अनंग त्रयोदशी व्रत विशेष अनंग त्रयोदशी पूजा विधि व्रत कथा व्रत नियम और उपाय 

सनातन हिन्दु धर्म मे चैत्र एवं मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष को अनंग त्रयोदशी का उत्सव मनाया जाता है। अनंग त्रयोदशी के दिन अनंग देव का पूजन होता है। अनंग का दूसरा नाम कामदेव है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने का भी प्रचलन है।

हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए किसी भी मास की त्रयोदशी तिथि को बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह चैत्र मास के शुक्लपक्ष में पड़ता है। सनातन परंपरा में इस पावन तिथि को अनंग त्रयोदशी तिथि कहते हैं। हिंदू धर्म काम देवता को अनंग कहा जाता है, इसलिए इस तिथि पर देवों के देव महादेव के प्रदोष व्रत के साथ काम देवता की पूजा का भी विधान है। आइए आज अनंग त्रयोदशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।

चैत्रोत्सवे सकललोकमनोनिवासे।

कामं त्रयोदशतिथौ च वसन्तयुक्तम्।।

पत्न्या सहाच्र्य पुरुषप्रवरोथ योषि।

त्सौभाग्यरूपसुतसौख्ययुत: सदा स्यात्।।

चैत्र माह में अनंग उत्सव का आयोजन बहुत ही सुंदर एवं मनोहारी दिवस होता है। इस दिन घरों के आंगन में रंगोली इत्यादि बनाई जाती है। त्रयोदशी तिथि का अवसर प्रदोष समय का भी होता है। इस दिन यह दोनों ही योग अत्यंत शुभ फलदायक होते हैं। अनंग त्रयोदशी का उपवास दाम्पत्य में प्रेम की वृद्धि करता है। गृहस्थ जीवन का सुख व संतान का सुख प्राप्त होता है।

पुराणों में भी दिन की महत्ता को दर्शाया गया है। इस दिन अनंग देव का पूजन करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। यह समय वसंत के सुंदर रंग से सजे इस उत्सव की शोभा अत्यंत ही प्रभावशाली है।

अनंग त्रयोदशी का व्रत स्त्री व पुरूष दोनो के लिए होता है। जो भी व्यक्ति जीवन में प्रेम से वंचित है उसके लिए यह व्रत अत्यंत ही शुभदायक होता है। भगवान शंकर की प्रिय तिथि होने के कारण और उन्ही के द्वारा अनंग को दिये गए वरदान स्वरुप यह दिवस अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियों को इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिये। इस व्रत के प्रभाव से जीवन साथी की आयु भी लम्बी होती है और साथी का सुख भी प्राप्त होता है।

Anang Trayodashi Puja Method in Hindi अनंग त्रयोदशी पूजा विधि 

अनंग का एक अन्य नाम कामदेव हैं। अनंग अर्थात बिना अंग के, जब भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया तो रति द्वारा अनंग को जीवत करने का करुण वंदन सुन भगवान ने कामदेव को पुन: जीवन प्रदान किया। किंतु बिना देह के होने के कारण कामदेव का एक अन्य नाम अनंग कहलाया है। इस दिन शिव एवं देवी पार्वती जी का पूजन किया जाता है।

इस पूजन द्वारा सौभाग्य, सुख ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ जीवन में प्रेम की कभी कमी नहीं रहती है। इस दिन पूजन करने से वैवाहिक संबंधों में सुधार होता है। प्रेम संबंध मजबूत होते हैं। इस दिन कामदेव और रति का भी पूजन होता है। इस त्रयोदशी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। अनंग त्रयोदशी का पर्व महाराष्ट्र और गुजरात में बहुत व्यापक स्तर में मनाया जाता है।

अनंग त्रयोदशी व्रत विधि और नियम

अनंग त्रयोदशी के दिन गंगाजल डालकर सर्वप्रथम सुबह स्नान करना चाहिए। साफ शुद्ध सफ़ेद कपड़े पहनने चाहिये। भगवान शिव का नाम जाप करना चाहिए। गणेश जी की पूजा करनी चाहिये और श्वेत रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिये। इसके अलावा पंचामृत, लडडू, मेवे व केले का भोग चढ़ाना चाहिये। शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिये। साथ ही दूध, दही, ईख का रस, घी और शहद से भी अभिषेक करना चाहिये। इसके साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिये।

