मां बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम | 108 नाम अर्थ सहित | लाभ और महत्व pdf

Maa Baglamukhi माँ बगलामुखी महाविद्या में से एक हैं और इन्हें शत्रु विनाश और भक्तों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् में उनके 108 दिव्य नाम हैं, जो उनके गुणों, शक्तियों और दिव्यता का वर्णन करते हैं। इन नामों का जाप करने से सुरक्षा, विजय और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

मां बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम का महत्व

  • जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
  • शत्रुओं पर विजय और संकट से मुक्ति
  • आत्मबल, मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
  • साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करना

मां बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम के लाभ

1. शत्रु विनाश और बाधाओं का नाश

इस स्तोत्र का जाप करने से शत्रु और नकारात्मक शक्तियाँ प्रभावित होती हैं।

शत्रुओं के मन में भय उत्पन्न होता है और वे आपके खिलाफ योजनाएँ नाकाम रहती हैं।

2. सुरक्षा और अभय

देवी बगलामुखी भक्तों को सभी प्रकार के संकट और भय से बचाती हैं।

घर, व्यवसाय, और जीवन में सुरक्षा बनी रहती है।

3. विजय और सफलता

यह स्तोत्र पढ़ने से कार्यों में सफलता मिलती है।

प्रतियोगिता, व्यापार, कानूनी मामले या परीक्षा में विजय की प्राप्ति होती है।

4. आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक स्थिरता 

मन शांत और एकाग्र होता है।

नकारात्मक विचारों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।

ध्यान और साधना में शक्ति बढ़ती है।

5. धन और समृद्धि

नियमित जाप से घर में सुख-शांति और धन-समृद्धि आती है।

परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

6. भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति

सच्चे मन से स्तोत्र का पाठ करने पर देवी भक्त की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।

विशेष संकट या कठिनाई के समय यह स्तोत्र विशेष रूप से फलदायी होता है।

7. अत्यंत संकट या शत्रु से सुरक्षा 

यह स्तोत्र शत्रु पर प्रभाव डालकर उन्हें निष्क्रिय करता है।

जादू-टोना, नकारात्मक ऊर्जा और अपशकुन से सुरक्षा प्रदान करता है।

💡 नियमित जाप का तरीका

सुबह-सुबह या शुभ मुहूर्त में शांत मन से 108 बार जपना लाभकारी होता है।

मंत्र जाप के साथ माता के चित्र या मूर्ति के सामने दीप और धूप करना उत्तम माना जाता है।

