पौष मास का महात्मय The greatness of the month of Pausha in Hindi 

हमारे सनातन हिंदू धर्मग्रन्थों में प्रत्येक महीने के महत्व को भली प्रकार से दर्शाया गया है। हमारी हिंदू संस्कृति में बारहों मास व्रत-पर्व- त्यौहारों से युक्त हैं। पौष मास धनु- संक्रान्ति होती है। अत: इस मास में भगवत्पूजन का विशेष महत्त्व है। दक्षिण भारत के मन्दिरों में धनुर्मास का उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि पौष कृष्ण अष्टमी को श्राद्ध करके ब्राह्मण भोजन कराने से श्राद्ध का उत्तम फल मिलता है।

ऐसी मान्यता है कि पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। इनका वर्ण रक्त के समान है। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इनसे युक्त को ही भगवान माना गया है। यही कारण है कि पौष मास का भग नामक सूर्य साक्षात परब्रह्म का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने तथा उसके निमित्त व्रत करने का भी विशेष महत्व धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है।

इस माह में ज़ब सूर्य भगवान धनु राशि में आते है तब से मकर संक्रांति तक एक महीने के समय को खर मास के नाम से जाना जाता हैं जिसमें कोई शुभ काम नहीं होता है. खर मास लगने के जब 15 दिन हो जाते हैं तब किसी भी एक दिन तेल के पकौड़े बनाकर चील-कबूतरों को खिला देते हैं. कुछ पकौड़े डकौत को भी दे देने चाहिए. अपने आसपास के लोगों तथा जाननों वालों को पकौड़े भोग के रुप में बाँटने चाहिए और उसी के बाद कोई शुभ काम करना चाहिए। इस वर्ष 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक का समय खरमास रहेगा।

पौष नाम क्यों पड़ा Why was the name Paush 

विक्रम संवत में पौष का महीना दसवां महीना होता है। भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। दरअसल जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को पौष का मास कहा जाता है।

सफला एकादशी Saphala Ekadashi 

पौष कृष्ण एकादशी सफला एकादशी कहलाती है इस दिन उपवासपूर्वक भगवान का पूजन करना चाहिये । इस व्रत को करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं।

सुरूपा द्वादशी Surupa Dwadashi 

पौषमास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को सुरूपा द्वादशी का व्रत होता है। यदि इसमें पुष्यनक्षत्र का योग हो तो विशेष फलदायी होता है। इस व्रत का गुजरात प्रान्त में विशेष रूप से प्रचलन है। सौन्दर्य, सुख, सन्तान और सौभाग्य प्राप्ति के लिये इसका अनुष्ठान किया जाता है।

आरोग्य व्रत Health fast

विष्णुधर्मोत्तरपुराण में वर्णन मिलता है कि पौष शुक्ल द्वितीया को आरोग्यप्राप्ति के लिये आरोग्यव्रत किया जाता है। इस दिन गोशृङ्गोदक (गायों की सींगों को धोकर लिये हुए जल से स्नान करके सफेद वस्त्र धारणकर सूर्यास्त के बाद बालेन्दु (द्वितीया तिथि के चन्द्रमा) का गन्ध आदि से पूजन करे। जब तक चन्द्रमा अस्त न हों तब तक गुड़, दही, परमान्न (खीर) और लवण (नमक) से ब्राह्मणों को संतुष्टकर केवल गोरस (छाँछ) पीकर जमीन पर शयन करे। इस प्रकार एक वर्ष तक प्रत्येक शुक्ल पक्ष वाली द्वितीया को चन्द्रपूजन करके बारहवें महीने (मार्गशीर्ष) में इक्षुरस से भरा घड़ा, यथाशक्ति सोना (स्वर्ण) और वस्त्र ब्राह्मण को देकर उन्हें भोजन कराने से रोगों की निवृति और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।

ब्रह्म गौरी पूनम व्रत Brahma Gauri Poonam Vrat 

इस व्रत को पौष माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है. इस तिथि पर जगजननी गौरी का षोडशोपचार से पूजन किया जाता है. इस व्रत को मुख्य रुप से स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है. इस गौरी पूजन व व्रत से पति व पुत्र दोनों विरंजीवी होते हैं और व्रत करने वाली के लिए परम धाम भी सुगम हो जाता है।