भगवान शिव को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिये। इसमें सफेद वस्त्र, मिठाई, बेलपत्र को चढ़ाना चाहिये। इस पूजन में तेरह की संख्या में वस्तु भी भेंट कर सकते हैं जिसमें तेरह सिक्के, बेलपत्र, लडडू, बताशे इत्यादि चढ़ाने चाहिये। पूजा में अशोक वृक्ष के पत्ते और फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है। साथ ही घी के दीपक को अशोक वृक्ष के समीप जलाना चाहिये। इस मंत्र का जाप करना चाहिये

नमो रामाय कामाय कामदेवस्य मूर्तये। 

ब्रह्मविष्णुशिवेन्द्राणां नम: क्षेमकराय वै।।

यदि संभव हो सके तो व्रत खना चाहिये इसमें फलाहार का सेवन किया जा सकता है। रात्रि जागरण करते हुए अगले दिन पारण करना चाहिये। इसमें ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिये और धन इत्यादि दक्षिणा स्वरुप भेंट देना चाहिये।

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा Story of Anang Trayodashi fast

दक्ष पुत्री सती का विवाह भगवान शिव के साथ होता है। एक यज्ञ में दक्ष के आने पर सभी देवता खड़े हो जाते हैं, परंतु ब्रह्मा और शिव जी बैठे ही रहते हैं। दक्ष इसे अपना अपमान समझते हैंऔर इस कारण दक्ष भगवान शिव के प्रति अनेक कटूक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें यज्ञ भाग से वंचित होने का श्राप दे देते हैं। दक्ष अपनी राजधानी कनखल में एक विराट यज्ञ का आयोजन करते हैं, जिसमें वह सभी देवतागण को बुलाते हैं, परंतु भगवान शिव को आमंत्रित नहीं करते और ना ही अपनी पुत्री सती को।

माता सती ने जब रोहिणी को चंद्रमा के साथ विमान में जाते हुए देखाऔर रोहिणी के द्वारा जब माता सती को यह पता चला कि उनके पिता दक्ष ने विराट यज्ञ का आयोजन किया है और उन्हें नहीं बुलाया है तो वह व्याकुल हो गई भगवान शिव के समझाने के बावजूद वह भगवान शिव के गणों के साथ अपने पिता के यहां चली गई परंतु वहां पर जब माता सती ने भगवान शिव का यज्ञ-भाग न देखकर घोर आपत्ति जतायी राजा दक्ष ने सती के पति भगवान शिव के प्रति अपमानजनक शब्द कहे। जिस कारण माता सती ने यज्ञ की अग्नि में अपने शरीर को भस्म कर दिया।

दक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती के आत्मदाह के बाद, भगवान शिव बहुत व्यथित होते हैं। वह सती के शव को अपने कंधे पर उठा कर चल पड़ते हैं। ऎसे में सृष्टि के संचन पर अवरोध दिखाई पड़ने लगता है और विनाशकारी शक्तियां प्रबल होने गती हैं। भगवान शिव पर से सती के भ्रम को खत्म करने के लिए, भगवान विष्णु ने उसके शव को खंडित कर दिया और तब, भगवान शिव ध्यान में लग गए।

दूसरी तरफ दानव तारकासुर के अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे थे। उसने देवलोक पर आक्रमण किया और देवराज इंद्र को पराजित कर दिया। सभी भगवान उनकी हालत से परेशान थे। इंद्र का राज्य छिन जाने पर वह देवताओं समेत मदद के लिए भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे। भगवान ब्रह्मा ने इस पर विचार किया और कहा कि केवल भगवान शिव का पुत्र ही तारकासुर का वध कर सकता है। यह सुनकर सभी चिंतित हो गए क्योंकि भगवान शिव सती से अलग होने के शोक में ध्यान कर रहे थे। भगवान शिव को जगाना और उनका विवाह करवाना सभी देवताओं के लिए असंभव था।

कामदेव ने भगवान शिव को त्रिशूल से जगाने का फैसला किया। कामदेव सफल हुए और भगवान शिव की समाधि टूट गई बदले में, कामदेव ने अपना शरीर खो दिया क्योंकि भगवान के तीसरे नेत्र के खुलते ही कदेव का शरीर भस्म हो गया। जब सभी ने भगवान शिव को तारकासुर के बारे में बताया, तो उनका गुस्सा कम हो गया और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ।

