राधा रानी की आरती | Radha Rani Aarti lyrics in Hindi 

हिंदू धर्म में श्री राधा रानी को भक्ति, प्रेम और करुणा की मूर्ति माना जाता है। वे भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रिया और अर्धांगिनी हैं। भक्तगण राधा रानी की आरती करके उनके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं।

राधा रानी की आरती करने से मन को शांति, घर में सुख-समृद्धि और जीवन में प्रेम का संचार होता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से राधा रानी की आरती गाता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

इस पोस्ट में हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं राधा रानी की आरती (Radha Rani Aarti lyrics in Hindi), साथ ही आरती का महत्व और लाभ।

राधा रानी की आरती | Radha Rani Aarti in Hindi

राधा रानी की आरती का महत्व

श्री राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी और भक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी आरती करने से मनुष्य के जीवन में प्रेम, शांति और भक्ति का संचार होता है। राधा जी को “भक्ति स्वरूपा” और “कृपा स्वरूपिणी” माना जाता है।

🕉️ राधा रानी की आरती (Radha Rani Aarti Lyrics in Hindi)

राधा रानी की आरती (जै जै हो राधे जू मैं शरण तिहारी)

जै जै हो राधे जू मैं शरण तिहारी

हरिवंश दुलारी लोच्चन आरती जाऊँ बलिहारी ।। जै जै हो० ।।

पाट पटम्बर ओढ़े नील सारी,

सीस के सैंदुर जाऊँ बलिहारी ।। जै जै हो० ।।

रतन सिंहासन बैठी श्री राधे,

आरती करें हम पिय संग जोरी ।। जै जै हो० ।।

फूल सिंहासन बैठी श्री राधे,

आरती करें हम सब सग्री जोरी ।। जै जै हो० ।।

झलमल झलमल मानिक मोती,

अब लखि मुनि मोहे पिय संग जोरी ।। जै जै हो० ।।

श्री राधे पद पंकज भगत की आशा,

दास मनोहर करत भरोसा

जै जै हो राधे जू मैं शरण तिहारी हरिवंश दुलारी,

लोचन आरती जाऊँ बलिहारी

राधा रानी की आरती (आरती श्री वृषभानुसुता की)

आरती श्री वृषभानुसुता की,

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,

विमल विवेकविराग विकासिनि ।

पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ।।

।। आरती श्री वृषभानुसुता की.।।

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,

मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।

अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,

प्रिय अति सदा सखी ललिता की ।।

।। आरती श्री वृषभानुसुता की.।।

संतत सेव्य सत मुनि जनकी,

आकर अमित दिव्यगुन गनकी।

आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,

अति अमूल्य सम्पति समता की ।।

।। आरती श्री वृषभानुसुता की ।।

। आरती श्री वृषभानुसुता की।

कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,

चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।

जगजननि जग दुखनिवारिणि,

आदि अनादिशक्ति विभुता की ।।

।। आरती श्री वृषभानुसुता की.।।

आरती श्री वृषभानुसुता की,

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।

राधा रानी जी की आरती (आरती भानु दुलारी की)

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥ टेक ॥

विराजै सिंहासन श्यामा,

दिव्य श्री वृन्दावन धामा,

ढुरावै चंवर सुघर बामा,

पलोटै पग पूरण कामा ॥

लली पग अंक, चापी निःशंक, श्याम जनु रंक,

पाई निधि पारस प्यारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

गौर सिर कनक मुकुट राजै,

चन्द्रिका चारु सुछवि छाजै,

कुटिल कुन्तल अली भल भ्राजै,

लखत जेहि शिखि कलाप लाजै ॥

मांग सिंदूर, मोतियन पूर, सजीवन मूर,

ब्रह्मा गोवर्धनधारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

श्रवण बिच करणफूल झलकै,

नासिका बिच बेसर हलकै,

गयन बिच प्रेम-सुधा छलकै,

बंधु बल के लखि लखि ललकै ॥

चपलनथ चमक,

दसन दुति दमक,

सुमुखि मुख रमक,

मधुर मुसुकनी सुकुमारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

मोतियन लरु उर मणिमाला,

चिबुक झलकत इक तिल काला,

शम्भू शुक दे संग करताला,

लली गुन गावती ब्रजबाला ॥

कबहुँ मुख मुरली, कबहुँ दृग दुरली,

कबहुँ दृग जुरली, कबहुँ सुधि भुरनी बिहारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

कीनारिन जरिन नील सारी,

कंचुकी कुमकुम रंग वारि,

चुरी कर कंकन मनहारी,

छीन कटि किंकिनि छवि न्यारी ॥

पायलनि पगनि,

मिहावरी लगनि,

बिछुवनी नगनि,

कृपालु सुकृति कुमारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥ टेक ॥

राधा रानी की आरती Radha Rani ki Aarti

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे।

श्री राधे रानी, भक्तों के काज साधे॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

श्री वृन्दावन निवासी, श्री वृन्दावन निवासी।

श्यामा सुंदर प्यारी, वृषभानु की दुलारी॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

ललिता संग सखियाँ, रसरंग रचावैं।

मोर मुकुट मुरलीधर, संग रास रचावैं॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

वृषभानु घर की झूलीं, कन्हैया की प्रियतमा।

भक्तन के संकट हरनी, करुणा की दात्री॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

राधा नाम की महिमा, सब वेदन ने गाई।

श्री कृष्ण की प्राणप्यारी, सब सखियों की रानी॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

जो कोई मन लगाकर, राधा जी की आरती गावे।

भवसागर से तरकर, परम धाम को पावे॥

ॐ जय राधे जय राधे, जय श्री राधे॥

🌼 राधा रानी की आरती करने के लाभ

1. घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

2. दंपत्ति जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

3. भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

4. जीवन में भक्ति और सकारात्मकता का संचार होता है।

Must Read Radha Rani: जानें श्री राधारानी के चरणारविन्दों में उन्नीस चरण मंगल चिन्ह और उनका अर्थ

🙏 निष्कर्ष

राधा रानी की आरती का नियमित पाठ करने से भक्त के जीवन में भक्ति, प्रेम और दिव्यता का संचार होता है। राधा-कृष्ण के आशीर्वाद से जीवन सफल और मंगलमय बनता है।

❓ राधा रानी की आरती से जुड़े प्रश्न (FAQ)

Q1. राधा रानी की आरती कब करनी चाहिए ?

👉 राधा रानी की आरती प्रातः (सुबह) और सायं (शाम) दोनों समय की जा सकती है। विशेष रूप से जन्माष्टमी और राधाष्टमी पर इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।

Q2. राधा रानी की आरती करने से क्या लाभ होता है ?

👉 आरती करने से मन को शांति, घर में सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में प्रेम की वृद्धि होती है। भक्त की मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती हैं।

Q3. राधा जी की आरती कैसे करें ?

👉 सबसे पहले दीपक जलाएँ, फूल और भोग अर्पित करें, तत्पश्चात प्रेमपूर्वक आरती का पाठ करें। अंत में प्रसाद वितरण करें।

Q4. राधा रानी की आरती किस दिन करनी चाहिए ?

👉 आरती प्रतिदिन की जा सकती है, परंतु शुक्रवार और राधाष्टमी के दिन इसका विशेष महत्व होता है।

Q5. क्या राधा रानी की आरती सिर्फ महिलाएँ ही कर सकती हैं ?

👉 नहीं, राधा रानी की आरती कोई भी भक्त कर सकता है चाहे पुरुष हो, महिला हो या बच्चा।