मार्तण्डसप्तमी martanda saptami

पौष शुक्ल सप्तमी को मार्तण्डसप्तमी कहते हैं। इस दिन भगवान सूर्य की प्रसन्नता के उद्देश्य से हवन करके गोदान करने से वर्षपर्यन्त सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।

पुत्रदा एकादशी Putrada Ekadashi 

पौष शुक्ल एकादशी पुत्रदा नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन उपवास से सुलक्षण पुत्र की प्राप्ति होती है । भद्रावती नगरी के राजा वसुकेतु ने इस व्रत के अनुष्ठान से सर्वगुणसम्पन्न पुत्र प्राप्त किया था।

पौष शुक्ल त्रयोदशी को भगवान के पूजन तथा घृतदान का विशेष महत्त्व है।

माघमास के स्नान का प्रारम्भ पौष की पूर्णिमा से होता है। इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर मधुसूदन भगवान को स्नान कराया जाता है, सुन्दर वस्त्रों से सुसज्जित किया जाता है। उन्हें मुकुट, कुण्डल, किरीट, तिलक, हार तथा पुष्पमाला आदि धारण कराये जाते हैं। फिर धूप-दीप, नैवेद्य निवेदितकर आरती उतारी जाती है। पूज़न के अनन्तर ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणादान का विधान है। केवल इस एक दिन का ही स्नान सभी वैभव तथा दिव्यलोक की प्राप्ति कराने वाला कहा गया है।

पौषमास के रविवार को व्रत करके भगवान सूर्य के निमित्त अर्घ्यदान दिया जाता है तथा एक समय नमक रहित भोजन किया जाता है। इस प्रकार यह पौष मास का पावन माहात्म्य है।

मकर संक्रांति Makar Sankranti 

पौष माह की 14 जनवरी को मकर संक्रांति के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन पवित्र नदियों अथवा तालाबों में सुबह सवेरे स्नान कर दान किया जाता है. दान में अधिकाँत: खिचड़ी का दान किया जाता है. बहुत से लोग ऊनी वस्त्रों अथवा कंबलों का भी दान गरीबों में करते हैं.

किसी लड़की के विवाह के बाद जब पहली संक्रांति आती है तब उसके मायके से ससुराल वालों के सभी सदस्यों को गर्म कपड़े दिए जाते हैं. इस दिन 14 चीजों का दान नयी बहू द्वारा भी मिनसकर किया जाता है. जिसकी जितनी सामर्थ्य हो उसी के अनुसार दानादि किया जाता है।

पौष के महीने में सूर्य होते उत्तरायण In the month of Paush, the sun becomes uttarayan 

पौष के महीने में ही मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण में, दिन के उजाले में, शुक्ल पक्ष में अपने प्राण त्यागता है, वो मृत्यु लोक में लौट कर नहीं आता. यही वजह है कि महाभारत युद्ध में बाणों से छलनी भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही अपने प्राण त्यागे थे. जब उन्हें बाण लगे थे, तब सूर्य दक्षिणायन थे, तब उन्होंने बाणों की शैय्या पर लेटकर खासतौर पर सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था. ऐसा माना जाता है कि इस वजह से भीष्म पितामह को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

ऐसे करें सूर्य देव की उपासना Worship Sun God like this 

इस माह में प्रतिदिन सबसे पहले नित्य प्रातः स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।

इसके बाद ताम्बे के पात्र से जल दें।

जल में रोली और लाल फूल डालें।

इसके बाद सूर्य के मंत्र ॐ आदित्याय नमः का जाप करें

इस माह नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए।

खान-पान में रखें सावधानी Be careful in eating 

1. इस माह में चीनी की बजाय गुड़ का सेवन करें।

2. खाने पीने में मेवे और स्निग्ध चीजों का इस्तेमाल करें।

3. इस महीने में बहुत ज्यादा तेल घी का प्रयोग भी उत्तम नहीं होगा।

4. अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन लाभकारी होता है।

5. इस महीने में ठन्डे पानी का प्रयोग, स्नान में गड़बड़ी और अत्यधिक खाना खतरनाक हो सकता है।

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डिसक्लेमर 

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