बृहस्पतिवार व्रत: कथा, व्रत आरती और विधि | गुरुवार व्रत से जीवन में आएगी समृद्धि

बृहस्पतिवार व्रत (गुरुवार व्रत) भगवान बृहस्पति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव के गुरु) को समर्पित एक पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से सुख-समृद्धि, संतान सुख और वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने हेतु रखा जाता है।

व्रत का महत्व | Brihaspati Vrat Importance

1. धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

2. विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।

3. संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों को लाभ होता है।

4. गुरुवार को व्रत रखने से गुरु ग्रह मजबूत होता है, जिससे भाग्य का द्वार खुलता है।

बृहस्पतिवार व्रत विधि | Brihaspativar Vrat Vidhi

बृहस्पतिवार व्रत इस प्रकार करें:

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।

2. घर में भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की तस्वीर स्थापित करें।

3. उन्हें पीले फूल, पीला चावल, हल्दी, गुड़ और चने की दाल अर्पित करें।

4. बृहस्पतिवार व्रत कथा सुनें या पढ़ें (नीचे दी गई है)।

5. दिनभर फलाहार या एक समय भोजन करें – नमक और खट्टा बिल्कुल न लें।

6. शाम को दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें।

बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha in Hindi)

कथा संक्षेप में:

एक ब्राह्मण स्त्री थी जो बहुत सुंदर लेकिन अत्यंत आलसी और लालची थी। वह कभी भी व्रत-पूजा नहीं करती थी। एक दिन बृहस्पति देव ब्राह्मण रूप में उसके घर आए और व्रत रखने की सलाह दी। पहले दिन उसने उपेक्षा की, लेकिन बाद में जब उसके जीवन में दरिद्रता आने लगी, तो उसने व्रत आरंभ किया। धीरे-धीरे उसके जीवन में सुख-शांति लौट आई और उसका वैभव फिर से लौट आया।

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बृहस्पतिवार आरती

जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा…

छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी..

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता…

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े…

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी…

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो…

विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी।

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे…

जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ।

सब बोलो विष्णु भगवान की जय…

बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ।

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आप बृहस्पत देव के साथ- साथ बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु जी की आरती व लक्ष्मी माता आरती का पाठ कर सकते हैं, क्योंकि यह दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु को भी समर्पित होता है।

गुरुवार व्रत के नियम (Rules of Thursday Fasting)

पीला रंग शुभ होता है – पीले कपड़े पहनें और पीला भोजन करें।

व्रत के दिन नमक, खट्टा और शराब/मांस का सेवन न करें।

व्रत कम से कम 11, 21 या 51 गुरुवार तक करें।

गुरुवार के दिन बाल और दाढ़ी कटवाना वर्जित माना गया है।

बृहस्पतिदेव मंत्र और स्तुति (Brihaspati Dev Mantra)

“ॐ बृं बृहस्पते नमः”

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।

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गुरुवार व्रत करने से लाभ

परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।

संतान की प्राप्ति और उन्नति होती है।

धन-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है।

जीवन में गुरु का आशीर्वाद और विद्या की वृद्धि होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ – Brihaspativar Vrat in Hindi)

Q1. बृहस्पतिवार का व्रत कौन रख सकता है ?

उत्तर: बृहस्पतिवार व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रख सकते हैं। विशेष रूप से जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर हो, विवाह में बाधा हो या संतान की इच्छा हो – वे इस व्रत को श्रद्धा से रखें।

Q2. बृहस्पतिवार व्रत में क्या खाना चाहिए ?

उत्तर: इस दिन पीले रंग के फल, फलाहार, चने की दाल, केसर, हल्दी युक्त खिचड़ी, गाय का दूध आदि ग्रहण करना शुभ होता है। नमक और खट्टा बिल्कुल न खाएं।

Q3. बृहस्पतिवार को क्या नहीं करना चाहिए ?

उत्तर:

बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।

झाड़ू-पोंछा नहीं लगाना चाहिए।

खट्टी चीज़ें और नमक नहीं खाना चाहिए।

पैसे उधार देना वर्जित माना जाता है।

Q4. बृहस्पतिवार व्रत कितने समय तक रखना चाहिए ?

उत्तर: आप इसे 11, 21, 51 या 108 गुरुवार तक रख सकते हैं। यदि आपकी मनोकामना जल्दी पूर्ण हो जाए, तब भी आपको व्रत का समापन विधिपूर्वक करना चाहिए।

Q5. क्या शादीशुदा महिलाएं बृहस्पतिवार का व्रत रख सकती हैं ?

उत्तर: हाँ, विशेष रूप से विवाहित महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और संतान सुख के लिए रखती हैं।

Q6. क्या गुरुवार को पीला पहनना जरूरी है ?

उत्तर: जी हाँ, पीला रंग बृहस्पति ग्रह और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। पीले वस्त्र, पीला प्रसाद और पीले फूल व्रत में शुभ माने जाते हैं।

Q7. गुरुवार व्रत कथा सुनना जरूरी है क्या ?

उत्तर: व्रत कथा सुनना या पढ़ना आवश्यक है क्योंकि कथा से व्रत की महिमा और महत्व समझ आता है। इससे व्रत पूर्ण और फलदायी होता है।

Q8. बृहस्पति व्रत के दिन पूजा का समय क्या होता है ?

उत्तर: पूजा सुबह स्नान के बाद ब्रह्म मुहूर्त या प्रातः काल में करें। अगर समय न मिले तो सूरज ढलने से पहले पूजा कर लें।

Q9. क्या व्रत के दौरान एक समय भोजन कर सकते हैं ?

उत्तर: हाँ, एक समय फलाहार या सात्विक भोजन (बिना नमक और खट्टे) किया जा सकता है। उपवास की क्षमता के अनुसार नियम तय करें।

Q10. क्या बृहस्पति व्रत से गुरु ग्रह मजबूत होता है ?

उत्तर: हाँ, इस व्रत के प्रभाव से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है जिससे जीवन में ज्ञान, समृद्धि और भाग्य का विकास होता है।

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