जब परिस्थितियां बदलना हमारे वश में ना हो तब मन की स्थिति बदलकर देखिए सब कुछ तो नहीं पर बहुत कुछ आपके अनुरूप हो जाएगा
जब परिस्थितियां बदलना हमारे वश में ना हो तब मन
जब परिस्थितियां बदलना हमारे वश में ना हो तब मन
जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है
ईश्वर की न्याय की चक्की थोड़ी धीमी जरूर चलती है
आपके सिवा हम किसी और के कैसे हो सकते हैं,
दुनिया उम्मीद तोड़ सकती है पर दुनिया बनाने वाला नहीं
चल जिंदगी कुछ नया करते हैं जो उम्मीद दूसरों से