⭐ श्रीललिता सहस्त्रार्चन की अत्यंत सूक्ष्म विधि | Shree Lalita Sahasrarachana Pujan Vidhi |श्रीयंत्र पूजा विधि, लाभ, नियम और संपूर्ण प्रक्रिया
चतुर्भिः शिवचक्रे शक्ति चके्र पंचाभिः।
नवचक्रे संसिद्धं श्रीचक्रं शिवयोर्वपुः॥
श्रीयंत्र हिन्दू धर्म में धन, सौभाग्य और सिद्धि का सर्वश्रेष्ठ यंत्र माना गया है। इसे माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी का दिव्य स्वरूप कहा जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि जो व्यक्ति श्रद्धा से श्रीयंत्र की पूजा करता है, उसके जीवन से बाधाएँ दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। श्रीयंत्र की अर्चना साधक को आत्मबल, मानसिक शांति और लक्ष्य सिद्धि का मार्ग दिखाती है। इसलिए इसे त्रिलोक का राजयंत्र भी कहा गया है।
🌺 श्रीयंत्र का महत्व
श्रीयंत्र का वर्णन तंत्रराज, ललिता सहस्रनाम, त्रिपुरोपनिषद और पुराणों में मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार श्रीयंत्र देवी महालक्ष्मी का प्रतीक है।
भगवती त्रिपुरसुन्दरी कहती हैं
“श्री यंत्र मेरा प्राण, मेरी शक्ति, मेरी आत्मा और मेरा स्वरूप है।”
श्रीयंत्र में 2816 देवशक्तियाँ विद्यमान रहती हैं।
इसी कारण इसे यंत्रराज, षोडशी यंत्र और यंत्र-शिरोमणि कहा गया है।
ऋषि दत्तात्रेय व दूर्वासा ने इसे मोक्षदाता यंत्र माना है।
🌺 मंत्र और यंत्र का संबंध
यंत्र = देवता का शरीर
मंत्र = देवता की आत्मा
मंत्र और यंत्र की संयुक्त उपासना शीघ्र फल देती है।
🌺 श्रीयंत्र पूजन के लाभ
श्रीयंत्र की स्थापना से घर में धन, समृद्धि और सौभाग्य आता है।
श्रीसूक्त पाठ और कमलगट्टे की माला से जप करने पर माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
यह यंत्र धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करता है।
शारीरिक रोगों का शमन होता है और चेहरे की कांति बढ़ती है।
अष्ट सिद्धि और नव निधियों का योग भी प्राप्त हो सकता है।
🌸 श्रीललिता सहस्त्रार्चन क्या है ?
यह पूजा श्रीयंत्र पर ललिता त्रिपुरसुंदरी के 1000 नामों से कुमकुम अर्चन की प्रक्रिया है।
हृदय या आज्ञाचक्र में देवी को ध्यान कर यह साधना करने से सर्वोत्तम फल मिलता है।
🌸 श्री ललिता सहस्त्रार्चन की सूक्ष्म विधि
1. प्रारंभिक पूजन
श्रीयंत्र को स्नान, वस्त्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद गुरु मंत्र का स्मरण करते हुए प्राणायाम करें।
आचमन मंत्र
- ॐ केशवाय नमः
- ॐ नारायणाय नमः
- ॐ माधवाय नमः
- ॐ हृषीकेशाय नमः
2. भूत-शुद्धि मंत्र
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
3. आसन पूजन
रोली से त्रिकोण बनाकर पंचोपचार करें:
- ॐ आधारशक्तये नमः
- ॐ कूर्मासनाय नमः
- ॐ पद्मासनाय नमः
- ॐ सिद्धासनाय नमः
- ॐ साध्य सिद्धसिद्धासनाय नमः
4. गुरु, गणपति, गौरी, पितरों का पूजन
अब पुरुष सूक्त का पाठ करें।
5. करन्यास
दीक्षा-मंत्र के साथ:
1. अंगुष्ठ— नमः
2. तर्जनी— स्वाहा
3. मध्यम— वषट
4. अनामिका— हुम्
5. कनिष्ठा— वौषट
6. करतल-करपृष्ठ— फट्
6. षडंग न्यास
1. हृदय— नमः
2. शिर— स्वाहा
3. शिखा— वषट
4. कवच— हुम्
5. नेत्र— वौषट
6. अस्त्र— फट्
7. अर्घ्य और आसन प्रतिष्ठा
“श्री पादुकां पूजयामि नमः” बोलकर शंख से अर्घ्य दें।
लाल आसन पर श्रीयंत्र को विराजित करें।
8. गुरु-पूजन (बिंदु चक्र)
- ॐ श्री गुरु पादुकां पूजयामि नमः
- ॐ श्री परम गुरु पादुकां पूजयामि नमः
