दुर्गा तांडव स्तोत्र |Durga Tandav Stotra | पाठ, विधि, लाभ
Durga Tandav Stotra दुर्गा तांडव स्तोत्र के रूप में कोई एक स्थापित स्तोत्र नहीं है, बल्कि देवी दुर्गा के विभिन्न स्तोत्र हैं जिनमें ‘तांडव’ शब्द का प्रयोग देवी की उग्र रूप की शक्ति का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जैसे कि श्रीकालिका तांडव स्तोत्र या देवी दुर्गा के लिए विभिन्न स्तोत्र जो उनकी शक्ति और कार्यों का वर्णन करते हैं. यदि आप दुर्गा तांडव स्तोत्र की तलाश कर रहे हैं, तो संभावना है कि आप देवी दुर्गा के उग्र स्वरूप का वर्णन करने वाले किसी स्तोत्र की तलाश कर रहे होंगे.
यहाँ ‘श्री कालिका तांडव स्तोत्र‘ की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं, क्योंकि यह देवी के तांडव स्वरूप से जुड़ा है
श्री कालिका तांडव स्तोत्र (Shri Kali Tandava Stotram)
हुंहुंकारे शवारूढे नीलनीरजलोचने ।
त्रैलोक्यैकमुखे दिव्ये कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ १॥
प्रत्यालीढपदे घोरे मुण्डमालाप्रलम्बिते ।
खर्वे लम्बोदरे भीमे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ २॥
नवयौवनसम्पन्ने गजकुम्भोपमस्तनी ।
वागीश्वरी शिवे शान्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ३॥
लोलजिह्वे दुरारोहे (लोलजिह्वे हरालोके) नेत्रत्रयविभूषिते ।
घोरहास्यत्करे (घोरहास्यत्कटा कारे) देवी कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ४॥
व्याघ्रचर्म्माम्बरधरे खड्गकर्त्तृकरे धरे ।
कपालेन्दीवरे वामे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ५॥
नीलोत्पलजटाभारे सिन्दुरेन्दुमुखोदरे ।
स्फुरद्वक्त्रोष्टदशने कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ६॥
प्रलयानलधूम्राभे चन्द्रसूर्याग्निलोचने ।
शैलवासे शुभे मातः कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ७॥
ब्रह्मशम्भुजलौघे च शवमध्ये प्रसंस्थिते ।
प्रेतकोटिसमायुक्ते कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ८॥
कृपामयि हरे मातः सर्वाशापरिपुरिते ।
वरदे भोगदे मोक्षे कालिकायै नमोऽस्तुते ॥ ९॥
इत्युत्तरतन्त्रार्गतमं श्रीकालीताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
अन्य सम्बंधित दुर्गा स्तोत्र
शिव कृत दुर्गा स्तोत्र: यह स्तोत्र भगवान शिव द्वारा देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है, जिसमें देवी के सर्वव्यापी स्वरूप और शक्तियों का उल्लेख है.
यदि आप दुर्गा तांडव स्तोत्र के पूरे पाठ की तलाश कर रहे हैं, तो आपको एक विशेष स्तोत्र का नाम पता करना होगा क्योंकि दुर्गा तांडव एक विशिष्ट स्तोत्र का नाम नहीं बल्कि एक प्रकार का स्तोत्र है
दुर्गा तांडव स्तोत्र से संबंधित स्तोत्र
श्रीमहाविद्या स्तोत्रम्: यह स्तोत्र देवी दुर्गा की पूजा और शक्ति की स्तुति करता है, जिससे भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है।
अष्टोत्तरशतनाम (32 या 108 नाम): दुर्गा के 32 नामों की स्तुति करने वाला स्तोत्र, जिसे दुर्गा 32 नामावली स्तोत्र कहा जाता है, भी पाठ किया जाता है।
सप्तश्लोकी दुर्गा: यह दुर्गा सप्तश्लोकी मंत्र का जप है।
शिवकृत दुर्गा स्तोत्रम्: यह देवी दुर्गा की स्तुति है जो शिव ने की थी।
शिव तांडव स्तोत्र का संदर्भ
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र: भगवान शिव के नृत्य का वर्णन करने वाला यह स्तोत्र रावण द्वारा रचा गया था, और यह एक प्रसिद्ध भक्ति भजन है।
दुर्गा तांडव स्तोत्र पाठ के लाभ:
भय, चिंता और दुर्भावनाओं का नाश
आत्मबल, साहस और निडरता में वृद्धि
जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा
शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
आध्यात्मिक प्रगति और शक्ति की अनुभूति
दुर्गा तांडव स्त्रोत पाठ की विधि:
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पाठ करें
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
दीपक जलाकर देवी की प्रतिमा/चित्र के सामने पाठ करें
उच्चारण शुद्ध और मन एकाग्र रखें
दुर्गा तांडव स्त्रोत पाठ का शुभ समय:
नवरात्रि के नौ दिन
दुर्गा अष्टमी या नवमी
मंगलवार और शुक्रवार
किसी भी संकट या भय के समय
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दुर्गा तांडव स्तोत्र: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. दुर्गा तांडव स्तोत्र क्या है?
उत्तर: दुर्गा तांडव स्तोत्र एक संस्कृत स्तुति है जो देवी दुर्गा के उग्र और तांडव रूप की महिमा का वर्णन करती है। यह स्तोत्र शक्ति, साहस, और शत्रुनाश की भावना को जाग्रत करता है।
Q2. दुर्गा तांडव स्तोत्र का पाठ कब करें ?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ ब्राह्म मुहूर्त, नवरात्रि के दिनों में, मंगलवार/शुक्रवार, और किसी संकट के समय करना शुभ माना जाता है।
Q3. दुर्गा तांडव स्तोत्र का क्या लाभ है ?
उत्तर: भय और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
आत्मबल और साहस की वृद्धि
शत्रु बाधा से मुक्ति
मानसिक शांति और आत्मविश्वास
Q4. क्या दुर्गा तांडव स्तोत्र घर में पढ़ सकते हैं ?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल। साफ-सुथरे स्थान पर देवी की प्रतिमा/चित्र के सामने दीपक जलाकर श्रद्धा और सही उच्चारण के साथ पाठ करें।
Q5. क्या स्तोत्र का पाठ करने के लिए पंडित होना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, श्रद्धा और शुद्धता के साथ कोई भी व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है। उच्चारण शुद्ध रखने का प्रयास करें।
Q6. क्या यह स्तोत्र नवरात्रि में विशेष फलदायक होता है?
उत्तर: जी हाँ। नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा की आराधना के लिए यह स्तोत्र बहुत प्रभावशाली माना जाता है।
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