श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी भजन – सम्पूर्ण लिरिक्स, महत्व और भक्ति लाभ
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी भजन एक अत्यंत लोकप्रिय और भक्तिपूर्ण कृष्ण स्तुति है। इस भजन का गायन भक्तों के मन को शांति, भक्ति और दिव्य आनंद से भर देता है। “हे नाथ नारायण वासुदेवा” की पुकार आत्मा को भगवान से जोड़ती है। यह भजन मंदिरों, कथा कार्यक्रमों, कीर्तन, सुबह-शाम की आरती और घर में पूजा के दौरान गाया जाता है।
✅ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी लिरिक्स
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥
बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी…॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
हरी बोल, हरी बोल, हरी बोल, हरी बोल ॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
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✅ भजन का महत्व
यह भजन कृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का प्रतीक है। इसके पाठ से भावनात्मक शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
इसके प्रमुख लाभ:
मन को शांति देता है
भय और चिंता दूर करता है
भक्त और भगवान का भावनात्मक संबंध गहरा करता है
गीता के संदेशों की याद दिलाता है
ध्यान और कीर्तन के लिए श्रेष्ठ स्तुति
✅ कब और कैसे गाया जाए ?
- ✔ भजन संध्या के दौरान
- ✔ जन्माष्टमी, हरि नाम संकीर्तन, भागवत कथा
- ✔ घर, मंदिर, भजन मंडली या सत्संग में
- ✔ सुबह की आरती या रात की भक्ति में
✅ FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्र.1: यह भजन किस देवता को समर्पित है ?
👉 यह भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक भक्ति भजन है।
प्र.2: क्या इसे रोज गाया जा सकता है ?
👉 हाँ, इसे सुबह-शाम या संकीर्तन में गाना श्रेष्ठ माना जाता है।
प्र.3: क्या यह भजन वीडियो/कीर्तन के लिए उपयोगी है ?
👉 बिल्कुल, यह कीर्तन, आरती या समूह भजन के लिए उपयुक्त है।
प्र.4: क्या इसके साथ ध्यान लगाया जा सकता है ?
👉 जी हाँ, यह ध्यान और जप दोनों के लिए दिव्य है।

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