🪔 माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम

॥ श्री बगलामुखी अष्टोत्तरशतनामावलिः ॥

1. ॐ बगलामुख्यै नमः।

माँ बगलामुखी को प्रणाम।

2. ॐ पीतवस्त्रधारिण्यै नमः।

पीले वस्त्र धारण करने वाली माता को प्रणाम।

3. ॐ पीताम्बरायै नमः।

पीले अम्बर (वस्त्र) धारण करने वाली माता को प्रणाम।

4. ॐ पीतपद्मासनायै नमः।

पीले कमल के आसन पर विराजमान माता को प्रणाम।

5. ॐ पीतगन्धानुलिप्ताङ्ग्यै नमः।

पीले चंदन और सुगंध से सुशोभित माता को प्रणाम।

6. ॐ पीतचन्दनचर्चितायै नमः।

जिनका शरीर पीले चंदन से अलंकृत है, ऐसी माता को प्रणाम।

7. ॐ पीतपुष्पप्रियायै नमः।

पीले पुष्प प्रिय माता को प्रणाम।

8. ॐ पीतपुष्पसमर्चितायै नमः।

जिनकी पूजा पीले पुष्पों से होती है, उन्हें प्रणाम।

9. ॐ पीतवर्णायै नमः।

जिनका वर्ण पीला है, उन्हें प्रणाम।

10. ॐ पीतलोहितलोचनायै नमः।

जिनकी आँखें पीली और लाल हैं, उन्हें प्रणाम।

11. ॐ पीतललाटपट्टाभायै नमः।

जिनके ललाट पर पीला पट्टा सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

12. ॐ पीतकेशरसम्युतायै नमः।

जिनके शरीर में पीला आभूषण सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

13. ॐ पीताभरणभूषितायै नमः।

पीले आभूषण धारण करने वाली माता को प्रणाम।

14. ॐ पीतकुण्डलमण्डितायै नमः।

पीले कुण्डलों से सुशोभित माता को प्रणाम।

15. ॐ पीतगन्धप्रसन्नायै नमः।

पीले गंध (चंदन) से प्रसन्न रहने वाली माता को प्रणाम।

16. ॐ पीतचरणपङ्कजायै नमः।

जिनके चरण कमल पीले हैं, उन माता को प्रणाम।

17. ॐ पीतवज्रधरायै नमः।

हाथ में पीला वज्र धारण करने वाली माता को प्रणाम।

18. ॐ पीतकरकङ्कणायै नमः।

जिनके हाथों में पीले कंगन हैं, उन माता को प्रणाम।

19. ॐ पीतरत्नविभूषितायै नमः।

पीले रत्नों से विभूषित माता को प्रणाम।

20. ॐ पीतदन्तायै नमः।

जिनके दांत मोती जैसे शुभ्र और पीले आभा से युक्त हैं, उन्हें प्रणाम।

21. ॐ पीतहास्यायै नमः।

जिनकी मुस्कान पीली आभा से दमकती है, उन्हें प्रणाम।

22. ॐ पीतनूपुरशोभितायै नमः।

जिनके चरणों में पीले नूपुर शोभित हैं, उन्हें प्रणाम।

23. ॐ पीताङ्गायै नमः।

जिनका शरीर पीले रंग से आभायुक्त है, उन्हें प्रणाम।

24. ॐ पीतललाटिकायै नमः।

जिनके ललाट पर पीली तिलक-रेखा है, उन्हें प्रणाम।

25. ॐ पीतभूषणभूषितायै नमः।

पीले आभूषणों से सुशोभित माता को प्रणाम।

26. ॐ पीतललाटभूषितायै नमः।

जिनका ललाट पीले आभूषण से सुसज्जित है, उन्हें प्रणाम।

27. ॐ पीतपादुकायै नमः।

जिनके चरणों में पीली पादुकाएँ सुशोभित हैं, उन्हें प्रणाम।

28. ॐ पीतपादप्रिये नमः।

जिनके चरण पीले कमलों जैसे सुंदर हैं, उन्हें प्रणाम।

29. ॐ पीतचामरसेव्यायै नमः।

जिन्हें पीले चामर से सेवित किया जाता है, उन्हें प्रणाम।

30. ॐ पीताम्बुजयुगान्वितायै नमः।

जिनके समीप पीले कमलों की जोड़ी है, उन्हें प्रणाम।

31. ॐ पीतकुसुमगन्धायै नमः।

जिनसे पीले पुष्पों की सुगंध फैलती है, उन्हें प्रणाम।

32. ॐ पीतवज्रप्रहिण्यै नमः।

जो पीले वज्र का प्रयोग करती हैं, उन्हें प्रणाम।

33. ॐ पीताम्बुजासनायै नमः।

पीले कमल पर आसन ग्रहण करने वाली माता को प्रणाम।

34. ॐ पीतकनकभूषितायै नमः।

पीले सोने जैसे आभूषण धारण करने वाली माता को प्रणाम।

35. ॐ पीतकुसुमवासिन्यै नमः।

जो पीले फूलों में वास करती हैं, उन्हें प्रणाम।

36. ॐ पीताम्बुजप्रियायै नमः।

पीले कमल को प्रिय मानने वाली माता को प्रणाम।

37. ॐ पीतरूपायै नमः।

जिनका रूप पीली आभा से युक्त है, उन्हें प्रणाम।

38. ॐ पीतविक्रमायै नमः।

जिनका पराक्रम पीले तेज के समान है, उन्हें प्रणाम।

39. ॐ पीताङ्गनायै नमः।

जिनका संपूर्ण अंग पीला है, उन्हें प्रणाम।

40. ॐ पीतज्योतिषे नमः।

जो पीले तेज से प्रकाशित हैं, उन्हें प्रणाम।

41. ॐ पीततेजसे नमः।

जिनका दिव्य तेज पीला है, उन्हें प्रणाम।

42. ॐ पीतप्रभायै नमः।

जिनकी प्रभा पीले रंग की है, उन्हें प्रणाम।

43. ॐ पीतरूपिण्यै नमः।

जो पीले स्वरूप में प्रकट होती हैं, उन्हें प्रणाम।

44. ॐ पीतवपुषे नमः।

जिनका दिव्य शरीर पीले वर्ण से युक्त है, उन्हें प्रणाम।

45. ॐ पीतमाल्यविभूषितायै नमः।

जो पीले पुष्पों की माला से सुसज्जित हैं, उन्हें प्रणाम।

46. ॐ पीताङ्गनविलासिन्यै नमः।

जिनके अंगों का विलास पीली आभा से चमकता है, उन्हें प्रणाम।

47. ॐ पीतवज्रकराभुजायै नमः।

जिनके भुजाओं में पीला वज्र सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

