शेषनाग कालसर्प योग व्याख्या और उपाय Sheshnag Kaalsarp Yoga Interpretation and Remedy 

सर्पों में सबसे पराक्रमी एवं पूज्य नाग शेषनाग हैं। इन्हीं शेषनाग के नाम पर कालसर्प योग के बारहवें प्रकार का नाम शेषनाग कालसर्प योग रखा गया है. शेष नाग के विषय में माना जाता है कि इनके सहस्रों फन हैं. इन्होंने अपने फन पर पृथ्वी को उठा रखा है राहु केतु एवं अन्य ग्रहों की स्थिति से जब शेषनाग कालसर्प योग किसी व्यक्ति की कुण्डली में बनता है तब व्यक्ति को इस दोष के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना होता है. लेकिन, इन परेशानियों में भी व्यक्ति को कुछ अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

शेषनाग कालसर्प योग कैसे बनता है ? How is Sheshnag Kalsarp Yoga formed ?

कुण्डली में कालसर्प योग है यह जानने के बाद यह जरूर जानना चाहिए कि कालसर्प योग का कौन सा प्रकार कुण्डली में बन रहा है. यदि, जन्म कुण्डली में शेषनाग कालसर्प है तो इसकी पहचान का तरीका यह है कि राहु कुण्डली में व्यय स्थान, यात्रा एवं मोक्ष के भाव में होगा यानी द्वादश भाव में रहेगा तथा केतु रोग, कष्ट, शत्रु एवं मामा के भाव में अर्थात षष्टम भाव में बैठा होगा. शेष सातों ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि राहु-केतु के बीच में द्वादश भाव से छठे भाव में होंगे।

शेषनाग कालसर्प योग का प्रभाव Effect of Sheshnag Kalsarp Yoga 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में शेषनाग कालसर्प योग होता है उनका मन अशांत रहता है. व्यक्ति अपने अंदर एक बेचैनी एवं उद्धिग्नता महसूस करता है. जो लोग सतर्क नहीं रहते हैं वह गुप्त शत्रुओं द्वारा किसी षड्यंत्र में फंसाये जा सकते हैं. जिससे कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. मुश्किल समय में धैर्य एवं संयम से काम नहीं लेना वाला व्यक्ति लड़ाई-झगड़ों में फंस सकता है. इन स्थितियों में उसे अदालत के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं।

शेषनाग कालसर्प योग से प्रभावित व्यक्ति को बदनामी भी सहनी होती है. व्यक्ति मेहनत करके कमाता है और खर्च पहले से ही अपना मुंह खेलकर बैठा रहता है जिससे आर्थिक चुनौतियां का सामना करना पड़ता है. परिवारिक सुख-शांति को लेकर भी व्यक्ति की चिंताएं बनी रहती हैं. इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को नेत्र रोग होने की संभावना अधिक रहती है. ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि शेषनाग कालसर्प से प्रभावित व्यक्ति को अपने जीवनकाल में भले ही कष्ट और अपमान उठाना पड़े लेकिन, मृत्यु पश्चात उसकी ख्याति फैलती।

शेषनाग कालसर्प योग और ग्रह फल Sheshnag Kalsarpa Yoga and Planetary Fruits 

सूर्य सूर्य जब राहु/केतु के मुख में होता है तो यह स्थिति सूर्य के प्रभाव क्षेत्र को बहुत अधिक खराब करता है. वहीं बारहवें भाव में स्थित सूर्य के होने पर व्यक्ति को चोट इत्यादि लगने का भी भय अधिक रह सकता है. पिता के सुख भी प्रभावित होता है. अपन से वरिष्ठ लोगों के साथ कोइ न कोई तनाव या दिक्कत देखने को मिल सकती है।

चंद्रमा शेषनाग कालसर्प योग में चंद्रमा का प्रभाव खराब होने पर जातक मानसिक रुप से अधिक चिंता और परेशानी मे रह सकता है. व्यक्ति का मन व्यर्थ की बातों को लेकर अधिक चिंतित रह सकता है और किसी न किसी कारण से तनाव की स्थिति जेलनी पड़ती है. घरेलू जीवन में भी कष्ट अधिक रहते हैं और परिवार में एक दूसरे के प्रति विरोधाभास की स्थिति भी रहती है. कार्यों में सफलता नही मिल पाती है।

