गुरु प्रदोष व्रत 2026: परिचय, शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा, विधि एवं लाभ
प्रदोष व्रत हर चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी है। सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल कहलाता है। इसी विशेष समय में भगवान शिव अपने भक्तों को सहज ही प्रसन्न करते हैं।
पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर आनंदात्मक नृत्य करते हैं।
जिन्हे भगवान शिव में अटूट श्रद्धा हो, उन्हें प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
📅 गुरु प्रदोष व्रत 2026 — तिथियाँ
नीचे 2026 में जो प्रदोष व्रत होने हैं, उनकी तिथियाँ (और कुछ में व्रत का प्रकार) दिए गए हैं।
तिथि (दिनांक) व्रत प्रकार / वार / टिप्पणी
01 जनवरी गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत 05:35 PM – 08:19 PM
14 मई गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत 07:04 PM – 09:09 PM
28 मई गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत 07:12 PM – 09:15 PM
24 सितंबर गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत 06:16 PM – 08:39 PM
08 अक्टूबर गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत 05:59 PM – 08:27
PM

🕉 प्रदोष व्रत की महत्ता
शास्त्रों में बताया गया है कि
> प्रदोष व्रत रखने से दो गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है।
जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ेगा, तब भी जो शिव की उपासना करेगा –
वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करेगा।
यह व्रत कष्ट, गरीबी, रोग, शत्रु और ऋण से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।
🔯 वार अनुसार प्रदोष व्रत के फल
वार (दिन) प्रदोष व्रत का फल
- सोमवार प्रदोष आरोग्य प्राप्ति, मनोइच्छा पूर्ण
- मंगलवार प्रदोष रोगों से मुक्ति
- बुधवार प्रदोष सभी कामनाएँ पूरी
- गुरुवार प्रदोष (गुरु प्रदोष) शत्रु विनाश, ज्ञान और प्रतिष्ठा
- शुक्रवार प्रदोष सौभाग्य एवं दाम्पत्य सुख
- शनिवार प्रदोष संतान प्राप्ति एवं पितृ दोष निवारण
👉 उद्देश्य के अनुसार व्रत करने से फल कई गुना बढ़ जाता है।
🙏 प्रदोष व्रत करने की विधि
सुबह
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- शिव, माता पार्वती और नंदी का पंचामृत व जलाभिषेक
- बेलपत्र, अक्षत, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें
शाम (प्रदोष काल में)
- पुनः स्नान कर शिवजी की पूजा
- 16 सामग्री से पूजन करें
- घी + शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग
- 8 दीपक 8 दिशाओं में जलाएँ और प्रणाम करें
- शिव स्तुति/मंत्र जाप
- रात्रि जागरण अत्यंत शुभ
🔚 प्रदोष व्रत समापन (उद्धापन विधि)
📌 यह व्रत 11 या 26 प्रदोष तक रखने के बाद
त्रयोदशी तिथि को ही उद्धापन किया जाता है—
1️⃣ एक दिन पूर्व श्री गणेश पूजन
2️⃣ जागरण
3️⃣ मंडप सजाकर शिव हवन
4️⃣ “ऊँ उमा सहित शिवाय नमः” का 108 बार जाप
5️⃣ हवन में खीर की आहुति
6️⃣ आरती और शांति पाठ
7️⃣ दो ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा दान
📚 गुरु प्रदोष व्रत की कथा
देवराज इन्द्र और वृत्रासुर में भयंकर युद्ध हुआ।
दैत्य शक्ति देखकर देवता भयभीत हुए और बृहस्पति जी की शरण गए।
बृहस्पति बोले—
वृत्रासुर पूर्व जन्म में चित्ररथ राजा था।
कैलाश पर शिव-पार्वती का उपहास करने के कारण
माता पार्वती ने उसे दैत्य योनि का शाप दिया।
बृहस्पति जी ने इन्द्र को गुरु प्रदोष व्रत करने का आदेश दिया।
व्रत के प्रभाव से इन्द्र ने वृत्रासुर पर विजय प्राप्त की और
देवलोक में शांति स्थापित हुई।
✴️ निष्कर्ष:
> गुरु प्रदोष व्रत शत्रु विनाश और विजय प्रदान करने वाला व्रत है।
बोलो उमापति शंकर भगवान की जय! 🙌
🌺 पूजन के बाद आवश्यक अनुष्ठान
✨ ताम्बूल, दक्षिणा, जल-आरती
ताम्बूल = पान + सुपारी + लौंग + इलायची
रुपया, सोना/चाँदी – भाव से दक्षिणा
धूप, दीप, कपूर से आरती
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🔥 शिव आरती
ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।
🌸 मंत्र पुष्पांजलि एवं प्रदक्षिणा
प्रदक्षिणा Clock-Wise करते हुए क्षमा प्रार्थना—
“यानि कानि च पापानि…”
अर्थ : जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हों।
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✨ निष्कर्ष
गुरु प्रदोष व्रत—
- शत्रु बाधा निवारक
- उन्नति-प्रतिष्ठा दायक
- शिव कृपा प्राप्ति का सरल मार्ग
जो भक्त भक्ति, श्रद्धा और नियम से यह व्रत करते हैं,
उन्हें शिवशक्ति का अद्भुत फल प्राप्त होता है।
⚠️ डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।
विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।
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