🏵️ श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा – पंचम अध्याय (पूर्ण कथा एवं आरती सहित) 🏵️

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा कलियुग में अत्यंत फलदायी मानी गई है।

जो व्यक्ति श्रद्धा, विश्वास और भक्ति से यह व्रत करता है, उसके जीवन से दुःख, दरिद्रता, भय और पाप दूर हो जाते हैं।

इस व्रत में पाँच अध्यायों की कथा कही गई है, जिनमें प्रत्येक अध्याय का संदेश मानव जीवन के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद है।

यहाँ प्रस्तुत है पाँचवां अध्याय – राजा तुंगध्वज की कथा, जो भगवान की अवहेलना के परिणाम और क्षमाभाव की शक्ति का सुंदर उदाहरण है।

🌸 श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा – पंचम अध्याय 🌸

श्री सूतजी बोले –

हे मुनिगण! अब मैं एक और अद्भुत कथा सुनाता हूँ, आप सभी श्रद्धा से सुनें।

एक समय की बात है, तुंगध्वज नाम का एक राजा था। वह प्रजा के प्रति अत्यंत दयालु और धर्मपरायण था।

राजा सदैव अपने राज्य के कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहता था, परंतु उसमें थोड़ा अहंकार आ गया था।

एक दिन राजा वन में शिकार करने गया। वहाँ शिकार से थककर वह एक बड़ (बरगद) के वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा।

उसी समय उसने देखा कि कुछ ग्वाले (गोपबालक) अपने परिवार सहित अत्यंत भक्ति भाव से श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे हैं।

वे सब फल, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर भगवान से सुख-शांति की प्रार्थना कर रहे थे।

उनके चेहरे पर भक्ति और आनंद झलक रहा था।

परंतु राजा तुंगध्वज ने अहंकारवश उस पूजा का आदर नहीं किया

उसने न भगवान को नमस्कार किया और न प्रसाद ही स्वीकार किया।

ग्वालों ने जब प्रसाद उसके सामने रखा, तो उसने बिना कुछ कहे उस प्रसाद को अस्वीकार कर दिया और अपने नगर लौट आया।

🌺 भगवान की अप्रसन्नता और राज्य का नाश 🌺

जब राजा नगर पहुंचा, तो देखा कि उसका राज्य नष्ट हो गया था।

महल खंडहर बन चुके थे, धन-धान्य लुट चुका था, परिवार बिखर गया था।

राजा को समझ आ गया कि यह सब भगवान सत्यनारायण की अवमानना का परिणाम है।

पछतावा करते हुए वह वापस वन की ओर गया और ग्वालों के पास जाकर विनम्रता से क्षमा माँगी।

ग्वालों ने उसे प्रेमपूर्वक स्वागत किया और भगवान सत्यदेव की विधिवत पूजा सिखाई।

राजा ने पूरे श्रद्धा-भाव से व्रत किया, कथा सुनी और प्रसाद ग्रहण किया।

भगवान सत्यदेव उस पर प्रसन्न हुए और राजा का राज्य, धन, परिवार – सब कुछ पूर्ववत हो गया।

अब वह राजा अहंकाररहित और विनम्र बन गया।

उसने जीवन भर भगवान सत्यनारायण का व्रत किया और अंत में मोक्ष प्राप्त किया।

🌿 सत्यनारायण व्रत के अद्भुत फल 🌿

श्री सूतजी ने आगे कहा —

जो व्यक्ति इस महान व्रत को श्रद्धा से करता है,

उसे जीवन में कभी भी धन, सुख और संतोष की कमी नहीं होती

निर्धन व्यक्ति धनवान बनता है, रोगी स्वस्थ होता है,

बंधन में पड़ा व्यक्ति मुक्त होता है,

संतानहीन को संतान प्राप्त होती है और

अंत में भक्त बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।

🌼 पूर्व जन्मों के पुण्य फल की कथा 🌼

हे मुनिगण! अब उन लोगों के दूसरे जन्म की कथा भी सुनिए, जिन्होंने पहले यह व्रत किया था —

1. वृद्ध ब्राह्मण शतानंद – अगले जन्म में सुदामा बनकर जन्मे।

उन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति और सेवा से बैकुंठ धाम प्राप्त किया।

2. महाराज उल्कामुख – अगले जन्म में राजा दशरथ बने।

उन्होंने श्रीरंगनाथ भगवान की पूजा करके मोक्ष प्राप्त किया।

3. साधु वैश्य – अगले जन्म में राजा मोरध्वज बने।

उन्होंने अपने पुत्र का बलिदान देकर धर्म की रक्षा की और बैकुंठ धाम को प्राप्त हुए।

4. राजा तुंगध्वज – अगले जन्म में स्वयंभू मनु के रूप में प्रकट हुए।

उन्होंने असंख्य लोगों को भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया और मोक्ष को प्राप्त हुए।

5. लकड़हारा – अगले जन्म में गुह निषादराज बने।

जिन्होंने श्रीराम के चरणों की सेवा कर अपने सभी जन्मों को सफल बनाया।

🌺 इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय सम्पूर्ण 🌺

🕉️ श्री सत्यनारायण भगवान की आरती 🕉️

जय श्री लक्ष्मी रमणा स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा ।।

रत्न जड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजै ।

नाद करद निरन्तर घण्टा ध्वनि बाजै ।।

प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो ।

बूढ़ा ब्राह्मण बन के कंचन महल कियो ।।

दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूढ़ इक राजा तिनकी विपत हरी ।।

वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी ।

सो फल भोग्यो प्रभु जी फेर स्तुति कीन्ही ।।

भाव भक्ति के कारण छिन – छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीनी जन को काज सरयो ।।

ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीना दीनदयाल हरी ।।

चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा ।

धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ।।

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ।।

🌸 श्री सत्यनारायण भगवान की जय! 🌸

🌼 प्रेम से बोलिए – जय जय श्री राधे! 🌼

Must Read जानें श्री सत्यनारायण व्रत कथा पूजन विधि आरती जानें पूर्णिमा पर क्यों सुनी जाती है सत्‍यनारायण व्रत कथा ? 

🙏 सत्यनारायण व्रत से जुड़े प्रश्न (FAQ)

Q1. सत्यनारायण व्रत किस दिन करना चाहिए ?

👉 सामान्यतः पूर्णिमा तिथि को यह व्रत सर्वोत्तम माना गया है, परंतु कोई भी शुभ दिन चुना जा सकता है।

Q2. इस व्रत में क्या सामग्री रखी जाती है ?

👉 कलश, तुलसी पत्र, धूप, दीप, पंचामृत, फल, मेवा, कदली फल और प्रसाद अनिवार्य माने गए हैं।

Q3. सत्यनारायण कथा कितने अध्यायों की होती है ?

👉 कुल पाँच अध्याय हैं, जिनमें प्रत्येक में भगवान के चमत्कार और भक्तों की भक्ति का वर्णन है।

Q4. इस व्रत को करने से क्या लाभ होता है ?

👉 जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।