श्वेतार्क गणेश की पूजन विधि महत्त्व और उपाय Shwetark Ganesh’s worship method, importance and measures in Hindi 

घर में श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा रखने से सुख-समृद्धि बनी रहती है। भगवान गणेश के अनेक रूपों में से एक चमत्कारी रूप है सफेद आंकड़े के गणेश। यही श्वेतार्क गणेश कहलाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार आंकड़े के गणेशजी की पूजा से धन, सुख-सौभाग्य, ऐश्वर्य और सफलता प्राप्त होती है। यदि श्वेतार्क गणेशजी की प्रतिमा तिजोरी में रखी जाए तो स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। घर में रिद्धि-सिद्धि की कृपा बनी रहती है। हर काम में लाभ प्राप्त होता है।

गणेश से जुड़ी जानकारियां (Information related to Ganesha in Hindi)

शास्त्रों के अनुसार श्वेतार्क गणेशजी आंकड़े के पौधे की जड़ में प्रकट होते हैं। आंकड़े को आक का पौधा भी कहा जाता है। इस पौधे के फूलों को शिवलिंग पर भी अर्पित किया जाता है। आंकडे के पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति है सफेद आंकड़ा। इसी सफेद आंकड़े की जड़ में श्वेतार्क गणपति की प्रतिकृति निर्मित होती है। इस पौधे की पहचान यह है कि इसके फूल सफेद होते हैं। किसी भी पौधे की जड़ में गणपति की प्रतिकृति बनने में कई वर्षों का समय लगता है। बाजार में पूजन सामग्रियों की दुकानों से श्वेतार्क गणेश प्राप्त किए जा सकते हैं।

सफेद आंकड़े की जड़ प्राप्त होने के बाद इसकी बाहरी परतों को कुछ दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। जब सफेद आंकड़े की इस जड़ पानी में से निकाला जाता है तो भगवान गणेश के शरीर की बनावट इसमें दिखाई देने लगती है।

श्वेतार्क गणेश से जुड़ी खास बातें और उपाय 

सफेद आंकड़े के हर पौधे की जड़ में गणेश की सूंड जैसा आकार रहता है। इसकी जड़ के तने में गणेशजी के शरीर, आस-पास की शाखाओं में भुजाएं और सूंड जैसी आकृति दिखाई देती है। कुछ पौधों की जड़ में बैठे हुए गणेश की मूर्ति जैसी भी दिखाई देती है।

आंकड़े में गणेशजी का वास पुराने समय से कई पेड़-पौधों की पूजा की जाती रही है। इनमें पीपल, आंवला, वट वृक्ष मुख्य हैं। शास्त्रों के अनुसार बिल्व के वृक्ष में शिव का वास होता है और आंकड़े के पौधे में श्रीगणेश का वास होता है। आंकड़े की जड़ में दिखाई देने वाली श्रीगणेश की आकृति इस बात का प्रमाण है। कार्यों में सफलता के लिए आंकड़े के गणेशजी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। यह गणेशजी का प्राकृतिक व चमत्कारी स्वरूप है। मान्यता है कि जिस परिवार में आंकड़े के गणेश की रोज पूजा होती है, वहां दरिद्रता, रोग व परेशानियां का वास नहीं होता है। इस गणेश प्रतिमा की पूजा करने से सुख व सफलता के साथ ही भरपूर धन व वैभव प्राप्त है। सफेद आंकड़े की जड़ मिलने पर उसकी सफाई कर साफ जल से स्नान कराना चाहिए।

श्वेतार्क गणेश की पूजन विधि (Method of worship of Shwetark Ganesha in Hindi)

श्वेतार्क गणपति की प्रतिमा को पूर्व दिशा की तरफ ही स्थापित करना चाहिए

पूजन में लाल कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लाएं। एक लकड़ी के चौके या पाटे पर एक पीला वस्त्र बिछाएं । उस पर एक प्लेट रखे वव प्लेट पर कुमकुम या सिंदूर से अष्टदल बनायें इसके ऊपर फूल बिछाकर आसन दें व श्वेतार्क गणपति को विराजमान करें फिर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें और इस मंत्र का 1 माला जप करें

ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा 

से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र

ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा

मंत्र से हवन कर 108 आहुति दें। लाल कनेर के पुष्प, शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है। इसके बाद गणपति कवच का तीन बार पाठ करें अथार्वशिर्ष का 11 पाठ करें ततपश्चात11 माला जप नीचे लिखे मँत्र का करेँ और प्रतिदिन कम से 1 माला करेँ

ॐ गँ गणपतये नमः का जप करें।

अब

ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः 

मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें।

वैसे आयुर्वेद मेँ भी इसका प्रयोग चर्म रोगों, पाचन समस्याओं, पेट के रोगों, ट्यूमरों, जोड़ों के दर्द, घाव और दाँत के दर्द को दूरकरने में किया जाता है। इस पेड़ का दूध गंजापन दूर करने और बाल गिरने को रोकनेवाला है। इसके फूल, छाल और जड़ दमेऔर खाँसी को दूर करने वाले माने गए हैं।

धार्मिक दृष्टि से श्वेत आक को कल्प वृक्ष की तरह वरदायक वृक्ष माना गया है। श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होकर इस पौधे से कुछ माँगने पर ये माँगने वाले की इच्छा पूरी करता है। यह भी कहा गया है कि इस प्रकार की इच्छा शुद्ध होनी चाहिए। ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।

तन्त्र शास्त्र में भी श्वेतार्क गणपति की पूजा का विशेष विधान बताया गया है. तन्त्र शास्त्र अनुसार घर में इस प्रतिमा को स्थापित करने से ऋद्धि-सिद्धि कि प्राप्ति होती है. इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से भक्त को धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा लक्ष्मी जी का निवास होता है. इसके पूजन द्वारा शत्रु भय समाप्त हो जाता है. श्वेतार्क प्रतिमा के सामने नित्य गणपति जी का मन्त्र जाप करने से गणश जी का आशिर्वाद प्राप्त होता है तथा उनकी कृपा बनी रहती है

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