48. ॐ पीतलोलायै नमः।

जिनकी चाल और दृष्टि पीली आभा से युक्त है, उन्हें प्रणाम।

49. ॐ पीतकान्त्यै नमः।

जिनकी कांति पीली है, उन्हें प्रणाम।

50. ॐ पीताभयायै नमः।

जो पीली आभा से भक्तों को अभय (निर्भयता) देती हैं, उन्हें प्रणाम।

51. ॐ पीतवर्णप्रियायै नमः।

जिनको पीला रंग अत्यंत प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

52. ॐ पीतरूपसंपन्नायै नमः।

जो पीले स्वरूप से संपन्न हैं, उन्हें प्रणाम।

53. ॐ पीतमुख्यै नमः।

जिनका मुख पीली आभा से दमकता है, उन्हें प्रणाम।

54. ॐ पीतहृद्यै नमः।

जिनका हृदय पीली आभा से भरा है, उन्हें प्रणाम।

55. ॐ पीतदिव्यायै नमः।

जो पीली दिव्य आभा से युक्त हैं, उन्हें प्रणाम।

56. ॐ पीताम्बरायै नमः।

पीले अम्बर धारण करने वाली माता को प्रणाम।

57. ॐ पीतलास्यायै नमः।

जिनका मुखकमल पीली आभा से सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

58. ॐ पीतनयनायै नमः।

जिनकी नेत्रपीली आभा से युक्त हैं, उन्हें प्रणाम।

59. ॐ पीतललाटायै नमः।

जिनका ललाट पीली ज्योति से चमकता है, उन्हें प्रणाम।

60. ॐ पीतरत्नाभूषितायै नमः।

जो पीले रत्नों से अलंकृत हैं, उन्हें प्रणाम।

61. ॐ पीतलास्यमण्डितायै नमः।

जिनका मुख पीले अलंकरण से सुसज्जित है, उन्हें प्रणाम।

62. ॐ पीतललाटतिलकायै नमः।

जिनके ललाट पर पीला तिलक है, उन्हें प्रणाम।

63. ॐ पीतललाटपट्टायै नमः।

जिनके मस्तक पर पीली पट्टी सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

64. ॐ पीतलास्यविभूषितायै नमः।

जिनका मुख पीली आभा से अलंकृत है, उन्हें प्रणाम।

65. ॐ पीतललाटशोभायै नमः।

जिनका ललाट पीली शोभा से युक्त है, उन्हें प्रणाम।

66. ॐ पीतलास्यप्रिये नमः।

जिनका मुखकमल पीला और मनोहर है, उन्हें प्रणाम।

67. ॐ पीतगन्धप्रियायै नमः।

जिनको पीली गंध (चंदन) प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

68. ॐ पीतपुष्पविलेपिन्यै नमः।

जो पीले पुष्पों से सुगंधित होती हैं, उन्हें प्रणाम।

69. ॐ पीतललाटप्रियायै नमः।

जिनका ललाट पीली आभा से प्रिय लगता है, उन्हें प्रणाम।

70. ॐ पीतलास्यरमायै नमः।

जिनका मुख पीले कमल जैसा रमणीय है, उन्हें प्रणाम।

71. ॐ पीतरूपिण्यै नमः।

जो पीले स्वरूप में प्रकट होती हैं, उन्हें प्रणाम।

72. ॐ पीतवज्रधारिण्यै नमः।

हाथ में पीला वज्र धारण करने वाली माता को प्रणाम।

73. ॐ पीतलास्यमण्डितायै नमः।

जिनका मुख पीले आभूषणों से सुसज्जित है, उन्हें प्रणाम।

74. ॐ पीतगन्धसम्भूतायै नमः।

जिनका तेज पीली गंध (चंदन) से प्रकट होता है, उन्हें प्रणाम।

75. ॐ पीतललाटमण्डितायै नमः।

जिनका ललाट पीली आभा से अलंकृत है, उन्हें प्रणाम।

76. ॐ पीतललाटप्रियायै नमः।

जिनका ललाट पीली आभा से प्रिय लगता है, उन्हें प्रणाम।

77. ॐ पीतमुख्यै नमः।

जिनका मुख पीली आभा से चमकता है, उन्हें प्रणाम।

78. ॐ पीतललाटायै नमः।

जिनका ललाट पीले तेज से सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

79. ॐ पीतललाटप्रिये नमः।

जिनका ललाट पीली शोभा से प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

80. ॐ पीतमुखविभूषितायै नमः।

जिनका मुख पीली आभा से विभूषित है, उन्हें प्रणाम।

81. ॐ पीतललाटिकायै नमः।

जिनके ललाट पर पीली तिलक-रेखा है, उन्हें प्रणाम।

82. ॐ पीतललाटप्रियायै नमः।

जिनका ललाट पीला होकर प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

83. ॐ पीतमुख्यै नमः।

जिनका मुख पीले तेज से युक्त है, उन्हें प्रणाम।

84. ॐ पीतललाटायै नमः।

जिनका मस्तक पीले आभूषण से शोभित है, उन्हें प्रणाम।

85. ॐ पीतमुख्यै नमः।

जिनका मुख पीले कमल की तरह शोभित है, उन्हें प्रणाम।

86. ॐ पीतललाटप्रियायै नमः।

जिनका ललाट पीला और मनोहर है, उन्हें प्रणाम।

87. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

88. ॐ पीतवज्रप्रिये नमः।

जिनको पीला वज्र प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

