दुर्गा हवन मंत्र व सरल विधि | दुर्गाष्टमी / नवमी के लिए हवन विधि (Navratri Havan Vidhi in Hindi | Durga Havan Mantra & method)
नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस लेख में हम आपके लिए सरल दुर्गा हवन विधि लेकर आए हैं, जिसे आप स्वयं अपने घर में कर सकते हैं, बिना किसी पुरोहित के।
🙏 यह विधि विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन के लिए उपयुक्त है।
🪔 दुर्गा हवन सामग्री की सूची
प्राथमिक सामग्री:
हवन कुंड (या बाजार में उपलब्ध पोर्टेबल वेदी)
हवन सामग्री (बाजार या घर की बनी मिश्रण)
आम की लकड़ी
तिल (काले, सफेद, लाल)
साबुत चावल, जौ, पीली सरसों
चना, साबुत काली उड़द, गुग्गुल, अनारदाना
बेलपत्र, गुड़, शहद
दुर्गा हवन पूजन सामग्री
देशी गाय का घी
कपूर, दीपक
स्टील या लकड़ी का लंबा चम्मच
गंगाजल, आचमनी या लोटा
पान के पत्ते, फूल माला, फल
भोग हेतु मिठाई या खीर
🌼 दुर्गा हवन से पूर्व की तैयारी
स्वच्छ स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। (लाल रंग हो तो श्रेष्ठ)
सभी हवन सामग्री को मिलाकर एक पात्र में रखें।
हवन स्थान खुले और हवादार स्थान पर बनाएं।
हवन करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
अपने ऊपर और सामग्री पर गंगाजल छिड़कें।
दीपक जलाकर सुरक्षित स्थान पर रखें।
आम की लकड़ी को हवन कुंड में रखें और कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।
🔥 हवन प्रक्रिया
✨ शुभारंभ:
अग्निदेव को प्रणाम करें और पुष्प अर्पित करें।
मिष्ठान भोग लगाएं, पुष्प माला हवन कुंड पर रखें (अग्नि में नहीं)।
🕉 पंचदेव आहुतियाँ
(हर मंत्र के बाद “स्वाहा” कहकर आहुति दें)
- ॐ गं गणपतये स्वाहा
- ॐ रुद्राय स्वाहा
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्वाहा
- ॐ सूर्याय स्वाहा
- ॐ अग्निदेवाय स्वाहा
➡️ इस चरण में केवल घी की आहुति दें और शेष घी एक कटोरी जल में मिलाते रहें।
🕉 दुर्गा नवदुर्गा आहुतियाँ
(हर मंत्र के साथ घी की आहुति)
- ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा
- ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा
- ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा
- ॐ चंद्रघंटा देवी नमः स्वाहा
- ॐ कूष्मांडा देवी नमः स्वाहा
- ॐ स्कन्दमाता देवी नमः स्वाहा
- ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा
- ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा
- ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा
- ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा
🔁 नवार्ण मंत्र से हवन (1 माला तक):
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः स्वाहा
➡️ इस मंत्र से यथासंभव आहुति दें।
📿 सप्तशती अनुसार विशेष आहुतियाँ (ध्यान से पढ़ें):
(प्रत्येक अध्याय की विशेष सामग्री का प्रयोग श्लोक संख्या अनुसार करें)
📝 उदाहरण:
प्रथम अध्याय: कमलगट्टा, सुपारी, लौंग, इलायची आदि
चतुर्थ अध्याय: श्लोक 24-27 की आहुति ना दें, सिर्फ पाठ करें
नवम अध्याय: श्लोक 37 में बेलफल, 40 में गन्ना
द्वादश अध्याय: नींबू, काली मिर्च, बाल-खाल, जायफल आदि
📌 पूरी सूची ऊपर दिए गए विवरण से लें (आप चाहें तो इसे अलग PDF के रूप में वेबसाइट में जोड़ सकते हैं)।
दुर्गा हवन समापन विधि
1. बचे हुए सामग्री को पान के पत्ते पर रखकर घी की धार से अग्नि में अर्पित करें।
2. हाथ में जल लेकर हवन कुंड के चारों ओर घुमाकर ज़मीन पर छोड़ें।
3. माता की आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें।
4. अग्नि की भस्मी से सभी घरवालों को तिलक करें।
5. पात्र में बचे हुए घी-मिश्रित जल को पूरे घर में छिड़क दें नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
6. कन्याओं को भोजन कराएं, दक्षिणा दें और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
Must Read पान के पत्ते के फायदे: जानें पूजा अनुष्ठान में पान का महत्व एवं टोटके
📜 देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम् (क्षमा प्रार्थना):
भावार्थ: यह स्तोत्र उन साधकों के लिए है जो अपने दोष, आलस्य या संसाधनों की कमी के कारण माँ की उपासना विधिपूर्वक नहीं कर सके। यह माँ दुर्गा से क्षमा याचना और करुणा की विनती है।
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः । न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥१॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥२॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥३॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥४॥
परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥५॥
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनु वर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जननीयं जपविधौ ॥६॥
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥७॥
न मोक्षस्याकांक्षा भवविभववाञ्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः ॥८॥
नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः ।
श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥९॥
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥१०॥
जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥११॥
मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ॥१२॥
🌺 माँ दुर्गा की आरती (जय अंबे गौरी)
जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…
कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…
Must Read दुर्गा सप्तशती सम्पूर्ण पाठ हिंदी में | सम्पूर्ण चंडी पाठ PDF सहित
दुर्गा हवन मंत्र FAQ (Frequently Asked Questions)
❓ 1. दुर्गा हवन क्या है ?