- ॐ श्री परात्पर गुरु पादुकां पूजयामि नमः
फिर योनि मुद्रा कर:
ॐ श्री ललिता महात्रिपुरसुन्दरी श्री पादुकां पूजयामि नमः। (3 बार)
🌸 9. श्रीललिता सहस्रनाम सहस्त्रार्चन
अब 1000 नामों का उच्चारण करते हुए
कुमकुम, हल्दी-रोली या अक्षत से श्रीयंत्र पर अर्चन करें।
अर्चन के बाद
- माता की आरती
- गुरु मंत्र का जप
- श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का एक पाठ
- साष्टांग प्रणाम
आसन छोड़ने से पहले
जल भूमि पर गिराकर माथे और आँखों पर लगाएँ।
शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसा न करने पर पुण्य का आधा भाग इंद्र ले जाता है।
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⭐ श्री ललिता सहस्त्रार्चन श्रीयंत्र FAQ
Q1. श्रीललिता सहस्त्रार्चन क्या है ?
श्रीयंत्र पर देवी ललिता के 1000 नामों से कुमकुम या रोली से अर्चन करना सहस्त्रार्चन कहलाता है।
Q2. यह पूजन किस देवी के लिए है ?
यह पूजा माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी के लिए की जाती है। वे श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं।
Q3. सहस्त्रार्चन कब करना चाहिए ?
किसी भी शुभ दिन, शुक्रवार, पूर्णिमा या नवमी को यह पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है।
Q4. क्या बिना श्रीयंत्र के सहस्त्रार्चन हो सकता है ?
नहीं। सहस्त्रार्चन हमेशा श्रीयंत्र पर ही किया जाता है।
Q5. सहस्त्रार्चन के लिए मुख्य सामग्री क्या है ?
रोली, हल्दी रोली, चावल, श्रीयंत्र, लाल आसन, दीप, धूप, जल, शंख और नैवेद्य।
Q6. क्या यह पूजा घर पर कर सकते हैं ?
हाँ, बिल्कुल। शास्त्रों के अनुसार शुद्धता और नियमों का पालन आवश्यक है।
Q7. सहस्त्रार्चन में कितने नाम बोले जाते हैं ?
इसमें माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी के 1000 नाम बोले जाते हैं।
Q8. पूजा के बाद क्या करना चाहिए ?
आरती करें, गुरु मंत्र का जप करें और श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का एक पाठ अवश्य करें।
Q9. क्या यह साधना धन लाभ देती है ?
हाँ। श्रीयंत्र और ललिता सहस्त्रनाम उपासना से धन, सौभाग्य व समृद्धि बढ़ती है।
Q10. क्या सहस्त्रार्चन हर व्यक्ति कर सकता है ?
हाँ। श्रद्धा, शुद्धता और नियमों का पालन करने वाला कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
Q11. क्या सहस्त्रार्चन के लिए दीक्षा आवश्यक है ?
दीक्षा से फल कई गुना बढ़ता है, पर सामान्य पूजा दीक्षा के बिना भी की जा सकती है।
Q12. इस पूजा में कितना समय लगता है ?
औसतन 45 मिनट से 1.5 घंटे तक लगता है। नामों के उच्चारण पर निर्भर करता है।
Q13. क्या सहस्त्रार्चन रोज किया जा सकता है ?
सप्ताह में एक बार या शुक्रवार को करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
Q14. क्या यह पूजा मनोकामना पूरी करती है ?
हाँ। यह साधना तेज फलदायिनी है और मनोकामना सिद्धि देती है।
Q15. पूजा के बाद जल माथे पर लगाने का क्या कारण है ?
इसे शास्त्रों में आवश्यक बताया गया है। ऐसा न करने पर पुण्य का आधा भाग इंद्र ले जाता है।
⚠️ डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।
विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।
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कृपया किसी भी प्रकार के उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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