मंत्र उत्कीलन क्या है ? यह क्यों आवश्यक है ? मन्त्र उत्कीलन विधि Mantra Keelan And Utkilan  The Locking & Unlocking Of Mantras 

इस विषय में कुछ पाठकों ने जिज्ञासा व्यक्त की थी. इस पर हम आपको सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं. मन्त्रों का उत्कीलन करना, या उन्हें कीलित करना क्या है ? कीलित या कीलन का अर्थ है ताला लगा देना और उत्कीलन का अर्थ है, ताला खोलना

मंत्र उत्कीलन क्यों ? Why chanting in Hindi 

मंत्रों की शक्ति बहुत अधिक होती है. मंत्र इस दुनिया के सबसे बड़े अस्त्र हुआ करते थे और इस दुनिया तथा दूसरी दुनिया के बीच का संपर्क का साधन भी था. यह एक विज्ञान ही है, जिसके द्वारा बड़ी-बड़ी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है. लेकिन भगवान शिव ने कई व्यक्तियों द्वारा और मनुष्यों द्वारा इन मंत्रों की सहायता से अनुचित कार्य होते देखे, तो उन्होंने सभी मंत्रों को कीलित कर दिया, यानि कि इन पर ताला लगा दिया. तंत्र शास्त्रों में भी बताया गया है, कि कलियुग मैं सभी मंत्रों को महा देवजी ने कील दिया है, अत: वे प्रभावकारी नहीं रहे हैं।

ऐसा इसलिए किया गया, जिससे कि अशुद्ध रहने वाले, मन में क्रूरता रखने वाले, दैत्य मंत्रों का उपयोग न कर सके. इसका अर्थ यह हुआ, कि जो भी मनुष्य श्रद्धा के साथ पवित्रता के साथ किसी मंत्र को उत्कीलन करना चाहे, तो कर सकता है, मंत्र को सिद्ध कर सकता है और मंत्र के लाभ ले सकता है. यह भगवान शिव की कृपा ही है, कि उन्होंने ऐसा किया, जिससे कि कलयुग में सामान्य जन जीवन में दैत्यों द्वारा उत्पात ना मचाया जाए.

किन मन्त्रों का उत्कीलन करना चाहिए ? Which mantras should be engraved in Hindi 

किसी भी साधना को करने से पहले मंत्र उत्कीलन करना चाहिए मंत्र उत्कीलन की प्रक्रिया जैसी हम बता रहे हैं, यह वैदिक मंत्रों के लिए उपयुक्त है. मंत्र जो गुरु के द्वारा दिए जाते हैं, गुरु मंत्र कहलाते हैं. उनका उत्कीलन करने की आवश्यकता नहीं होती. उत्कीलन उन मंत्रों का किया जाता है, जो सिद्धि साधना शक्तियों को सिद्ध करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, उनका उत्कीलन आवश्यक है. लोक प्रचलित, अर्थात लोक भाषा मंत्रों, के लिए उत्कीलन की क्रिया करना आवश्यक नहीं है. वे बिना उत्कीलन के ही फलदायक होते हैं।

प्रत्येक मंत्र की उत्कीलन विधि अलग होती है. इसके अलावा, कोई चाहे, तो भोजपत्र पर मंत्र लिखकर शिवजी के मंदिर में भोजपत्र के टुकड़े को शिवलिंग से छूकर वापस लाकर भी साधना में जप किया जा सकता है.

हम आने वाले दिनों में कुछ प्रसिद्द और महत्वपूर्ण मन्त्रों की उत्कीलन विधि बताने का प्रयास करेंगे.

मंत्र उत्कीलन विधि Mantra Engraving method in Hindi 

तंत्र शास्त्रों में कहा गया है कि कलियुग मैं सभी मंत्रों को महा देवजी ने कील दिया है, अत: वे प्रभावकारी नहीं रहे हैं।

यह बात विशेष कर वैदिक मंत्रों के लिए बताई गई है तंत्र शास्त्र के मंत्र वैदिक मंत्रों से भिन्न हैं अत: उनके कीले जाने की बात नहीं है फिर भी प्रत्येक मंत्र का उत्कीलन कर लेना आवश्यक है, ताकि वह पूर्ण रूप से फलदायक सिद्ध हो सके।

भूतडामर तंत्र में मंत्रों की उत्कीलन विधि जिस प्रकार कह गई है, उस विधि के करने से मंत्र उत्कीलित हो जाते हैं और उनके द्वारा सिद्धी प्राप्त होती है।

अत: साधक को चाहिए कि वह किसी भी मंत्र का जप करने से पूर्व उसका उत्कीलन अवश्य कर लै उत्कीलन की विधियां इस प्रकार हैं

1- जिस मंत्र को जपना हो, उसे पहले अष्टगंध से भोज पत्र के ऊपर 108 बार लिखकर धूप दीप नैवेध देकर पूजन करें। फिर ब्राह्मण भोजन करायें।

इसके बाद इक तांबे के पात्र में पानी भर कर भोज पत्र के मंत्र पर डालता जाये। जप और उसी मंत्र का 108 बार उच्चारण करता जाये।

2- पूर्वोक्त विधि से मंत्र लिख कर, पूजनादि कर, उस भोज पत्र को किसी नदी की धारा में बहा दें।

3- मृत्तिका द्वारा इष्टदेव की प्रतिमा का पुरूषाकार निर्माण कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें।

फिर शुभ घड़ी और शुभ तिथि में भोज पत्र के ऊपर अष्टगंध से मंत्र लिख कर उस प्रतिमा की छाती में लगावें तथा इक महीने तक धूप दीप नैवैधादि से उसका पूजन करता रहे फिर गुरू की आज्ञा लेकर, मंत्र का जप करते हुए उस प्रतिमा को नदी में बहा दें तथा बह्य भोज करा कर 108 बार मंत्र का जाप करें।

उक्त विधि से मंत्र का उत्कीलन हो जाता है उत्कीलन हो जाने के उपरांत मंत्र को प्रयोग में लाने से वह फलदायक सिद्ध होता है।

उत्कीलन को उपरोक्त विधि का प्रयोग शास्त्रीय मंत्रों के लिए करना चाहिए।

लोक प्रचलित अर्थात लोक भाषा मंत्रों के लिए उत्कीलन की क्रिया करना आवश्यक नहीं है वे बिना उत्कीलन के ही फलदायक होते हैं।

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