खड़गमाला स्तोत्र एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला मंत्र है जो श्री यंत्र या महा मेरु में उनके स्थान के अनुसार देवी हिंदू देवी-देवताओं में से प्रत्येक का नाम रखता है। देवी के विभिन्न नामों का पाठ एक क्रम में किया जाता है जो संबंधित चक्रों की ऊर्जा का आह्वान करता है। यह ऊर्जा को सक्रिय करता है और जीवन में किसी भी स्थिति का सामना करने का साहस देता है। यह जीवन को अधिक सार्थक, ऊर्जा और साहस से भरपूर बनाता है।

श्री देवी शक्ति, दिव्य माँ को संदर्भित करती है। खड्ग का अर्थ है तलवार, माला का अर्थ है माला, और स्तोत्रम का अर्थ है स्तुति या स्तुति का गीत। तो खडगमाला स्तोत्रम देवी माँ के लिए एक भजन है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे पढ़ने वालों को तलवारों की एक माला भेंट की जाती है।

देवी खड़गमाला स्तोत्रम Devi Kharagmala Stotram

ह्रींकाराननगर्भितानलशिखां सौः क्लींकलाम् बिभ्रतीं

सौवर्णाम्बरधारिणीं वरसुधाधौतां त्रिनेत्रोज्ज्वलां ।

वन्दे पुस्तकपाशमङ्कुशधरां स्रग्भूषितामुज्ज्वलां

त्वां गौरीं त्रिपुरां परात्परकलां श्रीचक्रसञ्चारिणीम् ॥

अस्य श्री शुद्धशक्तिमालामहामन्त्रस्य,

उपस्थेन्द्रियाधिष्ठायी

वरुणादित्य ऋषयः देवी गायत्री छन्दः सात्विक

ककारभट्टारकपीठस्थित कामेश्वराङ्कनिलया महाकामेश्वरी श्री

ललिता भट्टारिका देवता, ऐं बीजं क्लीं शक्तिः,

सौः कीलकं मम खड्गसिद्ध्यर्थे सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः, मूलमन्त्रेण षडङ्गन्यासं कुर्यात् ।

ध्यानम् 

तादृशं खड्गमाप्नोति येव हस्तस्थितेनवै

अष्टादशमहाद्वीपसम्राड्भोक्ताभविष्यति

आरक्ताभांत्रिणेत्रामरुणिमवसनाम् रत्नताटङ्करम्याम्

हस्ताम्भोजैस्सपाशाम्कुशमदनधनुस्सायकैर्विस्फुरन्तीम्

आपीनोत्तुङ्गु वक्षोरुहकलशलुठत्तारहारोज्ज्वलाङ्गीं

ध्यायेदम्भोरुहस्थामरुणिमवसनामीश्वरीमीश्वराणाम्।

लमित्यादिपञ्च पूजाम् कुर्यात्, यथाशक्ति मूलमन्त्रम् जपेत् ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौः ॐ नमस्त्रिपुरसुन्दरी,

हृदयदेवी, शिरोदेवी, शिखादेवी, कवचदेवी, नेत्रदेवी,

अस्त्रदेवी, कामेश्वरी, भगमालिनी, नित्यक्लिन्ने, भेरुण्डे,

वह्निवासिनी, महावज्रेश्वरी, शिवदूती, त्वरिते, कुलसुन्दरी,

नित्ये, नीलपताके, विजये, सर्वमङ्गले, ज्वालामालिनी, चित्रे,

महानित्ये, परमेश्वरपरमेश्वरी, मित्रेशमयी, उड्डीशमयी,

चर्यानाथमयी, लोपामुद्रमयी, अगस्त्यमयी, कालतापशमयी,

धर्माचार्यमयी, मुक्तकेशीश्वरमयी, दीपकलानाथमयी,

विष्णुदेवमयी, प्रभाकरदेवमयी, तेजोदेवमयी, मनोजदेवमयि,

कल्याणदेवमयी, वासुदेवमयी, रत्नदेवमयी, श्रीरामानन्दमयी,

अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे, गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे,

ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे, प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे,

इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे, सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मी,

माहेश्वरी, कौमारि, वैष्णवी, वाराही, माहेन्द्री, चामुण्डे,

महालक्ष्मी, सर्वसङ्क्षोभिणी, सर्वविद्राविणी, सर्वाकर्षिणी,

सर्ववशङ्करी, सर्वोन्मादिनी, सर्वमहाङ्कुशे, सर्वखेचरी,

सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखण्डे, त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनी,

