हे अर्जुन… मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।
हे अर्जुन... मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि
हे अर्जुन... मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि
हे अर्जुन... ऐसा कुछ भी नहीं, चेतना या अचेतन,
हरिनाम जप किस प्रकार करें जप करने के समय स्मरण