गौरी मंत्र: पूजन विधि, महत्व, कथा और आरती

पुराणों के अनुसार, गौरी माता पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। कथा के अनुसार माता पार्वती ने हिमालय पर घोर तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप प्राप्त कर सकें। उनकी इस तपस्या और शक्ति के कारण उन्हें ज्येष्ठा गौरी कहा गया।

मान्यता है कि गौरी माता हर वर्ष अपने मायके (पृथ्वी लोक) आती हैं और भक्तों के घर विराजमान होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। जैसे पुत्री मायके में स्नेह पाती है, वैसे ही गौरी पूजन में महिलाएँ माँ को आमंत्रित कर उन्हें सजाती-सँवारती हैं और विविध व्यंजन अर्पित करती हैं।

👉 इस पूजन से सौभाग्य, संतान सुख, समृद्धि और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है।

गौरी मंत्र का महत्व | Gauri Mantra Importance

हिंदू धर्म में गौरी माता, भगवान शिव की अर्धांगिनी और शक्ति स्वरूपा मानी जाती हैं। उन्हें सौभाग्य, दांपत्य सुख, प्रेम और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। गौरी मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख-शांति आती है और अविवाहित कन्याओं को योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

🌺 प्रमुख गौरी मंत्र

1. गौरी मूल मंत्र

ॐ गौर्यै नमः॥

👉 यह सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है।

2. गौरी विवाह मंत्र (कात्यायनी मंत्र)

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।

नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥

👉 अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर पाने के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए।

3. गौरी स्तुति मंत्र

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥

👉 यह मंत्र दांपत्य जीवन, सौ

भाग्य और समृद्धि प्रदान करता है।

गौरी मंत्र के लाभ | Gauri Mantra Benefits

अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।

दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बढ़ती है।

सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

कठिन परिस्थितियों में मानसिक शांति और शक्ति मिलती है।

गौरी पूजन का महत्व | Gauri Pujan Importance

1. स्त्रियों का प्रमुख व्रत – विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि हेतु यह व्रत करती हैं।

2. संतान सुख के लिए शुभ – निःसंतान दंपत्ति गौरी पूजन कर माँ से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते हैं।

3. धन-धान्य और समृद्धि – माँ गौरी को अन्न और सुहाग की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से घर में अन्न-समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है।

4. गृहकलह दूर होते हैं – यह पूजा वैवाहिक जीवन और परिवार में सौहार्द बनाए रखने में सहायक है।

📖 पुराणों में वर्णित पावन उपाय (Sacred Remedies)

1. गौरी को हल्दी और सिंदूर चढ़ाना

हल्दी = सुख-समृद्धि का प्रतीक

सिंदूर = अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

👉 यह उपाय पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन को सुखमय और लंबा बनाता है।

2. सोलह श्रृंगार अर्पित करना

माता गौरी को सोलह श्रृंगार अर्पित करने से स्त्री को अखंड सौभाग्य, सौंदर्य और दीर्घ वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।

3. गौरी माता को नारियल अर्पित करना

नारियल अर्पित करने से परिवार में समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

4. गौरी को हलवे-पूरी का भोग लगाना

विशेषकर पूरियों और मिठाई का भोग लगाने से घर में अन्नपूर्णा का वास होता है।

5. गौरी पूजा में कलश स्थापना

कलश में जल, सुपारी, आमपत्र और नारियल रखकर पूजा करने से घर में शांति, सुख और लक्ष्मी का निवास होता है।

6. गौरी मंत्र का जाप

ॐ गौर्यै नमः॥

ॐ पार्वत्यै नमः॥

👉 इन मंत्रों का 108 बार जप करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

गौरी मंत्र जाप की विधि

1. स्नान व पूजन: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. गौरी माता का पूजन: फूल, धूप, दीप और चंदन अर्पित करें।

3. माला का प्रयोग: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला से मंत्र जाप करें।

4. जप संख्या: कम से कम 108 बार जाप करना श्रेष्ठ माना गया है।

5. नियमिता: लगातार 21 दिन या नवरात्रि के दौरान जाप विशेष फलदायी है।

गौरी माता की आरती 

जय गौरी माता, जय गौरी माता।

जय जगदम्बे जय गौरी माता॥

सत्य सनातन, सुन्दर रूपा।

त्रिभुवन पूजित, नित जगभूपा॥ १॥

सिंह वाहन, राजत भवानी।

हाथ लिए त्रिशूल भवानी॥ २॥

मंगल मूर्ति, आरति तुम्हारी।

अम्बे जगदम्बे जय त्रिपुरारी॥ ३॥

चरणों में शरणागति लाऊँ।

सकल मनोरथ सिद्धि पाऊँ॥ ४॥

तेरी महिमा पार न पाई।

सुख सम्पत्ति घर में आई॥ ५॥

दुख दरिद्र मिटे भवानी।

सुख सम्पत्ति दे तू भवानी॥ ६॥

भक्त तेरे गुण गाते नित दिन।

भवसागर से तारो भवानी॥ ७॥

जय गौरी माता, जय गौरी माता।

जय जगदम्बे जय गौरी माता॥ ८॥

इस आरती का नियमित पाठ करने से:

घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।

संतान सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Must Read Gauri Vrat: जानें कुंवारी कन्याओं द्वारा रखा जाने वाला गौरी व्रत कब ? पूरी होती है सारी मनोकामना, जानें पूजा विधि कथा और महत्व 

FAQ (गौरी मंत्र और पूजन से जुड़े सामान्य प्रश्न)

Q1. गौरी पूजन कब किया जाता है ?

👉 गौरी पूजन विशेषकर नवरात्रि और भाद्रपद मास में किया जाता है।

Q2. गौरी मंत्र का सबसे सरल मंत्र कौन सा है ?

👉 “ॐ गौर्यै नमः॥” सबसे सरल और प्रभावी गौरी मंत्र है।

Q3. गौरी पूजन से क्या लाभ होता है ?

👉 इस पूजन से सौभाग्य, संतान सुख, पारिवारिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।