बुध शेषनाग कालसर्प योग में बुध के प्रभावित होने पर जातक में अपने विचारों को लेकर बहुत अधिक कशमकश का माहौल रहता है. गलत चीजों को ओर मानसिकता रह सकती है. इस समय बौद्धिकता पर प्रभाव होने से जातक सही और गलत के मध्य अंतर को स्पष्ट रुप से नही समझ पाएगा. इस स्थिति में जातक झूठ बोलने वाला और अपनी ही बातों से मुकर जाने वाला हो सकता है।

मंगल शेषनाग कालसर्प योग में मंगल के ग्रसित होने पर जातक व्यर्थ के वाद विवाद में रहने वाला. कई बार लोगों के साथ झगड़े इत्यादि में फंस जाने वाला होता है. आपको शस्त्र इत्यादि से चोट भी लग सकती है. आप दूसरों पर अपना प्रभाव जमा सकते हैं. विदेश में निवास हो सकता है और दूर स्थानों को यात्रा भी इस समय अधिक रह सकती है. रिलेशनशिप में आप बहुत अधिक गंभीर भी रह सकते हैं।

बृहस्पति शेषनाग कालसर्प योग में बृहस्पति के प्रभावित होने पर जातक अपने पथ से भटका हुआ सा रहता है. कई बार जातक धर्म विरोधी कामों में भी लिप्त हो सकता है. अपनी मनमानी के आगे वो किसी और की सुनाते नही हैं. अहंकार की प्रवृत्ति भी हो सकती है. व्यक्ति में नेतृत्व करने की अच्छी योग्यता होती है।

शुक्र शेषनाग कालसर्प योग में शुक्र के प्रभावित होने पर व्यक्ति में दिखावे की प्रवृत्ति होती है. घूमने फिरने का शौकिन हो सकता है. प्रेम संबंधों में लगाव अधिक रह सकता है. दोस्तों की संख्या भी अधिक रहती है. कई बार गलत चीजों की ओर झुकाव के कारण परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है।

शनि शेषनाग कालसर्प योग में शनि का प्रभाव जातक को परेशानी में डाल सकता है कामों को करने में असफलता भी झेलनी पड़ सकती है. विरोधी पक्ष किसी न किसी कारण से परेशानी उत्पन्न करने की कोशिशों में लगा ही रहता है. कई बार रोग इत्यादि का प्रभाव अधिक बढ़ जाने के कारण मृत्यु तुल्य कष्ट की स्थिति भी परेशान कर सकती है।

शेषनाग कालसर्प योग के शांति उपाय 

1. शेषनाग कालसर्प योग की शांति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए तथा उनसे इस दोष की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

2. सोमवार के दिन रूद्राभिषेक करने से भी इस दोष का अशुभ प्रभाव दूर होता हैं

3. सावन महीने में सोमवार के दिन यह कार्य करने पर सर्वाधिक शुभ फल प्राप्त होता है।

4. कालसर्प दोष के कष्ट को कम करने हेतु गोमद धारण कर सकते हैं।

5. चांदी की नाग की आकृति वाली अंगूठी धारण करने से भी अनुकूल परिणाम प्राप्त होता है।

कालसर्प शांति मंत्र Kalsarp Shanti Mantra 

शेषनाग काल सर्प शांति के लिए मृत्युंजय मंत्र का जाप भी उत्तम होता है. इसके साथ ही राहु और केतु के मंत्र जाप भी करने चाहिए।

राहु मंत्र :ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

केतु मंत्र :ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।

शेषनाग कालसर्प हो या अन्य कोई भी काल सर्प दोष, होने पर नाग पंचमी का दिन पूजा पाठ करने के लिए बहुत ही उपयुक्त समय होता है. इस दिन भगवान शिव का पूजन अभिषेक एवं कालसर्प शांति के लिए चाँदी एवं अन्य किसी धातु से बने नाग एवं नागिन का जोड़ा मंदिर में दान करने से दोष की शांति होती है।

जन्म कुंडली में बना कोई भी कालसर्प दोष जीवन में संघर्ष और कई प्रकार के उतार-चढ़ाव लाने वाला होता है. कालसर्प योग कितना प्रभावशाली होगा और कितना कम प्रभावशाली यह जन्म कुण्डली में निर्मित अन्य अन्य ग्रह योगों पर भी निर्भर होता है इस बात को समझने के लिए कुण्डली के अध्ययन से ही पूर्ण रुप से ज्ञात हो पाता है।

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