प्रकटयोगिनी, कामाकर्षिणी, बुद्ध्याकर्षिणी, अहंकाराकर्षिणी,

शब्दाकर्षिणी, स्पर्शाकर्षिणी, रूपाकर्षिणी, रसाकर्षिणी,

गन्धाकर्षिणी, चित्ताकर्षिणी, धैर्याकर्षिणी, स्मृत्याकर्षिणी,

नामाकर्षिणी, बीजाकर्षिणी, आत्माकर्षिणी, अमृताकर्षिणी,

शरीराकर्षिणी, सर्वाशापरिपूरक चक्रस्वामिनी, गुप्तयोगिनी,

अनङ्ग कुसुमे, अनङ्गमेखले, अनङ्गमदने, अनङ्गमदनातुरे,

अनङ्गरेखे, अनङ्गवेगिनी, अनङ्गाङ्कुशे, अनङ्गमालिनी,

सर्वसङ्क्षोभणचक्रस्वामिनी, गुप्ततरयोगिनी, सर्वसङ्क्षोभिणी,

सर्वविद्राविनी, सर्वाकर्षिणी, सर्वह्लादिनी, सर्वसम्मोहिनी,

सर्वस्तम्भिनी, सर्वजृम्भिणी, सर्ववशङ्करी, सर्वरञ्जनी,

सर्वोन्मादिनी, सर्वार्थसाधिके, सर्वसम्पत्तिपूरिणी, सर्वमन्त्रमयी,

सर्वद्वन्द्वक्षयङ्करी, सर्वसौभाग्यदायक चक्रस्वामिनी, सम्प्रदाय

योगिनी, सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसम्पत्प्रदे, सर्वप्रियङ्करी,

सर्वमङ्गलकारिणी, सर्वकामप्रदे, सर्वदुःखविमोचनी,

सर्वमृत्युप्रशमनि, सर्वविघ्ननिवारिणी, सर्वाङ्गसुन्दरी,

सर्वसौभाग्यदायिनी, सर्वार्थसाधक चक्रस्वामिनी, कुलोत्तीर्णयोगिनी,

सर्वज्ञे, सर्वशक्ते, सर्वैश्वर्यप्रदायिनी, सर्वज्ङानमयी,

सर्वव्याधिविनाशिनी, सर्वाधार स्वरूपे, सर्वपापहरे,

सर्वरक्षास्वरूपिणी, सर्वेप्सितफलप्रदे, सर्वरक्षाकर चक्रस्वामिनी,

निगर्भयोगिनी, वशिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमले, अरुणे,

जयिनी, सर्वेश्वरी, कौलिनिवशिनी, सर्वरोगहरचक्रस्वामिनी,

रहस्ययोगिनी, बाणिनी, चापिनी, पाशिनी, अङ्कुशिनी, महाकामेश्वरी,

महावज्रेश्वरी, महाभगमालिनी, सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनी,

अतिरहस्ययोगिनी, श्री श्री महाभट्टारिके, सर्वानन्दमय

चक्रस्वामिनी, परापरातिरहस्ययोगिनी, त्रिपुरे, त्रिपुरेशी,

त्रिपुरसुन्दरी, त्रिपुरवासिनी, त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनी,

त्रिपुरसिद्धे, त्रिपुराम्बा, महात्रिपुरसुन्दरी, महामहेश्वरी,

महामहाराज्ञी, महामहाशक्ते, महामहागुप्ते, महामहाज्ञप्ते,

महामहानन्दे, महामहास्कन्धे, महामहाशये, महामहा

श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञी, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।

फलश्रुतिः 

एषा विद्या महासिद्धिदायिनी स्मृतिमात्रतः

अग्निवातमहाक्षोभे राजाराष्ट्रस्यविप्लवे ।

लुण्ठने तस्करभये सङ्ग्रामे सलिलप्लवे,

समुद्रयानविक्षोभे भूतप्रेतादिके भये

अपस्मारज्वरव्याधिमृत्युक्षामादिजेभये,

शाकिनी पूतनायक्षरक्षःकूष्माण्डजे भये,

मित्रभेदे ग्रहभये व्यसनेष्वाभिचारिके,

अन्येष्वपि च दोषेषु मालामन्त्रं स्मरेन्नरः

सर्वोपद्रवनिर्मुक्तस्साक्षाच्छिवमयोभवेत्,

आपत्कालेनित्यपूजाम् विस्तारात्कर्तुमारभेत्,

एकवारं जपध्यानम् सर्वपूजाफलं लभेत्,

नवावर्णदेवीनां, ललिताया महौजनः

एकत्रगणनारूपोवेदवेदाङ्गगोचरः,

सर्वागमरहस्यार्थः स्मरणात्पापनाशिनी ।

ललितायामहेशान्या माला विद्यामहीयसी,

नरवश्यं नरेन्द्राणां वश्यं नारीवशङ्करम् ।

अणिमादिगुणैश्वर्यं रञ्जनं पापभञ्जनम् ।

तत्तदावरणस्थायि देवताबृन्दमन्त्रकम् ।

मालामन्त्रं परम् गुह्यां परं धामप्रकीर्तितम् ।

शक्तिमालापञ्चधास्याच्छिवमालाचतादृशी,

तस्माद्गोप्यतराद्गोप्यं रहस्यं भुक्तिमुक्तिदम् ।

इति श्री वामकेश्वरतन्त्रे उमामहेश्वरसंवादे

देवीखड्गमालास्तोत्ररत्नं समाप्तम् ।

खड्गमाला स्तोत्र पाठ के लाभ | Khadgamala Stotram Benefits in Hindi 

1. सबसे पहले नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहने।

2. अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ।

3. एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर देवी माँ की स्थापना करें

4. अब श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें तथा पाठ सम्पन होने पर देवी खड्गमाला स्तोत्र का पाठ करें।

5. अंत में श्री दुर्गा आरती करें तथा देवी माँ का आशीर्वाद ग्रहण करें।.

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