ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र | ऋण से मुक्ति दिलाने वाला श्री गणेश मंत्र प्रयोग

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र भगवान श्री गणेश को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ करने से जीवन के सभी ऋण, आर्थिक बाधाएँ और मानसिक तनाव दूर होते हैं। इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को समृद्धि, स्थिरता और धन प्राप्ति का वरदान देता है।

🔸 विशेष पूजन विधि

यदि आप नियमित प्रयोग करना चाहते हैं तो साधना अपने निर्धारित वस्त्रों में करें।

परंतु यदि पर्व विशेष में ही पाठ करना हो तो —

  • पीले आसन पर बैठें।
  • पीले वस्त्र धारण करें।
  • पीले सूत की या स्फटिक माला से जप करें।
  • भगवान गणेश को दूर्वा-अंकुर अर्पित करें।
  • हवन करें तो लाक्षा और दूर्वा का उपयोग करें।
  • पूजन से पहले विनियोग, न्यास और ध्यान कर आवाहन करें।
  • फिर कवच पाठ और उसके बाद स्तोत्र पाठ करें।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का महत्व

यह स्तोत्र विश्वामित्र ऋषि द्वारा रचित माना गया है।

नियमित पाठ से –

  • जीवन से कर्ज समाप्त होता है।
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • कुबेर समान धन प्राप्त होता है।
  • मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

🔸 विनियोग

ॐ अस्य श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-मन्त्रस्य सदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजं, गं शक्तिः, गों कीलकं, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगः।

ऋष्यादि-न्यासः- 

सदा-शिव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवतायै नमः हृदि, ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये, गं शक्तये नमः पादयो, गों कीलकाय नमः नाभौ, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।

कर-न्यासः- 

ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः, ऋण छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः, वरेण्यं मध्यमाभ्यां नमः, हुं अनामिकाभ्यां नमः, नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः, फट् कर-तल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः।

षडंग-न्यासः- 

ॐ गणेश हृदयाय नमः, ऋण छिन्धि शिरसे स्वाहा, वरेण्यं शिखायै वषट्, हुं कवचाय हुम्, नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्, फट् अस्त्राय फट्।

🔸 ध्यान श्लोक

> ॐ सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्।

ब्रह्मादिदेवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्॥

‘आवाहन’ आदि कर पञ्चोपचारों से अथवा ‘मानसिक पूजन’ करे।

🔸 कवच पाठ

> ॐ आमोदश्च शिरः पातु, प्रमोदश्च शिखोपरि,

सम्मोदो भ्रू-युगे पातु, भ्रू-मध्ये च गणाधीपः।

गण-क्रीडश्चक्षुर्युगं, नासायां गण-नायकः,

जिह्वायां सुमुखः पातु, ग्रीवायां दुर्म्मुखः।।

विघ्नेशो हृदये पातु, बाहु-युग्मे सदा मम,

विघ्न-कर्त्ता च उदरे, विघ्न-हर्त्ता च लिंगके।

गज-वक्त्रो कटि-देशे, एक-दन्तो नितम्बके,

लम्बोदरः सदा पातु, गुह्य-देशे ममारुणः।।

व्याल-यज्ञोपवीती मां, पातु पाद-युगे सदा,

जापकः सर्वदा पातु, जानु-जंघे गणाधिपः।

हरिद्राः सर्वदा पातु, सर्वांगे गण-नायकः।।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र (मूल पाठ)

> सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

🔸 मंत्र जप

मंत्र:

> “ॐ गणेश ! ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्”

📿 जप संख्या:

  • कम से कम 21 बार प्रतिदिन।
  • पूर्ण पुरश्चरण के लिए 21,000 जप करें।

🔸 फल और लाभ

  • ऋण और दारिद्र्य का नाश।
  • जीवन में स्थिरता और समृद्धि।
  • व्यापार में वृद्धि।
  • लक्ष्मी की प्राप्ति।
  • मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि।

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🔸 निष्कर्ष

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नियमित श्रद्धा और विश्वास से पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

यह स्तोत्र कर्ज मुक्ति और धन लाभ का अत्यंत प्रभावी उपाय है।

जो व्यक्ति इसे नियमित रूप से पढ़ता है, वह निश्चित रूप से जीवन में समृद्धि प्राप्त करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q.1 ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए ?

👉 सुबह सूर्योदय से पहले या शाम के समय गणेश आरती के बाद इसका पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है।

शुभ तिथियाँ जैसे संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी या बुधवार को आरंभ करना विशेष फल देता है।

Q2. ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए ?

👉 इसे कम से कम 21 दिन तक लगातार पढ़ना चाहिए।

यदि संभव हो तो एक वर्ष तक प्रतिदिन पाठ करने से अत्यंत शुभ फल मिलता है।

Q3  क्या इस स्तोत्र के साथ कोई विशेष मंत्र जप करना आवश्यक है ?

👉 हाँ, पाठ के अंत में यह गणेश मंत्र अवश्य जपें –

“ॐ गणेश ! ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्”

कम से कम 21 बार जप करें।

Q4. ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र से क्या लाभ होते हैं ?

👉 यह स्तोत्र कर्ज मुक्ति, दारिद्र्य नाश, मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।

नियमित पाठ करने वाला व्यक्ति कुबेर समान धन और वैभव प्राप्त करता है।

Q5. क्या ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र महिलाएँ भी पढ़ सकती हैं ?

👉 हाँ, यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से शुभ और फलदायी है।

स्त्री या पुरुष कोई भी व्यक्ति श्रद्धा से इसका पाठ कर सकता है।

Q6. स्तोत्र का पाठ करते समय कौन-से नियम पालन करें ?

स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पीले आसन पर बैठें।

दूर्वा और मोदक का भोग लगाएँ।

शांत मन और एकाग्रता से पाठ करें।

⚠️ डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।

विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।

हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दी जा सकती।

कृपया किसी भी प्रकार के उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।