मौन व्रत के नियम और लाभ मौन बैठने से बदल सकता है आपका जीवन 

धर्मशास्त्र कहते हैं कि मौन रहने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। मन के विकार दूर होते हैं, चित्त शांत रहता है जिस कारण स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। शास्त्रों के अनुसार प्रातः काल और सायंकाल मनुष्य को जितनी देर हो सके मौन अवश्य रखना चाहिए। महाभारत जैसे विशाल ग्रंथ की रचना कर लेने के पश्चात महर्षि व्यास ने गणेश जी से लेखन कार्य पूरा न होने तक एक शब्द भी न बोलने का कारण पूछा। उत्तर में गणेश जी ने कहा- यदि मैं बीच-बीच में बोलता जाता तो आपका यह कार्य न केवल कठिन हो जाता अपितु भार बन जाता। संयम का प्रथम सोपान है वाक् संयम ।

जो वाणी का संयम नहीं रखता उसके अनावश्यक शब्द उसकी प्राणशक्ति को सोख डालते हैं।’ मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान रहा है, धीरे धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है।

अगर आप अपनी इच्छा से कुछ समय के लिए बोलना छोड़ दें, मौन धारण कर लें तो इससे आपको बहुत फायदे हो सकते हैं।

मौन व्रत के नियम और लाभ Rules and benefits of maun-vrat in Hindi 

1. कोई कोई महिला पुरूषों को ऎसी आदत होती है कि बिना कारण ही बोला करते हैं उन्हें बोलने का प्रमाण कम करना चाहिये।

2. बिना कारण बोलने की इच्छा हो तब दोनों नासिका द्वारा श्वास खींच कर छाती के फेफ़डों में भर रखना और धीरे धीरे निकाल देना, भरते समय ईश्वर का ध्यान या अपने धर्म गुरू के बताये हुए मन्त्र का जाप करना।

3. पखव़ाडे भर में एक दिन सुबह या शाम को पौन घण्टे मौन धारण करना। उस समय मेरा मन पवित्र होता जाता है मेरी जिन्दगी सुधरती जाती है व्यवहार या परमार्थ के लिये जो भी शुभकार्य करता हूँ वे सब कर्म लाभकारक होते हैं इस प्रकार के विचार करना।

4. ज्यादा समय मिल सकता हो तो अठवारे में एक वक्त या 4 दिन में एक वक्त 3 से 6 घण्टे मौन रहना।

5. मौन धारण करते समय दूध या फलों पर रहना। हो सके तो बगीचे आदि रम्य स्थान में घूमने जाना।

6. वायु प्रधान शरीर वाले को अधिक बोलने की आदत होती है, वास्ते उनके पेट में से और सिर में से वायु दोष निवारण करने के लिये रोज सबेरे ताँबे के लोटे में रखा हुआ पानी 12 या 14 ओंस पी जाना, पानी पीकर आधे घण्टे बाद सण्डास (मल विसर्जन करने) जाना चाहिये।

मौन के लाभ Benefits of silence

मौन की शुरुआत जुबान के चुप होने से होती है। धीरे-धीरे जुबान के बाद आपका मन भी चुप हो जाता है। मन में चुप्पी जब गहराएगी तो आंखें, चेहरा और पूरा शरीर चुप और शांत होने लगेगा। तब आप इस संसार को नए सिरे से देखना शुरू कर पाएंगे। बिल्कुल उस तरह से जैसे कोई नवजात शिशु संसार को देखता है। जरूरी है कि मौन रहने के दौरान सिर्फ श्वांसों के आवागमन को ही महसूस करते हुए उसका आनंद लें। मौन से मन की शक्ति बढ़ती है। शक्तिशाली मन में किसी भी प्रकार का भय, क्रोध, चिंता और व्यग्रता नहीं रहती। मौन का अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं। आइये जानते हैं मौन के सात महत्वपूर्ण फायदों के बारे में।

संतुष्टि

कुछ न बोलना, यानि अपनी एक सुविधा से मुंह मोड़ना। जी हां, बोलना आपके लिए एक बहुत बड़ी सुविधा ही होती है। जो आपके मन में चल रहा होता है उसे आप तुरंत बोल देते हैं। लेकिन, मौन रहने से चीजें बिल्कुल बदल जाती हैं। मौन अभाव में भी खुश रहना सिखाता है।

अभिव्यक्ति

जब आप सिर्फ लिखकर बात कर सकते हैं तो आप सिर्फ वही लिखेंगे जो बहुत जरूरी होगा। कई बार आप बहुत बातें करके भी कम कह पाते हो। लेकिन ऐसे में आप सिर्फ कहते हो, बात नहीं करते। इस तरह से आप अपने आपको अच्छी तरह से व्यक्त कर सकते हैं।

प्रशंसा

हमारे बोल पाने की वजह से हमारा जीवन आसान हो जाता है, लेकिन जब आप मौन धारण करेंगे तब आपको ये अहसास होगा कि आप दूसरो पर कितना निर्भर हैं। मौन रहने से आप दूसरों को ध्यान से सुनते हैं। अपने परिवार, अपने दोस्तों को ध्यान से सुनना, उनकी प्रशंसा करना ही है।

ध्यान देना

जब आप बोल पाते हैं तो आपका फोन आपका ध्यान भटकाने का काम करता है। मौन आपको ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर करता है। इससे किसी एक चीज या बात पर ध्यान लगाना आसान हो जाता है।

विचार

शोर से विचारों का आकार बिगड़ सकता है। बाहर के शोर के लिए तो शायद हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन अपने द्वारा उत्पन्न शोर को मौन जरूर कर सकते हैं। मौन विचारों को आकार देने में हमारी मदद करता है। हर रोज अपने विचारों को बेहतर आकार देने के लिए मौन रहें।

प्रकृति

जब आप हर मौसम में मौन धारण करना शुरू कर देंगे तो आप जान पाएंगे कि बसंत में चलने वाली हवा और सर्दियों में चलने वाली हवा की आवाज भी अलग अलग होती है। मौन हमें प्रकृति के करीब लाता है। मौन होकर बाहर टहलें। आप पाएंगे कि प्रकृति के पास आपको देने के लिए काफी कुछ है।

शरीर

मौन आपको आपके शरीर पर ध्यान देना सिखाता है। अपनी आंखें बंद करें और अपने आप से पूछें, मुझे अपने हाथ में क्या महसूस हो रहा है ? अपने शरीर को महसूस करने से आपका अशांत मन भी शांत हो जाता है। शांत मन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।

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जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है। 

ना कागज था, ना कलम थी, ना फ़ोन था, प्रेम तब भी था. लेकिन पवित्र और मौन था.. 

मौन से दोस्ती करे जिसे आप समझना चाहते है, उसके साथ आपको बैठना तो पडेगा न, तभी तो आप उसे समझ पायेंगे तो खुद के साथ मौन मे बैठना शुरू करे 

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