उत्तर: दुर्गा हवन एक धार्मिक यज्ञ है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा अग्नि के माध्यम से की जाती है। इसमें विशेष वैदिक मंत्रों और आहुतियों द्वारा देवी का आवाहन, स्तुति, और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
🔥 2. दुर्गा हवन में कौन-कौन से मंत्र बोले जाते हैं ?
उत्तर: मुख्य रूप से नीचे दिए गए मंत्र बोले जाते हैं:
दुर्गा सप्तशती के श्लोक (700 श्लोक)
नवार्ण मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
दुर्गा गायत्री मंत्र:
ॐ कात्यायनाय विद्महे, कन्याकुमारि धीमहि, तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात्।
स्वाहाकार मंत्र:
हर आहुति के साथ “स्वाहा” बोला जाता है।
देवी कवच, अर्गला, कीलक मंत्र
🕉️ 3. नवार्ण मंत्र क्या होता है और इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
नवार्ण मंत्र – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
यह मंत्र देवी दुर्गा का बीज मंत्र है।
“ऐं” = सरस्वती का बीज (ज्ञान)
“ह्रीं” = लक्ष्मी का बीज (शक्ति)
“क्लीं” = काली का बीज (कामना पूर्ति)
“चामुण्डायै” = दुर्गा के उग्र रूप
“विच्चे” = सुरक्षा, जागृति और सिद्धि का सूचक
🙏 4. हवन के लिए क्या सामग्री चाहिए होती है ?
उत्तर:
हवन कुंड
आम की लकड़ी
घी
नवग्रह समिधा
हवन सामग्री (जैसे जटामांसी, गूगल, लोहबान, कपूर आदि)
अक्षत (चावल), रोली, हल्दी
जल कलश
पुष्प और फल
🕯️ 5. दुर्गा हवन करने का सर्वोत्तम समय क्या है ?
उत्तर:
नवरात्रि के नौ दिनों में से कोई भी दिन (विशेषकर अष्टमी या नवमी)
दुर्गाष्टमी, चैत्र/शारदीय नवरात्रि
ब्रह्म मुहूर्त में या दिन के समय (प्रातःकाल)
📿 6. दुर्गा हवन घर पर किया जा सकता है क्या ?
उत्तर: हाँ, योग्य पंडित के मार्गदर्शन में या सही विधि से तैयारी कर के घर पर भी दुर्गा हवन किया जा सकता है। घर पर करते समय शुद्धता, नियम और भावनाओं का विशेष ध्यान रखें।
🌺 7. हवन के दौरान कौन-कौन सी आहुतियाँ दी जाती हैं ?
उत्तर:
हर मंत्र के बाद घी और हवन सामग्री की आहुति दी जाती है।
आहुति मंत्र का उदाहरण:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा — [आहुति दें]
📖 8. क्या दुर्गा हवन के लिए पंडित जरूरी है ?
उत्तर: नहीं, यदि आप शुद्ध मन, सही विधि और श्रद्धा से करें, तो स्वयं भी हवन कर सकते हैं। लेकिन जटिल विधान या पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ हवन हो तो अनुभवी पंडित को बुलाना बेहतर होता है।
🔚 9. हवन के बाद क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
देवी की आरती करें
प्रसाद वितरण करें
हवन राख (भस्म) को घर के तुलसी या पीपल के पौधे में विसर्जित करें
शांति पाठ करें
डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Leave A Comment