नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, कथा व आरती | First day of Navratri: Worship method, story and Aarti of Maa Shailputri

श्लोक:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम।

वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्॥

मां शैलपुत्री का महत्व |Maa Shailputri Importance 

नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इनमें प्रथम स्वरूप हैं मां शैलपुत्री, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इन्होंने अपने पूर्वजन्म में सती रूप में जन्म लिया था और बाद में हिमालयराज की पुत्री के रूप में शैलपुत्री के रूप में प्रकट हुईं।

इनकी उपासना से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, मूलाधार चक्र जागरण, और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

मां शैलपुत्री का स्वरूप | Maa Shailputri Form 

वाहन: नंदी बैल

दाहिने हाथ में: त्रिशूल

बाएँ हाथ में: कमल पुष्प

वस्त्र: सफेद, शांत और तेजस्वी स्वरूप 

शैलपुत्री पूजा विधि | shailputri puja method 

1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. कलश स्थापना करें और मां शैलपुत्री का ध्यान करें।

3. उनके चित्र या मूर्ति को लाल वस्त्र पर स्थापित करें।

4. धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन आदि से पूजा करें।

5. ॐ शैलपुत्र्यै नमः मंत्र का जाप करें (कम से कम 108 बार)।

6. आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

कलश स्थापना विधि | Kalash installation Method 

1. भूमि को गाय के गोबर और गंगाजल से शुद्ध करें।

2. एक साफ पात्र में सप्त धान्य (जौ आदि) रखें।

3. उस पर कलश स्थापित करें जिसमें:

4. सुपारी, सिक्का, मिट्टी, पंचपल्लव, गंगाजल, रोली, चावल डालें।

5. कलश को श्रीफल से ढककर मौली से बाँधें।

6. कलश को देवी का प्रतीक मानकर उसका पूजन करें।

शैलपुत्री ध्यान मंत्र | Shailaputri Meditation Mantra 

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रर्धकृत शेखराम्।

वृशारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥

शैलपुत्री स्तोत्र पाठ | Shailputri Stotra Recitation

प्रथम दुर्गा त्वं हि भवसागर तारिणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

त्रिलोजननी त्वं हि परमानन्द प्रदायिनीम्।

सौभाग्य आरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वं हि महा मोह विनाशिनी।

मुक्तिभुक्ति प्रदायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

शैलपुत्री कवच | Shailputri Kavach 

ओंकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।

हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥

श्रींकारः पातु वदने लावण्यां महेश्वरी।

हुंकारः पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत॥

फट्कारः पातु सर्वांगं सर्वसिद्धि फलप्रदा॥

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शैलपुत्री की कथा | Shailaputri Story 

प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शंकर को यज्ञ में आमंत्रित न करने पर, उनकी पुत्री सती ने आत्मग्लानि और अपमान के कारण योगाग्नि में अपने शरीर का त्याग कर दिया। बाद में वह हिमालयराज की पुत्री बनकर शैलपुत्री के रूप में जन्मीं।

शिव के अपमान से उत्पन्न यह त्याग और तपस्या का प्रतीक रूप, शैलपुत्री के रूप में शक्ति का प्रथम जागरण है।

प्रथम नवरात्रि विशेष उपाय | First Navratri Special Remedies 

(भूमि, भवन और कोर्ट-कचहरी से मुक्ति हेतु)

1. रात्रि 8 बजे मां दुर्गा यंत्र के सामने एक लाल कपड़ा बिछाएं।

2. उस पर लौंग, गोमती चक्र, सुपारी, रक्त गुंजा, लाल चंदन रखें।

3. एक जल भरा लोटा रखें और उसमें यह सामग्री डालें।

4. घी का दीपक जलाएं।

5. मंत्र जाप करें:

॥ ॐ ह्लीं फट् ॥ – 3 माला

॥ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे शैलपुत्री देव्यै नमः ॥ – 1 माला

6. हर माला के बाद लोटे पर फूंक मारें।

7. फिर जल पीपल वृक्ष में चढ़ाएं, सामग्री मिट्टी में दबा दें।

मां शैलपुत्री आरती | Mother Shailputri Aarti ‌

शैलपुत्री मां बैल असवार। 

करें देवता जय जयकार। 

शिव शंकर की प्रिय भवानी। 

तेरी महिमा किसी ने ना जानी। 

पार्वती तू उमा कहलावे। 

जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। 

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। 

दया करे धनवान करे तू। 

सोमवार को शिव संग प्यारी। 

आरती तेरी जिसने उतारी। 

उसकी सगरी आस पुजा दो। 

सगरे दुख तकलीफ मिला दो। 

घी का सुंदर दीप जला के। 

गोला गरी का भोग लगा के। 

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। 

प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। 

जय गिरिराज किशोरी अंबे। 

शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। 

मनोकामना पूर्ण कर दो। 

भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

दुर्गा सप्तशती पाठ व मंत्र | Durga Saptashati text and mantra 

पूजन के पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और नवचंडी मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

का जाप कम से कम 108 बार करें।

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