मां अन्नपूर्णा कथा, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथाः लाभ एवं FAQ

हिन्दू धर्म में माँ अन्नपूर्णा को अन्न की अधिष्ठात्री माना गया है। जगदम्बा के इस अन्नरूप से सम्पूर्ण विश्व का भरण-पोषण होता है। मान्यता है कि उनकी कृपा से ही संसार में कभी अन्न की कमी नहीं होती। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में माँ अन्नपूर्णा सदा विराजती हैं और हर भक्त का पेट भरने का संकल्प निभाती हैं।

🌺 माँ अन्नपूर्णा की कथा (संक्षिप्त व प्रमुख रूप में)

पौराणिक मान्यता अनुसार एक समय धरती पर भयंकर अकाल पड़ा। इस संकट को दूर करने के लिए भगवान शिव ने भिक्षुक रूप धारण किया और माता पार्वती अन्नपूर्णा स्वरूप में प्रकट हुईं। उन्होंने अन्न से भरा भिक्षापात्र शिवजी को दिया और समस्त जीवों का कष्ट हर लिया।

इसी कारण माँ अन्नपूर्णा को “अन्न देने वाली माँ” कहा जाता है और मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।

🌼 अन्नपूर्णा माता की व्रत कथा (सरल भाषा में)

काशी निवासी धनंजय कठिन निर्धनता से जूझ रहा था। उसने विश्वास के साथ विश्वनाथजी की आराधना की तो शिवजी ने उसे “अन्नपूर्णा” मंत्र का संकेत दिया। मार्गशीर्ष मास में माता अन्नपूर्णा के व्रत के प्रभाव से धनंजय का जीवन सुख-समृद्धि से भर गया।

इस व्रत को श्रद्धा से करने पर —

  • निर्धनता का अंत
  • संतान प्राप्ति
  • गृहस्थ जीवन में सुख
  • मनोकामना सिद्धि होती है

🌟 माँ अन्नपूर्णा का स्वरूप व विवरण

रंग — रक्त (लाल) पुष्प जैसा

तीन नेत्र, मस्तक पर अर्धचंद्र

एक हाथ में अन्न से भरा पात्र

दूसरे हाथ में कलछी (करछुल)

स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान

🔱 पूजा विधि (घर पर सरल)

चरण विधि

1️⃣ प्रातः काल स्नान व स्वच्छ आसन पर बैठे

2️⃣ लाल वस्त्र, अक्षत, चावल, दीप, नैवेद्य, हलवा-पूरी अर्पण करें

3️⃣ “ॐ देवी अन्नपूर्णायै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें

4️⃣ भोग लगाएँ और प्रसाद स्वरूप अन्न का दान करें

5️⃣ गुरुवार या शुक्ल पक्ष की अष्टमी को विशेष फल प्राप्त

📿 देवी अन्नपूर्णा मंत्र

“ह्रीं नमः भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा”

📌 प्रतिदिन 108 बार जप — घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती।

🌸अन्नपूर्णा व्रत विधि

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा या हर शुक्ल पक्ष अष्टमी को
  • 21 दिन तक 21 गाँठ के सूत के साथ
  • क्रोध, असत्य व हिंसा का त्याग
  • कथा सुनना या सुनाना अनिवार्य

💰 अन्नपूर्णा माता के व्रत/पूजा से लाभ

लाभ विवरण

  • आर्थिक स्थिरता दरिद्रता दूर होती है
  • अन्न-संपन्नता घर में कभी अन्न की कमी नहीं
  • गृहस्थ सुख परिवार में प्रेम व सौहार्द
  • संतान प्राप्ति निःसंतान को संतान सुख
  • मोक्ष मार्ग भक्ति व वैराग्य की प्राप्ति

🙏 अन्न दान का महत्व

“अन्नदान महादान”

जो भक्त अन्नदान करता है, उसे देवी अन्नपूर्णा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

अन्नपूर्णा आरती चालीसा Pdf download

🌺 माँ अन्नपूर्णा आरती (Aarti)

