जानें रामबाण औषधि गिलोय किन किन बीमारियों में फायदेमंद है

जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है

आप गिलोय को अपने घर के गमले में लगा कर रस्सी से उसकी लता को बांध सकते हैं इसके बाद इसके रस का प्रयोग कर सकते हैं गिलोय एक दवाई के रूप में जानी जाती है जिसका रस पीने से शरीर के अनेको प्रकार के कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती हैं

आजकल तो बाजार में गिलोय की गोलियां, सीरप, पाउडर आदि भी मिलना शुरु हो चुके हैं-गिलोय शरीर के दोषों (कफ ,वात और पित ) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है

गिलोय का उल्टी बेहोशी कफ पीलिया धातू विकार सिफलिस एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार चर्म रोग झाइयां झुर्रियां कमजोरी गले के संक्रमण खाँसी छींक विषम ज्वर नाशक टाइफायड मलेरिया डेंगू पेंट कृमि पेट के रोग सीने में जकड़न जोडों में दर्द-रक्त विकार निम्न रक्तचाप हृदयदौर्बल्य (टीबी) लीवर किडनी मूत्ररोग मधुमेह रक्त शोधक रोग प्रतिरोधक गैस बुढापा रोकने वाली खांसी मिटाने वाली भूख बढ़ाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है

टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, तिल्ली बढऩा, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है-यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है गिलोय बीमारियों से लडऩे, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है

(What is Giloy?) गिलोय क्या है  

गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

Contents

 

1 गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)

2 गिलोय क्या है (What is Giloy?)

3 अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)

4 गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)

4.1 आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)

4.2 कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)

4.3 हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup in Hindi)

4.4 टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)

4.5 गिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)

4.6 गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)

4.7 गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)

4.8 पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

4.9 लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)

4.10 डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)

4.11 मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)

4.12 गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)

4.13 फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)

4.14 गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

4.15 बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

4.16 एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)

4.17 कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)

4.18 स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)

4.19 कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)

5 गिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)

6 गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)

7 गिलोय से नुकसान (Side Effects of Giloy)

8 गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)

गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)

आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

 

गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।

 

गिलोय क्या है (What is Giloy?)

गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-

आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Diseases)

10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder)

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup)

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।

टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment)

अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए।

गिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting )

एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipatio)

गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।

सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment)

हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice)

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।

गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।

गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder )

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes )

गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।

गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।

एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।

10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems )

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment )

गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में अत्यन्त लाभ होता है।

सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।

फाइलेरिया में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग 

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment )

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever)

40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।

20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।

बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।

मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।

20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।

सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।

गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।

बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।

100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।

गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।

बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।

गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।

पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।

डाले एक नजर इसके प्रयोग पर 

1. बुखार को ठीक करने का इसमें अद्भुत गुण है पर यह मलेरिया पर अधिक प्रभावी नहीं है लेकिन शरीर की समस्त मेटाबोलिक क्रियाओं को व्यवस्थित करने के साथ सिनकोना चूर्ण या कुनाईनं (कोई भी एंटी मलेरियल) औषधि के साथ देने पर उसके घातक प्रभावों को रोक कर शीघ्र लाभ देती है

2. दीर्घायु प्रदान करने वाली अमृत तुल्य गिलोय और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7 पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है

3. गिलोय और पुनर्नवा मिर्गी में लाभप्रद होती है-इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के साथ दिया जाता है अनेक रोगों में इसे पशुओं के रोगों में भी दिया जाता है

4. गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए, शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करता है- यह शरीर को दिल से संबंधित बीमारियों से बचाए रखता है

5. गिलोय एक रसायन है यह रक्तशोधक ओजवर्धक ह्रुदयरोग नाशक शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है-गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है-गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है

6. गिलोय के 6 इंच तने को लेकर कुचल कर उसमे 4 या 5 पत्तियां तुलसी की मिला ले तथा इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गूदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर आपको कोई भी बीमारी नहीं आती है और यदि इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है

7. गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है गैस जोडों का दर्द शरीर का टूटना असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं तो गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है

8. गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से स्त्रियों को बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं

9. क्षय (टी .बी) रोग में गिलोय सत्व इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है गिलोय सत्व को कुचल कर बारीक पीस कर पानी में घोल ले और छान कर किसी बर्तन में धूप में रख दे जब सारा पानी उड़ जाए तो नीचे सफ़ेद पदार्थ प्राप्त होगा यही गिलोय सत्व है

10. प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है

11. गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है तथा कब्ज दूर होती है

12. फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है

13. गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में सिर्फ दो बार डालने से कान का मैल निकल जाता है और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है

14. मट्ठे के साथ गिलोय का एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है

15. मुंहासे फोड़े फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है

Must Read आयुर्वेदिक नुस्खे: दादी मां के हमेशा काम आने वाले नुस्खे 

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा 

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।

गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।

गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय 

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग 

गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।

गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।

एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।

10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग 

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल 

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।

आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय 

10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।

गिलोय के सेवन से उलटी रुकती है 

एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज 

गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।

सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

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