जानें दीक्षा मंत्र और आपकी जन्म राशि अनुसार गुरु मंत्र
गुरु मंत्र और दीक्षा मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं । मंत्र इस शब्द में ‘मन्’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है । अगले स्तर पर मंत्र अर्थात जिसके मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और स्तर पर मंत्र अर्थात जिसके मनन से व्यक्ति का विकास हो।
अगर गुरु ने गुरुमंत्र दिया है ऐसे में क्या अपने धर्म अनुसार देवता का नाम जप करना चाहिए ? गुरुमंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है। बहुत बार नामजप और मंत्रजप को एक ही समझ लिया जाता है नामजप और मंत्रजप दोनों में ही किसी अक्षर, शब्द, मंत्र अथवा वाक्य को बार बार जपा जाता है
किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। जन्म देने वाली माता और पालन करने वाले पिता के बाद सुसंस्कृत बनाने वाले गुरु का ही स्थान है। गुरुमंत्र देवता का नाम, मंत्र, अंक अथवा शब्द होता है जो गुरु अपने शिष्य को जप करने हेतु देते हैं । गुरुमंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति करता है वैसे गुरुमंत्र में जिस देवता का नाम होता है, वही विशेष रूप से उस शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं
जानिए, आपकी जन्म राशि अनुसार गुरु-मंत्र Guru Mantra
मेष राशि – ॐ अव्ययाय नम:
वृषभ राशि – ॐ जीवाय नम:
मिथुन राशि – ॐ धीवराय नम:
कर्क राशि -ॐ वरिष्ठाय नम:
सिंह राशि – ॐ स्वर्णकायाय नम:
कन्या राशि -ॐ हरये नम:
तुला राशि -ॐ विविक्ताय नम:
वृश्चिक राशि – ॐ जीवाय नम:
धनु राशि – ॐ जेत्रे नम:
मकर राशि – ॐ गुणिने नम:
कुंभ राशि – ॐ धीवराय नम:
मीन राशि – ॐ दयासाराय नम:
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दीक्षा मंत्र Diksha Mantra
हनुमान दीक्षा मंत्र: ॐ नमो हनुमन्ताय आवेशय आवेशय स्वाहा ।
दुर्गा दीक्षा मंत्र: ॐ दुं दुर्गाय नमः
ध्यान सिद्धि दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं सोहं फट्
भाग्य बाधा दोष निवारण दीक्षा मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं भाग्य बाधा दोष निवारणाय ह्रीं ऐं फट् ।
सर्व साधना दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं सर्व साधना सिद्धिं ह्रीं ॐ ।
गुरु रक्त कण कण स्थापन दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं गुं रक्त कण-कण गुरुत्वं गुं ह्रीं ॐ ।
आज्ञा चक्र जागरण दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं पूर्ण चक्र जाग्रय ह्रीं फट् ।
भैरव दीक्षा मंत्र: ॐ अं भैरवाय फट् ।
काली दीक्षा मंत्र: ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिण कालिके सिद्धये क्रीं क्रीं क्रीं फट् ।
भुवनेश्वरी दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं ॐ
धूमावती दीक्षा मंत्र: धूं धूं धूमावती ठः ठः ।
षोडशी त्रिपुर सुन्दरी दीक्षा मंत्र: ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल हीं सकल हीं।
छिन्नमस्ता दीक्षा मंत्र: श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा ।
त्रिपुर भैरवी दीक्षा मंत्र: हसैं हसकरीं हसैं ।
मातंगी दीक्षा मंत्र: ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।
कमला दीक्षा मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं हसौ: जगप्रसूत्यै नमः ।
तारा दीक्षा मंत्र: ऐंओं ह्रीं स्त्रीं हुं फट् ।
बगलामुखी दीक्षा मंत्र: ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पद स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं स्वाहा ।
10 महाविद्या दीक्षा मंत्र: ॐ श्रीं ऐं क्लीं क्रीं हुं फट् ।
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