भगवान ने रति को बताया कि कामदेव अभी भी जीवित हैं लेकिन, शरीर रुप में नहीं है। भगवान शिव ने उसे त्रयोदशी तक प्रतीक्षा करने को कहा। उन्होंने कहा, जब विष्णु कृष्ण के रूप में जन्म लेंगे, तब कामदेव, कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे. इस प्रकार कामदेव को पुन: जीवन प्राप्त होता है।

अनंग त्रयोदशी: कंदर्प ईश्वर दर्शन 

कामदेव को कंदर्प के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उज्जैन के कंदर्प ईश्वर के दर्शन करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। जो भक्त यहां आते हैं और भगवान शिव के दर्शन करते हैं, उन्हें देव लोक में स्थान मिलता है।

जब भगवान शिव ने प्रद्युम्न के रूप में कामदेव को वापस पाने के बारे में रति को बताया, तो उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति अनंग त्रयोदशी का व्रत सुव्यवस्थित तरीके से करेगा, उसे सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है उनके वैवाहिक जीवन में शांति, खुशी और धन का आगमन होता है. इस व्रत का पालन करने से संतान का सुख मिलता है।

अनंग त्रयोदशी: पर कामदेव बीज मंत्र साधना 

आज हर कोई अपने शरीर की सुन्दरता बढ़ा कर स्वयं को आकर्षण का केंद्र बनाना चाहता है। पुर्ष वर्ग तो अपने को बलशाली व् वीर्य स्तम्भन बनाना चाहते है और नारी वर्ग अपने शरीर को आकर्षक बनाने के लिए भरपूर शरीर व् इच्छित सौन्दर्य चाहती है। कुछ तो प्राकृतिक रूप से ही संपन्न होते है लेकिन बहुत बड़ी संख्या में पुरुष व् नारी पूरी तरह से विकसित नहीं होते है और इस वजह से वे अपना सामान्य जीवन जीने में परेशानी महसूस करते है। अगर आप भी ऐसी परेशानी महसूस कर रहे है तो आप सब के लिए एक प्रकार का मन्त्र बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है जो आपको आपका इच्छित यौवन दे सकता है और समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढाने का मौका प्रदान करता है। इस मंत्र का इस्तेमाल आपको सुन्दर दिखने में मदद करेगा और इस वजह से होने वाली परेशानी से छुटकारा दिलाता है।

विनियोग

ॐ काम बीज मंत्रस्य सम्मोहन ऋषि :, गायत्री छंद :, सर्व सम्मोहन मकर देवता, सर्व सम्मोहने विनियोग :

काम बीज मंत्र 

क्लीं कामदेवाय नमः 

मन्त्र के लाभ 

इस मंत्र से आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा. सबसे पहले आपको इस मंत्र की सिद्धि करनी होती है और इस मंत्र की सिद्धि करने के लिए आपको इसके 3 लाख जाप करने पड़ेंगे. ऐसा करने से इस मंत्र की सिद्धि हो जाती है और जब आप भी सिद्धि प्राप्त इस मन्त्र का इस्तेमाल करते है तो आपकी सुन्दरता निश्चित रूप से बहुत ही बढ़ जाती है. आप उस समय अपने आप से सुन्दर किसी को नही पाएंगे. यह आपकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देता है।

काम गायत्री मंत्र भी सुन्दरता बढ़ने वाला एक मंत्र है इसका जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है. इसकी उपयोगिता के बारे मे आप शास्त्रों में भी पढ़ सकते है कि यह कितना गुणकारी मंत्र है।

काम गायत्री मंत्र 

ॐ काम देवाय विद हे – पुष्प बणाय धीमहि : तन्नो अनंग प्रचोदयात 

इससे पहले आपको एक मन्त्र के बारे में बताया गया है जो व्यक्ति उस मन्त्र की सिद्धि करने में असफल रहते है वे व्यक्ति इस मंत्र का इस्तेमाल करके भी लाभ उठा सकते है। इसका लाभ लेने के लिए आपको गायत्री मन्त्र की माला का रोज़ जाप करना चाहिए। ऐसा करने से भी आपको फायदा होगा. आप अपनी सुन्दरता में निखार ला सकते है. ये मंत्र भी आपको बहुत ही फायदा दे सकता है तो आप इन दोनों में से किसी भी मंत्र का उपयोग करके अपना फायदा कर सकते है।