89. ॐ पीतमुखप्रियायै नमः।

जिनका मुख पीली आभा से प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

90. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों के लिए प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

91. ॐ पीतमुखायै नमः।

जिनका मुख पीला है, उन्हें प्रणाम।

92. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को आनंद देता है, उन्हें प्रणाम।

93. ॐ पीतमुखप्रियायै नमः।

जिनका मुख सदैव प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

94. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख कमल सदैव प्रसन्न करता है, उन्हें प्रणाम।

95. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख पीली आभा से रमणीय है, उन्हें प्रणाम।

96. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख पीले रंग से शोभित है, उन्हें प्रणाम।

97. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को आकर्षित करता है, उन्हें प्रणाम।

98. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

 जिनका मुख पीली आभा से शोभायमान है, उन्हें प्रणाम।

99. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख सदैव दिव्य लगता है, उन्हें प्रणाम।

100. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख दिव्य पीली आभा से सुशोभित है, उन्हें प्रणाम।

101. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को मोहित करता है, उन्हें प्रणाम।

102. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख शुभ और पवित्र है, उन्हें प्रणाम।

103. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख कमल सदा प्रिय है, उन्हें प्रणाम।

104. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों के दुःख हरता है, उन्हें प्रणाम।

105. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को सुख प्रदान करता है, उन्हें प्रणाम।

106. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख दिव्य पीली आभा से प्रकाशित है, उन्हें प्रणाम।

107. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख भक्तों को शांति देता है, उन्हें प्रणाम।

108. ॐ पीतमुखप्रिये नमः।

जिनका मुख सदैव कल्याणकारी है, उन्हें प्रणाम।

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम pdf

माँ बगलामुखी के 108 नामों का स्मरण और जप करने से साधक को मानसिक शांति, शत्रुओं से मुक्ति और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो भी भक्त सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

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FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र क्या है ?

Ans. यह स्तोत्र 108 नामों का समूह है, जो देवी बगलामुखी के गुण और शक्तियों का वर्णन करता है।

Q2. इसे पढ़ने के क्या लाभ हैं ?

Ans. इसका जाप करने से शत्रु नाश, सुरक्षा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

Q3. इसे कब और कैसे पढ़ना चाहिए ?

Ans. भक्त इसे सुबह-सुबह या शुभ मुहूर्त में शांत मन से पढ़ सकते हैं।

Q4. क्या इसका हिंदी अर्थ भी पढ़ा जा सकता है ?

Ans. हां, सभी 108 नामों का हिंदी अर्थ उपलब्ध है।

Q5. कितनी बार जाप करना चाहिए ?

Ans. कम से कम 1 बार दिन में या विशेष पूजा और स्तोत्र पाठ में 108 बार जाप करना लाभकारी माना जाता है।

Q6. क्या बच्चों और बुजुर्गों को भी पढ़ना चाहिए ?

Ans. हाँ, सभी उम्र के भक्त इसे पढ़ सकते हैं।

Q7. स्तोत्र का उच्चारण सही करना कितना जरूरी है ?

Ans. उच्चारण सही होना लाभ बढ़ाता है। यदि संभव हो तो किसी विद्वान या गुरु से मार्गदर्शन लें।

Q8. क्या इसका जाप विशेष अवसर पर करना चाहिए ?

Ans. हाँ, नवमी, अमावस्या या किसी विशेष संकट में यह स्तोत्र अत्यंत फलदायी माना जाता है।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।