हनुमान बन्दी मोचन स्तोत्र | Bandi Mochan Stotra in Hindi
🌿💐🙇♂️🙏 श्री हनुमान जी का यह दिव्य स्तोत्र भगवान श्रीराम द्वारा प्रदान मुक्ति-शक्ति से युक्त माना गया है।
इसका नित्य 11 बार पाठ करने से —
- कारावास या झूठे मुकदमे से मुक्ति
- नौकरी, धन, कोर्ट-कचहरी के बंधन दूर
- शत्रु बाधा, मानसिक तनाव समाप्त
- जीवन के हर प्रकार के बन्धन से छुटकारा
🌸 हनुमान बन्दी-मोचन स्तोत्र
हा नाथ हा नरा वरोत्तम हा दयालो
सीता-पतेः रुचिर्कुन्तल-शोभि-वक्त्रम्।
भक्तार्ति-दाहक मनोहर-रुप-धारिन्!
मां बन्धनात् सपदि मोचय माविलम्बम्।।
सम्मोचितोऽस्तु भरताग्रज-पुंगवाढ्याः।
देवाश्च दानव-कुलाग्नि-सुदह्यमाना।
तत्सुन्दरी-शिरसि संस्थित-केश-बन्धः।
सम्मोचितोऽस्तु करुणालय मां पादम्।।
अत्राह महा-सुरथेन सु-विगाढ़ पाशः।
बद्धोऽस्मि मां पुरुषाशु देव!
नो मोचयिष्यसि यदि स्मरणर्तिरेक!
त्वं सर्व-देव-परिपूजित-पाद-पद्मम्।।
लोको भवन्तमिदमुल्लसितो हसिष्ये।
तस्मादविलम्बो हि मोचय मोचयाशु।
इति श्रुत्वा जगन्नाथो, रघुवीरः कृपा-निधिः।
भक्तं मोचयितुं गतः, पुष्पकेनाशु-वेगिना।।
🕉️हनुमान बन्दी-मोचन स्तोत्र का महत्व (Hanuman Bandi Mochan Stotra Benefits)
- लाभ फल की प्राप्ति
- कोर्ट-कचहरी के झंझट दूर विजय प्राप्ति
- कर्ज-मुक्ति आर्थिक उन्नति
- जेल/बन्धन से छुटकारा तुरंत राहत
- शत्रु-बाधा से रक्षा विजय और भय का नाश
- मानसिक तनाव दूर आत्मविश्वास और मनोबल बढ़े
🙏 हनुमान बन्दी-मोचन पाठ विधि (Hanuman Bandi Mochan Stotra Patth vidhi
- मंगलवार, शनिवार या प्रतिदिन भी कर सकते हैं
- लाल या केसरिया आसन पर बैठकर
- हनुमान जी को रोली-चावल, सिंदूर, गुड़-चना अर्पित करें
- दीपक प्रज्वलित कर 11 बार स्तोत्र का पाठ करें
- अंत में श्रीराम एवं हनुमान जी का स्मरण करें
📖हनुमान बन्दी-मोचन पौराणिक कथा (संक्षेप में)
जगन्नाथपुरी में हनुमान जी को भगवान श्रीराम ने बेड़ियाँ पहनाकर “बंदी” किया था, ताकि वे अयोध्या जाकर प्रसाद की सुगंध के कारण नगर खाली न कर दें।
हनुमान जी ने इसी स्तोत्र का पाठ कर भगवान को प्रसन्न किया और श्रीराम पुष्पक विमानों से आकर उन्हें मुक्त कर गए।
तभी से वहाँ “बेड़ी हनुमान” की पूजा होती है।
जो भी भक्त बंधन-मोचन की कामना से इस स्तोत्र का पाठ करता है, हनुमान जी उसकी रक्षा करते हैं।
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📌 हनुमान बन्दी-मोचन स्तोत्र : FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. हनुमान बन्दी-मोचन स्तोत्र किसलिए पढ़ा जाता है ?
A. यह स्तोत्र जीवन के हर प्रकार के बन्धन, बाधा, कोर्ट-कचहरी, कर्ज और शत्रु-पीड़ा से मुक्ति के लिए पढ़ा जाता है।
Q2. इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए ?
A. मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ है। लेकिन किसी भी दिन इसे पढ़ सकते हैं।
Q3. कितनी बार पढ़ना चाहिए ?
A. नित्य कम से कम 11 बार पढ़ना श्रेष्ठ माना गया है।
Q4. क्या किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है ?
A. हाँ, लाल या केसरिया आसन, दीपक, सिंदूर, रोली-चावल, गुड़-चना अर्पित करना शुभ है।
Q5. पाठ से कितने दिनों में लाभ मिलता है ?
A. आस्था और नियमितता के अनुसार शीघ्र लाभ मिलता है। कभी-कभी तुरंत भी असर दिखता है।
Q6. कोर्ट-कचहरी और कानूनी मामलों में क्या यह स्तोत्र लाभ देता है ?
A. हाँ, यह विशेष रूप से कोर्ट, बंधन और झूठे आरोपों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।
Q7. क्या इसे घर पर अकेले पढ़ सकते हैं ?
A. हाँ, पूर्ण शुद्ध मन और श्रद्धा से घर में कोई भी व्यक्ति पाठ कर सकता है।
Q8. पाठ करते समय दिशा कौन सी होनी चाहिए ?
A. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करना श्रेष्ठ है।
Q9. क्या स्तोत्र के साथ हनुमान चालीसा भी पढ़ सकते हैं ?
A. हाँ, अत्यंत शुभ फल मिलता है।
Q10. क्या इस स्तोत्र का पाठ रात में किया जा सकता है ?
A. हाँ, लेकिन श्रेष्ठ समय प्रातः या संध्या माना गया है।
⚠️ डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।
विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।
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कृपया किसी भी प्रकार के उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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