कामदेव मंत्र साधना 

शरीर को आकर्षण, सुन्दर, सम्मोहक तथा वीर्य स्तम्भन और नारी रमण मैं पूर्णता प्राप्त करने के लिए इस मंत्र की साधना का विधान शास्त्रो मैं बताया हैं,

विनियोग 

ॐ काम बीज मंत्रस्य सम्मोहन ऋषि :, गायत्री छंद :, सर्व सम्मोहन मकर देवता, सर्व सम्मोहने विनियोग :

काम बीज मंत्र क्लीं कामदेवाय नमः 

फल

तीन लाख मंत्र जाप करने से यह मंत्र सिद्धि होता हैं जो व्यक्ति यह मंत्र सिद्धि कर लेता हैं, वह स्वयं कामदेव के सामान सुन्दर होकर प्रत्येक प्रकार की रमणी को आकर्षित एवं संतुष्ट कर सकता हैं।

शास्त्रो मैं काम गायत्री मंत्र भी बताया हैं

ॐ काम देवाय विद हे – पुष्प बणाय धीमहि : तन्नो अनंग प्रचोदयात

जो व्यक्ति ऊपर का मंत्र सिद्धि नहीं कर सकते उन्हें चाहिए कि वे काम गायत्री मंत्र की एक माला नित्य फेरे , इससे भी उन्हें अपने उद्देश्य मैं सफलता प्राप्त हो सकती हैं।

कामदेव बीज मन्त्र का अर्थ 

ऐ सरस्वती बीज मन्त्र है, इसे वाग मन्त्र भी कहते है। बोद्धिक कार्यो में सफ़लता की कामना जो करते है उन्हें बोद्धिक कार्यो में सफलता मिलती है। शेवत आसन पर पुर्वाभिमुख होकर बैठे और स्फटिक की माला से नित्य एकहजार बार जाप करें।

हिं भुवनेश्वरी बीज मन्त्र है। इसे शक्ति मन्त्र भी कहती है। जब शक्ति, सुरक्षा, पराक्रम, लक्ष्मी, लक्ष्मी कि प्राप्ति हो इसके लिए लाल आसन पर पूर्व कि ओर मुख कर इस मन्त्र का जाप करना चन्दन और रुद्राक्ष की माला से एक हजार जाप करना चाहिए

क्ली यह बीज मन्त्र कृष्ण, काली, लक्ष्मी इस मन्त्र को भी पूर्व की ओर मुख कर नित्य एक हज़ार बार करना होता है।

श्री मन्त्र यह मन्त्र पश्चिम की ओर मुख कर एक हज़ार बार कमल गट्टे की माला से जाप करते है।

इस प्रकार पूजा करने से आप अपना मन चाह जीवन साथी पा सकते है।

अनंग त्रयोदशी: के अन्य उपाय 

संतान प्राप्ति के लिए 

1. संतान की इच्छा रखने वाले इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।

2. भगवान शिव शंकर को सफ़ेद फूल, सफ़ेद मिठाई, बेल पत्र, केला, भांग, धतूरे, अमरूद आदि का भोग लगाएं।

3. ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और 13 सिक्के समर्पित करें।

विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए 

1. यदि आप विवाह करना चाहते हैं तो शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद फूल चढ़ाएं।

2. 13 बेलपत्रों के साथ जल में गुड़ घोलकर अभिषेक करें।

3. शिवजी पर 13 तुलसी पत्र और 13 बताशे भी चढ़ाएं और कपूर से आरती करें।

4. ॐ उमा महेश्वराये नमः का जाप करें।

प्रेम संबंधों में सफलता के लिए 

1. प्रेम संबंधों में सफलता पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ कामदेव और रति की पूजा अर्चाना करें।

2. शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद फूल चढ़ाएं।

3. दिनभर फलाहार करे।

4. शाम को ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा देने के पश्चात स्वयं भी भोजन ग्रहण करें।

स्वास्थ्य और धन प्राप्ति के लिए 

1. शिव मंदिर जाकर शिवजी की विशेष पूजा करें।

2. शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध, दही, गुड़, घी और शहद घोलकर चढ़ाएं।

3. शिवजी पर सफ़ेद फूल, सफ़ेद मिठाई, बेलपत्र, केला और अमरूद अर्पित करें।

4. ॐ नमः शिवाए का जाप करें।

5. 13 सिक्के भी चढ़ाएं।

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