मंदिर में गुड़ का दान करें

कन्या 👩 3 से 10 वर्ष की कन्याओं को खीर खिलाएँ

तुला ⚖ दूध, चावल और घी मंदिर में दान करें

वृश्चिक 🦂 दूध व चांदी का दान करें

धनु 🏹 पीले कपड़े में चने की दाल मंदिर में रखें

मकर 🐊 बहते पानी में चावल बहाएँ

कुंभ 🍯 दृष्टिहीनों को भोजन करवाएँ

मीन 🐳 ब्राह्मणों को भोजन करवाएँ

Must Read शरद पूर्णिमा: जानें शरद पूर्णिमा की पूजा विधि महत्व कथा और शरद पूर्णिमा के ज्योतिषीय उपाय 

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. शरद पूर्णिमा कब मनाई जाती है ?

Ans. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागर पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

Q2. शरद पूर्णिमा की रात खीर चाँदनी में क्यों रखते हैं ?

Ans. मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से अमृत बरसता है। चाँदनी में रखी खीर अमृतमयी हो जाती है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती है।

3. शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है ?

Ans. इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि में भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागकर उनकी पूजा करता है, उस पर माता विशेष कृपा बरसाती हैं।

Q4. शरद पूर्णिमा पर क्या नहीं करना चाहिए ?

Ans. इस रात क्रोध, अपवित्र भोजन, नशा या काम-विकारों से दूर रहना चाहिए। इसके स्थान पर व्रत, जागरण और भजन-कीर्तन करना श्रेष्ठ है।

Q5. शरद पूर्णिमा पर राशि अनुसार क्या उपाय करने चाहिए ?

Ans. हर राशि के लिए अलग उपाय बताए गए हैं जैसे मेष राशि वाले कन्याओं को खीर खिलाएं, वृष राशि वाले घी-दही दान करें, मिथुन राशि वाले दूध-चावल का दान करें आदि।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।