जय अन्नपूर्णे माता,

जय जगदम्बे माता।

रत्नजडित सिहासन पर,

बैठी हरिहर माता॥ जय…

शंख, चक्र, गदा, त्रिशूला,

धारण कर मूरत प्यारी।

मनवांचित फल पाती है,

सेवक जन नित सारी॥ जय…

भ्रमर समान श्यामल केशा,

माथे चंद्र सुहाता।

कनक श्रिंगार किए बैठे,

वरदान विट्ठल दाता॥ जय…

भक्तों पर हितकारी माता,

दुख-दारिद्र्य हरनी।

अन्नपूर्णा अन्न देने वाली,

जग कल्याण करनि॥ जय…

🔱 माँ अन्नपूर्णा स्तुति

अन्नपूर्णे सदापूर्णे,

शङ्करप्राणवल्लभे।

ज्ञान-वैराग्य-सिद्ध्यर्थं,

भिक्षां देहि च पार्वति।।

माता च पार्वती देवी,

पिता देवो महेश्वरः।

बान्धवाः शिव-भक्ताश्च,

स्वदेशो भुवनत्रयम्।।

📌 लाभ:

ज्ञान, वैराग्य और अन्न की कृपा सदैव बनी रहती है।

📿 माँ अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa)

॥दोहा॥

जय गिरिराज किशोरी, जय जग जाह्नवी माता।

अन्नपूर्णा जय जगदम्बा, कृपा करो भवदाता॥

अन्नपूर्णा चालीसा :

1️⃣ जय अन्नपूर्णे जगत निकेता। अन्नपूर्णाम्ब संचय हेता॥

2️⃣ निरधन के तुम हो धनदाता। दुखिनों के मन की तुम त्राता॥

3️⃣ काशीपुरी में तुम विराजो। भक्तों के संकट तुम साजो॥

4️⃣ शिव की प्राण वल्लभा भवानी। कृपा करो सब पर महारानी॥

5️⃣ सिंघासन पर राज तुम्हारा। त्रिलोक में डंका तुम्हारा॥

6️⃣ सुन्दर रूप मोहिनी मूरत। करुणा सागर अम्बा सूरति॥

7️⃣ हाथों में रत्नजड़ित पात्रा। अन्नपूर्णा अन्न की मात्र॥

8️⃣ कर में स्वर्ण करछुल प्यारी। देत अन्न सेवक संसारी॥

9️⃣ सुख-संपत्ति, धन-धान्य की दाता। हर लेती हो दीन की व्यथा॥

🔟 जो कोई सच्चे मन से ध्यावे। उसकी मनोकामना पावे॥

11. लौकिक, पारलौकिक दाता। भक्तों के तुम हो रखवाला॥

12. कठिन समय में नाव उतारो। संकट से निज भक्त संवारो॥

13. गृहस्थ जीवन में आनंद भरो। लक्ष्मी संग सुख-शांति करो॥

14. करुणा बरसाइयो जगदम्बा। घर-घर में अन्नपूर्णा अम्मा॥

15. शिव शंकर के प्राण अति प्यारी। त्रिभुवन में महिमा तुम्हारी॥

16. माँ अन्नपूर्णा दीनदयाला। संकट हरने वाली माया॥

17. जो श्रद्धा-भक्ति से गुण गावै। माँ अन्नपूर्णा सुख पावै॥

18. काशी में हो अन्न का दानी। सब तन-मन पालन करवानी॥

19. भक्त तुम्हारा ध्यान लगावें। प्रसाद रूप अन्न पावें॥

20. अन्नपूर्णा माँ की महिमा। तीनों लोक सुनी सबभीं मा॥

॥दोहा॥

अंबे अन्नपूर्णा सुनो, भाव भक्ति की तान।

दरिद्रहि दरिद्र

ता हरौ, दास करे बलिदान॥

📌 लाभ:

आर्थिक कष्ट दूर

अन्न-वैभव की प्राप्ति

गृहस्थ सुख की वृद्धि

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❓ FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाती है ?

➡ मार्गशीर्ष पूर्णिमा को।

Q2. अन्नपूर्णा मंत्र कब जपें ?

➡ सुबह नित्य पूजा के समय 108 बार।

Q3. क्या इस व्रत को महिलाएँ और पुरुष दोनों कर सकते हैं ?

➡ हाँ, बिना किसी भेदभाव के।

Q4. क्या अनाज दान करना अनिवार्य है ?

➡ हाँ, यह व्रत का मुख्य कर्म है।

⚠️ डिसक्लेमर

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विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।

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