दूसरों को या स्वयं को कष्ट देकर ईश्वर को प्रसन्न नहीं किया जा सकता बल्कि निःस्वार्थ सेवा, सत्य श्रवण, अटूट विश्वास और भक्ति से ईश्वर प्रसन्न होता है।
God cannot be pleased by suffering others or himself, but God is pleased with selfless service, true listening, unwavering faith and devotion.
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